अब बच्चे मां का नहीं बोतल में दूध पीते हैं और बाद में  शराब की बोतल- कौशलेंद्र दास शांडिल्य 

फेसबुक-व्हाट्सएप से नहीं, माता-पिता के चरणों से शुरू हो दिन 

 नौगढ। शक्तिपीठ अमरा भगवती धाम में चल रही नौ दिवसीय संगीतमय राम कथा के तीसरे दिन राम जन्म की कथा सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। चौथे दिन, रविवार को कथा में प्रभु के जन्म की बधाई का प्रसंग प्रस्तुत किया गया। कथा व्यास कौशलेंद्र दास शांडिल्य ने कहा कि आज के समय में बच्चों के नाम गुरु नहीं, बल्कि गूगल तय करता है। पहले बच्चे जन्म के बाद मां का दूध पीते थे, लेकिन अब बोतल का दूध पीते हैं और आगे चलकर कोल्ड ड्रिंक व शराब की ओर बढ़ जाते हैं। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।कथा व्यास ने बताया कि महाराज दशरथ ने राम जन्म की बधाई में आभूषण व वस्त्रों का दान किया। देवता भी भिखारी के रूप में अयोध्या पहुंचकर बधाई लेने लगे। भगवान शंकर और कागभुशुण्डि भी दर्शन के लिए आए, लेकिन अयोध्या में लंबी कतार देखकर सरयू नदी के किनारे टेंट लगाकर ज्योतिषी बन गए और लोगों का हाथ देखने लगे। जब यह चर्चा महल तक पहुंची, तो माता कौशल्या ने उन्हें बुलवाया और बालक राम का हाथ देखने का आग्रह किया। भगवान शंकर ने बालक को गोद में लेकर उसकी रेखाएं पढ़ने की इच्छा जताई।

*भगवान की बाल लीलाएं और माता कौशल्या का आश्चर्य*

कथा व्यास ने बताया कि भगवान राम की बाल लीलाएं अत्यंत चमत्कारी थीं। एक दिन माता कौशल्या ने देखा कि भगवान एक ओर झूले में विराजमान हैं और दूसरी ओर भोग ग्रहण कर रहे हैं। यह देखकर वह आश्चर्य में पड़ गईं। जब उन्होंने भगवान से इस रहस्य का खुलासा करने का अनुरोध किया, तो प्रभु ने विराट रूप धारण कर उन्हें दर्शन दिए और बताया कि वह संपूर्ण ब्रह्मांड के कर्ता-धर्ता हैं। आज के बच्चे सुबह उठते ही फेसबुक और व्हाट्सएप देखने में व्यस्त रहते हैं, जबकि पहले के समय में दिन की शुरुआत गुरु व माता-पिता को प्रणाम करने से होती थी। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि सुबह उठते ही हाथों का दर्शन करें, धरती माता को प्रणाम करें और माता-पिता के चरण स्पर्श करें। उन्होंने कहा कि घर में माता-पिता दुखी हों और हम शंकर भगवान को दूध चढ़ाएं, तो वह पूजा निष्फल हो जाएगी। कथा व्यास ने बताया कि बारहवें दिन, गुरु वशिष्ठ राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का नामकरण संस्कार संपन्न कराते हैं।

भगवान श्रीराम बाल्यावस्था में ही अपनी विद्या ग्रहण करने के लिए गुरु के आश्रम जाते हैं और अल्प समय में सभी विद्याओं में निपुण हो जाते हैं। शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल बच्चे गुरु की शिक्षाओं से अधिक गूगल और यूट्यूब पर निर्भर हो गए हैं। यह जरूरी है कि वे गुरुजनों का सम्मान करें, अपने माता-पिता की सेवा करें और सनातन संस्कृति के संस्कारों को अपनाएं।

राम जन्मोत्सव के इस विशेष प्रसंग में भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया गया। “ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत बैजनिया” जैसे भजनों ने भक्तों को भक्ति के सागर में डुबो दिया। पूरे परिसर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। इस मौके पर मुख्य यजमान दधिबल यादव, यज्ञाचार्य अमरेश चंद्र मिश्र, आचार्य पंडित रवि शुक्ला, अनूप पांडे, चंद्रिका यादव,  एडवोकेट राम जियावन सिंह यादव, अनिल यदुवंशी, अजय त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। आयोजन समिति के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश सिंह ने कहा कि यह कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। ‌भक्तों ने कथा का रसपान किया और भगवान राम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

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