17
Jun
विलासपुर।पानी प्रकृति का सबसे सरल लेकिन सबसे जरूरी उपहार है। यह न केवल हमारी प्यास बुझाता है, बल्कि खेतों को हरियाली देता है, नदियों को जीवन से भरता है, व पर्यावरणीय संतुलन का आधार भी है। लेकिन जब यही पानी धीरे-धीरे अशुद्ध होने लगे, तो चिंता केवल पर्यावरण की नहीं, हमारे सामूहिक भविष्य की भी हो जाती है। आज, देशभर में जल स्रोतों पर बढ़ता दबाव और कचरे का बढ़ता बोझ एक वास्तविकता है। बारिश के साथ बहकर आने वाले अपशिष्ट—प्लास्टिक, जैविक सामग्री, लकड़ियाँ—अक्सर हमारे जलाशयों और नदियों में जमा हो जाते हैं। यह न केवल जल की गुणवत्ता को…