वाराणसी/ स्मृति व्याख्यान की अपनी विशिष्ट परम्परा के परिपे्रक्ष्य में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी द्वारा दिनांक 17 अक्टूबर 2025 को विश्वविश्रुत मनीषी, सनातनकवि महामहोपाध्याय आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी की पुण्यस्मृति के अवसर पर स्मृति-व्याख्यान आयोजित किया गया जिसका केन्द्रीय विषय ‘सनातनकवि महामहोपाध्याय आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी की ग्रन्थ सम्पादन’ पद्धति निर्धारित किया गया था। इस कार्यक्रम के मुख्यवक्ता प्रो० रमेश कुमार पाण्डेय (कुलपतिचर, श्री लालबहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) तथा अध्यक्षता प्रो० राजाराम शुक्ल (कुलपतिचर, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी) थे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम की, कला केन्द्र की स्थापित परंपरा के अनुकूल मंगलाचरण से हुआ, जिसे आचार्य द्विवेदी कि कनिष्ठ पौत्री संस्कृत छात्रा कुमारी अनुराधा द्विवेदी द्वारा कालिदास के रचित सभी मंगलाचरणों का पाठ प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् पुनः आगन्तुक अतिथियों के द्वारा देवी सरस्वती एवं स्वर्गीय आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी के चित्र पर पुष्पाञ्जलि अर्पित करने एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ। कला केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ० अभिजित् दीक्षित ने वाचिक स्वागत के द्वारा सभा में उपस्थित विद्वानों को सम्बोधित करते हुये कहा, ‘आज यहाँ मै इस सभागार में वर्तमान काशी की महनीय विद्वत् परंपरा उपस्थित है। कला केन्द्र अपने शास्त्रपरक दायित्व के अनुसार व्याख्यान आयोजित करता रहा है जिसमें स्मृति-व्याख्यानों की विशेष महत्ता है। इसी अनुसार श्रद्धेय आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी के स्मृति में विशेष व्याख्यान शृंखलाबद्ध रूप से आयोजित किये जाते रहे हैं’ उन्होंने व्याख्यान के लिए उपस्थित सभी आगन्तुक विद्वानों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
इसके पश्चात् कार्यक्रम के मुख्य भाग के रूप में व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रो० रमेश कुमार पाण्डेय ने आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी के के लेखन के विभिन्न उदाहरण को प्रस्तुत करते हुए उन्हें वर्तमानयुग के महाकवि कालिदास के अवताररूप में की। उन्हें सम्पादन कला के महत्त्व एवं इसकी वर्तमान काल में अनिवार्यता को प्रतिपादित किया। कार्यक्रम के अन्त में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो० राजाराम शुक्ल ने आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी के लेखकीय अवदान की चर्चा करते हुए उसके सूक्ष्म अन्वेषित पक्ष की व्याख्या की, उन्होंने कला केन्द्र द्वारा आयोजित इस स्मृति व्याख्यान के लिए साधुवाद दिया। डॉ० त्रिलोचन प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ० रजनीकांत त्रिपाठी ने किया।
उक्त कार्यक्रम में प्रोफेसर भगवत् शरण शुक्ल, प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा, प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी, प्रोफेसर शरदिन्दु पाण्डेय, प्रोफेसर गोपबन्धु मिश्र, प्रो. शोभा मिश्रा, डॉ स्वरवन्दना शर्मा, डॉ शांडिल्य ठाकुर, डॉ सिद्धधात्री, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ ओमप्रकाश सिंह, आदि विद्वानों सहित संस्कृत भारती के वरिष्ठ सदस्यों तथा काशी के विभिन्न कलासुधियों एवं विद्वानों के अतिरिक्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।

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