प्रदेश सरकार द्वारा 7713 गो आश्रय स्थलों में 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण-धर्मपाल सिंह

पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने महाकुंभ नगर में गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास पर की  समीक्षा बैठक* 

प्रयागराज/ महाकुंभ 2025 के अवसर पर प्रयागराज के संगम की पावन स्थली पर पर प्रदेश के पशुधन,दुग्ध विकास एवं राजनैतिक पेंशन विभाग के कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में पशुपालन एवं दुग्ध विकास की बैठक का आयोजन किया गया ।बैठक में निराश्रित गोवंश के संरक्षण, संरक्षण में आए संघर्षों के समाधान पशु कल्याण एवं विकास,दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा पशु स्वास्थ्य एवं संक्रामक रोगों से बचाव संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में कहा गया कि गाय के दूध के साथ साथ उसके गोबर एवं मूत्र के व्यावसायिक उपयोग  को संपूर्ण उत्तर प्रदेश में लागू किया जाएगा। बैठक में धर्मपाल सिंह ने पशुधन एवं दुग्ध विकास के कार्यों,उपलब्धियों  एवं भावी योजनाओं की चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।इस अवसर मंत्री जी ने गौ पूजन कर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया और लोकमंगल कामना की।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश सरकार द्वारा 7713 गो आश्रय स्थलों में 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। गोबर व गोमूत्र से बने उत्पादों के विपणन से इन स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। गोवंश के भरण-पोषण हेतु अनुदान को ₹30 से बढ़ाकर ₹50 प्रतिदिन किया गया है । मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख निराश्रित गोवंश को 1.05 लाख लाभार्थियों को सुपुर्द कर ₹1500 प्रति माह अनुदान की व्यवस्था लागू की गई है।

प्रदेश सरकार गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास के क्षेत्र में सतत प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए दुग्ध विकास विभाग द्वारा व्यापक योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने की दिशा में भी बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। माह जनवरी 2025 में प्रदेश के दुग्ध संघों का औसत दुग्ध उपार्जन 6.28 लाख किलोग्राम प्रतिदिन रहा, जबकि पीसीडीएफ के डेयरी प्लांट्स में 9 लाख लीटर प्रतिदिन दूध का प्रसंस्करण किया गया। भविष्य में इस प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत कानपुर (4 LLPD), गोरखपुर (1 LLPD) और कन्नौज (1 LLPD) के डेयरी प्लांट्स को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के माध्यम से संचालित करने की प्रक्रिया चल रही है। इससे दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों के माध्यम से उचित मूल्य पर दूध बेचने का अवसर मिलेगा और दुग्ध व्यवसाय से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

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