प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने टीबी उन्मूलन के लिए बहु-क्षेत्रीय नवाचार-संचालित दृष्टिकोण अपनाया – अनुप्रिया पटेल

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने ‘’भारत नवाचार शिखर सम्मेलन – टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान’’ का उद्घाटन किया

नई दिल्‍ली/ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज नई दिल्‍ली के भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में ‘’भारत नवाचार शिखर सम्मेलन – टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान’’ का उद्घाटन किया। शिखर सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग-भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (डीएचआर-आईसीएमआर) और केंद्रीय टीबी प्रभाग (सीटीडी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति को गति देना है।

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श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए टीबी नियंत्रण में भारत की उल्लेखनीय प्रगति और इस मिशन में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के अग्रणी नेतृत्व में, भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में पिछले दशक में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है और आप में से कई लोगों ने नवाचारों और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सभी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, श्रीमती पटेल ने कहा कि “कार्यक्रम 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2015 में छूटे हुए मामलों की संख्या 15 लाख से घटकर 2023 में 2.5 लाख हो गई है। कार्यक्रम 2023 और 2024 में 25.5 लाख टीबी और 26.07 लाख मामलों को अधिसूचित करने में सफल रहा, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्‍या है।”

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए, श्रीमती पटेल ने कहा कि “भारत में टीबी मामलों की दर 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 से 17.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2023 में 195 प्रति लाख जनसंख्या पर गई है। टीबी से होने वाली मौतें 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से 2023 में 21.4 प्रतिशत घटकर 22 प्रति लाख जनसंख्या पर आ गई हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “भारत में टीबी उपचार का दायरा पिछले आठ वर्षों में 32 प्रतिशत बढ़कर 2015 में 53 प्रतिशत से 2023 में 85 प्रतिशत हो गया है।”

केंद्रीय राज्य मंत्री ने एनटीईपी के तहत शुरू की गई नई पहलों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बेडाक्विलाइन युक्त एक छोटी और सुरक्षित पिलाई जाने वाली दवा प्रतिरोधी टीबी उपचार व्यवस्था शुरू की गई है, जिससे दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों की उपचार सफलता दर 2020 में 68 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 75 प्रतिशत हो गई है। दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए एक अधिक प्रभावी उपचार व्यवस्था, एमबीपीएएल (बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड (300 मिलीग्राम) भी शुरू की गई है जो बहु-दवा प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर टीबी) के लिए 80 प्रतिशत अधिक प्रभावी है और इससे उपचार की अवधि 6 महीने तक कम हो जाएगी।”

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श्रीमती. पटेल ने आगे कहा कि “आईसीएमआर ने पाथो डिटेक्‍ट टीएम एक स्वदेशी आणविक नैदानिक ​​एनएएटी परीक्षण का बहु-केंद्रीय प्रमाणीकरण किया जो एक साथ 32 परीक्षण कर सकता है। ये परीक्षण एक चरण प्रक्रिया के रूप में एक साथ एमटीबी कॉम्प्लेक्स और रिफैम्पिसिन (आरआईएफ) और आइसोनियाज़िड (आईएनएच) के लिए पहली पंक्ति वाले दवा प्रतिरोध का पता लगाता है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि “यह आयोजन टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में नवाचार आधारित प्रयास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह शिखर सम्मेलन, टीबी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के अग्रदूतों के विचारों को प्रभावी समाधानों में बदलने के लिए उन्‍हें एक साथ लाने का मंच प्रदान कर रहा है।”

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इस अवसर पर बोलते हुए, डीएचआर सचिव और आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने भारत के टीबी उन्मूलन प्रयास में अनुसंधान और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। टीबी का पता लगाने, उपचार, पुनर्वास और रोकथाम में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में वैज्ञानिक प्रगति सबसे आगे रही है। कठोर शोध के माध्यम से, हमने अभिनव निदान, उपचार व्यवस्था और एआई-आधारित उपकरणों को मान्य किया है जो प्रारंभिक पहचान को बढ़ाते हैं और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाते हैं।” उन्होंने कहा कि “शिखर सम्मेलन हितधारकों को एक साथ लाने और राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रमों में इन समाधानों को अपनाने में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।” उन्होंने घरेलू नवाचारों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो न केवल भारत को लाभान्वित करते हैं बल्कि वैश्विक टीबी उन्मूलन मिशन में भी योगदान देते हैं।

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डेढ़ दिन के इस शिखर सम्मेलन में 200 से ज़्यादा अभूतपूर्व नवाचार शामिल हैं, जिनमें टीबी की त्वरित जांच के लिए हाथ में पकड़े जाने वाले एक्स-रे उपकरण, एआई-संचालित डायग्नोस्टिक उपकरण और नई आणविक परीक्षण तकनीकें शामिल हैं। यह कार्यक्रम नवोन्मेषकों को नीति निर्माताओं, नियामकों और विशेषज्ञों के साथ जुड़ने का एक मंच प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आशाजनक समाधान राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रमों में एकीकृत किए जाएं।

शिखर सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षा जगत, उद्योग, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान क्षेत्रों के 1,200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ महत्वपूर्ण सहयोग को बढ़ावा देना है। मुख्य ध्यान बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन की क्षमता वाले नवाचारों की पहचान करने और उन्हें आगे के विकास के लिए सरकारी पहलों से जोड़ने पर है। भारत नवाचार शिखर सम्मेलन 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर प्रगति में तेजी लाने के लिए वैज्ञानिक प्रगति और समुदाय-संचालित प्रयासों का लाभ उठाता है।

शिखर सम्मेलन के दौरान, टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई को आकार देने वाले 200 से अधिक नवाचारों को एक प्रदर्शनी में रखा जाएगा, साथ ही नवाचारों पर 30 से अधिक वैज्ञानिक सत्र, व्याख्यान, गोलमेज और पैनल चर्चाएं भी होंगी। शिखर सम्मेलन में डीएचआर की पूर्व सचिव और आईसीएमआर की डीजी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, डीएचआर की संयुक्त सचिव सुश्री अनु नागर, आईसीएमआर की सीनियर डीडीजी (प्रशासन) एमएस मनीषा सक्सेना और मंत्रालय तथा आईसीएमआर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक भी शामिल हुए। वैश्विक प्रतिभागियों में गेट्स फाउंडेशन के ग्लोबल हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. ट्रेवर मुंडेल और प्रो. गाइ मार्क्स (यूनियन) ने उद्घाटन समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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