अवैध खनन की खुली लूट, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

सोनभद्र । जिले में खनन नियमों की सख्ती भले ही कागज़ों में चमकती दिखे, लेकिन ज़मीनी हकीकत दुद्धी तहसील मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित कोरगी बालू साइट पर बिल्कुल उलटी कहानी कहती दिखाई देती है। यहाँ अवैध खनन का खेल इतना बेखौफ चल रहा है कि न सीमांकन की परवाह, न पर्यावरणीय मानकों की चिंता बस गाड़ियों की आवाजाही, मशीनों की गर्जन और नदी की छाती चीरते हुए दिन-रात बालू की निकासी।स्थानीय लोगों ने बताया कि साइट से इन्वाइस बिल पर बालू बेची जा रही है, जबकि बाहर जाने वाली भारी गाड़ियों को रात के अंधेरे में भरकर दूसरे क्षेत्र का परमिट थमा दिया जाता है। दूसरी ओर नदी की बीच धारा में बिना अनुमति रास्ता बनाकर जेसीबी और पोकलेन मशीनों से खनन जारी है।खनन की इतनी गहराई बना दी गई है कि पिछले समय में कई जानें इसी मौत की खाइयों में समा चुकी हैं। नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है और जलीय जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ चुका है।इन अनियमितताओं को लेकर बीडीसी संघ के ब्लॉक अध्यक्ष पीसी गुप्ता एडवोकेट ने आईजीआरएस पोर्टल पर खनन एवं पर्यावरणीय अनुमति की जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि कई बार संबंधित अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोरगी बालू साइट पर लीज सीमा से बाहर जाकर निरंतर अवैध खनन किया जा रहा है और विभाग कार्रवाई से बचता दिख रहा है।भारतीय खनिज विकास एवं विनियमन अधिनियम 1957, राज्य खनन नियमावली तथा पर्यावरणीय प्रभाव आकलन EIA के प्रावधानों के अनुसार नदी की धारा में खनन करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। नदी का स्वरूप बदलना, रास्ता बनाना या मशीनों से गहरी खुदाई करना कानूनन अपराध है। इसके बाद भी कोरगी बालू साइट पर नियमों की धज्जियाँ खुलेआम उड़ाई जा रही हैं, मानो कानून और पर्यावरण दोनों का कोई अस्तित्व ही न हो।भाजपा नेता सुरेन्द्र अग्रहरि ने इस पूरे प्रकरण पर जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि प्रशासन की सह पर अवैध खनन चल रहा है और यह सरकार की नीति के खिलाफ सीधी बगावत है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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