कविता समाज का दर्पण होती है और इसकी सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब वह समाज को दिशा प्रदान करे – नरेन्द्र बहादुर सिंह

जल्दी ही शुरू होगी काशी में ‘कथा गोष्ठी’ : पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’

वाराणसी। उद्गार संगठन द्वारा वाराणसी के स्याही प्रकाशन परिसर स्थित उद्गार सभागार में एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें साहित्य प्रेमियों की भारी उपस्थिति रही। इस साहित्यिक आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र बहादुर सिंह ने की, जबकि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात प्रकाशक पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में बुद्धदेव तिवारी, श्रीप्रकाश श्रीवास्तव और डॉ. अनिल सिंहा बहुमुखी जैसे वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात मंच संचालक सुनील कुमार सेठ ने किया, जिन्होंने अपनी ओजस्वी शैली से समारोह में चार चाँद लगा दिए।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और माँ सरस्वती की वंदना के साथ हुई। इसके पश्चात् नरेन्द्र बहादुर सिंह ने उद्घाटन संबोधन में कविता और साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कविता समाज का दर्पण होती है और इसकी सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब वह समाज को दिशा प्रदान करे।

मुख्य अतिथि पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ ने अपनी उद्बोधन में कहा कि काशी की साहित्यिक यात्रा सतत चलती आ रही है और इस परंपरा को बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही वाराणसी में कथा गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर के प्रतिष्ठित कथाकार भाग लेंगे। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य साहित्य को केवल पुस्तकों तक सीमित रखना नहीं है, बल्कि उसे आम जनमानस तक पहुँचाना है। यह कथा गोष्ठी साहित्य प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगी, जहाँ वे अपनी रचनात्मकता को साझा कर सकेंगे।”

इसके पश्चात् कवियों द्वारा अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की गईं। आशिक गरथमा, डॉ कृष्ण प्रकाश आनंद, नंदलाल राजभर नंदू, गजल कर गोपाल केसरी, रामनरेश पाल, वसीम अहमद, बुद्धदेव तिवारी,  डॉ जगदीश नारायण गुप्ता, कवि विमल बिहारी, खलील अहमद रही, रोशन मुगलसरायवी, कैलास नाथ, आकाश मिश्र, सुनील कुमार सेठ, जी एल पटेल, देवेंद्र पांडे,दीपक दबंग ध्रुव सिंह चैहान, कुमार महेंद्र, दीपक शर्मा, नित्यानंद, कैलाश नाथ, कैलाश नाथ यादव, आनंद कृष्ण मासूम, दीपक दबंग,  नित्यानंद चतुर्वेदी, कैलाश नाथ यादव आदि कवियों ने काव्य पाठ किया। बुद्धदेव तिवारी ने अपने काव्य पाठ में समाज की ज्वलंत समस्याओं को स्वर दिया, वहीं श्रीप्रकाश श्रीवास्तव की कविताओं ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। डॉ. अनिल सिंहा बहुमुखी ने अपनी कविताओं के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं का चित्रण किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

गोष्ठी में युवा कवियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नई पीढ़ी के कवियों में सुनील कुमार सेठ की प्रस्तुति ने सबका ध्यान आकर्षित किया। उनकी कविताएँ समाज में व्याप्त विसंगतियों पर गहरी चोट करती हुई प्रतीत हुईं। कार्यक्रम के दौरान श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों का उत्साहवर्धन किया।

अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए नरेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं और नए रचनाकारों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने आयोजन समिति को इस सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी और आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे।

गोष्ठी के समापन अवसर पर पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ ने सभी अतिथियों, कवियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और साहित्य की इस अद्भुत शाम को स्मरणीय बनाने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने दोहराया कि कथा गोष्ठी की योजना शीघ्र ही मूर्त रूप लेगी, जिससे साहित्य प्रेमियों को एक नया मंच मिलेगा।

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