सीएमपीडीआई में पूरे हर्षोल्लास के साथ गणतंत्र दिवस मनाया गया

रांची, । सीएमपीडीआई द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 में 10 लाख मीटर ड्रिलिंग के मुकाबले दिसम्बर, 2024 तक 6.28 लाख मीटर ड्रिलिंग की गयी है जिसमें से 2.90 लाख मीटर विभागीय संसाधन के जरिए हुई है। साथ ही 400 लाइन किलोमीटर 2डी/3डी सिस्मिक सर्वे के विभागीय लक्ष्य के मुकाबले दिसम्बर, 2024 तक 232 लाइन किलो मीटर सिस्मिक सर्वे किया जा चुका है। 26 जनवरी, 2025 को गणतंत्र दिवस  के अवसर पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के पश्चात् अपने अभिभाषण में उक्त बातें सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक श्री मनोज कुमार ने कहीं। इस अवसर पर निदेशक (तकनीकी/सीआरडी)  शंकर नागाचारी, निदेशक (तकनीकी/पीएंडडी/ईएस)  अजय कुमार, कस्तूरी महिला सभा की अध्यक्षा श्रीमती रूपाली गुप्ता, श्रीमती सुषमा भारती, जेसीसी सदस्य एवं श्रमिक प्रतिनिधि, सीएमओएआई के प्रतिनिधि सहित सीएमपीडीआई परिवार के सदस्य उपस्थित थे।

श्री कुमार ने कहा कि कोयला एवं गैर-कोयला क्षेत्र में एनएमईटी के माध्यम से गवेषण का प्रयास किया जा रहा है। अभी तक गैर-कोयला ब्लाॅकों के 5 प्रस्तावों सहित कुल 28 प्रस्तावों की स्वीकृत मिल चुकी है वहीं गैर-कोयला क्षेत्र में गवेषण के तहत सीएमपीडीआई ने 3 बाक्साइट और 1 बेस मेटल ब्लाक की भूवैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसके अतिरिक्त, मैगनेटाइट के 1 ब्लाक में गवेषण कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। दिसम्बर, 2024 तक कुल 192 रिपोर्ट तैयार कर लिए गए हैं ।  जिसमें 19 जियोलाजिकल रिपोर्ट्स (जीआर) और 13 प्रोजेक्ट रेपोर्ट्स  (पीआर) शामिल हैं। 19 जीआर के जरिए लगभग 272 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को शामिल कर विस्तृत गवेषण के माध्यम से 5.74 बिलियन टन अतिरिक्त कोल रिजर्वस को प्रमाणित श्रेणी में लाया गया है वहीं 31 मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता बढ़ोत्तरी वाली 13 पीआर भी तैयार की गयी है। प्रमाणित श्रेणी के कोयला संसाधन को 1976 के 21 बिलियन टन के स्तर से 1 अप्रैल, 2024 तक लगभग 212 बिलियन टन किया गया है जिसमें अधिकांश कार्य सीएमपीडीआई द्वारा ही किया गया है। ज्ञात हो कि कोल इंडिया ने चालू वित्त वर्ष के कोयला उत्पादन के 838 मिलियन टन वार्षिक लक्ष्य की तुलना में 23.01.2025 तक 600 मिलियन टन कोयला उत्पादन हासिल किया है। देश के कुल कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की भागीदारी 78 प्रतिशत है। कोल इंडिया की इस सफलता में सीएमपीडीआई प्रदत्त सेवाओं का प्रमुख योगदान है।

सीएमपीडीआई ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में इंडियन मोबाइल कांग्रेस में कोयला उद्योग के लिए यूजेबल बारह 5जी यूज केसेस को प्रदर्शित किया। इसके साथ ही सीएमपीडीआई और सी-डैक मिलकर एनसीएल की अमलोहरी खुली खदान में सात 5जी यूज केसेस लागू करने की प्रक्रिया में है। ज्ञात हो कि कोयला मंत्रालय ने सीएमपीडीआई को कोयला उद्योग के लिए 5जी यूज केस टेस्ट लैब स्थापित करने के लिए सेंटर आफ एक्सीलेंस (सीओई) के रूप में नामित किया है ताकि इस तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके। 

इस मौके पर श्री कुमार ने कहा कि 75 मिलियन टन पीक कैपेसिटी वाली एशिया के सबसे बड़ी खुली खदान कुसमुण्डा ओसी एक्सपैंशन (50-75) के प्रोजेक्ट रिपोर्ट को सीआईएल बोर्ड द्वारा स्वीकृत किया गया। परियोजना की अवधारणा एक माडल खदान के रूप में की गयी है जिसमें कोयले की निकासी, परिवहन और पर्यावरणीय शमन के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त, कैप्टिव यूज के लिए परियोजना सीमा के भीतर 15 मेगावाट का ग्रिड से जुड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाएगा जिससे कार्बन फुटप्रिन्ट  में और कमी आएगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना रिपोर्ट को सीएमपीडीआई के क्षेत्रीय संस्थान-5, बिलासपुर द्वारा तैयार किया गया है, जो हमारी तकनीकी विशेषज्ञता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 

मौके पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक 5 गीगा वाट सौर क्षमता प्राप्त करने के लिए सीआईएल की सभी सौर परियोजना के लिए सीआईएल द्वारा सीएमपीडीआई को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीएमसी) सलाहकार के रूप में शामिल किया गया है वहीं ओडिशा सरकार ने महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड  के प्रस्तावित 99 मेगा वाट पवन ऊर्जा संयंत्र को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के लिए डीपीआर और पीएफआर, सीएमपीडीआई के क्षेत्रीय संस्थान-7, भुवनेश्वर द्वारा तैयार किया गया है तथा स्थल चयन और अन्य क्रिया-कलाप वर्तमान में चल रही हैं।

सीएमपीडीआई ऊर्जा क्षेत्र में विविधीकरण के अंतर्गत यूसीजी परियोजना के विकास के लिए प्रयासरत है। सीएमपीडीआई, ईसीएल एवं इरगो एक्सर्जी टेक्नोलाॅजी इंक (ईईटीआई)-कनाडा के साथ संयुक्त रूप से ईसीएल लीजहोल्ड एरिया में कास्ता वेस्ट ब्लाॅक में भूमिगत कोयला गैसीकरण पायलट आरएंडडी प्रोजेक्ट क्रियान्वित कर रहा है जिसके द्वारा इंडियन जियो-माइनिंग कंडीशंस में भूमिगत कोयला गैसीकरण की संभाव्यता का आकलन किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट का प्रथम चरण अगले माह पूर्ण हो जाएगा।

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