सीएमपीडीआई ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में कोयला गवेषण को बढ़ाने के लिए कार्यशाला आयोजित की

रांची ।  कोयला मंत्रालय (एमओसी) के तत्वावधान में सीएमपीडीआई ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में कोयला गवेषण को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करने के निमित्त गुवाहाटी-असम में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजित किया। इस कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि अजय कुमार तिवारी (भा0प्र0से0), अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह एवं खान, असम सरकार तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कोयला मंत्रालय के निदेशक (तकनीकी) बीरेन्द्र कुमार ठाकुर उपस्थित थे। इस कार्यशाला में अरूणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम के भूविज्ञान एवं खनन निदेशालयों (डीजीएम) और मेघालय के खनिज संसाधन निदेशालयों (डीएमआर) के प्रतिनिधियों, पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्यरत खान मालिकों और गवेषण एजेंसियों ने भाग लिया।

उक्त कार्यशाला में विशेष रूप से सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम (एनईआर घटक) के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एनईआर राज्यों में कोयला गवेषण की गति बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

इसके अलावा, वर्तमान में गवेषणाधीन ब्लॉकों (असम के 3 ब्लॉक्स, नागालैंड के 5 ब्लॉक्स एवं मिजोरम के 1 ब्लॉक) की राज्यवार गवेषण स्थिति पर चर्चा की गयी जिसमें चुनौतियों पर काबू पाने और काम में तेजी लाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया तथा आगामी ब्लॉकों में निविदा और विभागीय ड्रिलिंग दोनों के लिए प्रेरित किया गया। यह संगठित कोयला निष्कर्षण (निकासी) में तेजी लाने के लिए सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं को शामिल करने की मंत्रालय की रणनीति के अनुरूप है।

श्री ठाकुर ने आश्वस्त किया कि पूर्वात्तर क्षेत्र में कोयला गवेषण को समर्थन देने के लिए सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम (सीएसएस) के अंतर्गत पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने डीजीएम/डीएमआर को कोयला गवेषण को बढ़ाने के लिए अधिकतम प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया तथा क्षेत्र के समग्र विकास के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। 

पूर्वाेत्तर क्षेत्र में गवेषण कार्य अक्सर कठिन भूभाग और संभार-तंत्र संबंधी समस्याओं के कारण चुनौतीपूर्व होता है, लेकिन हाल की पहलों में मिजोरम में नई गवेषण परियोजनाएं और अरूणाचल प्रदेश में उन्नत चरण शामिल हैं।

इस कार्यशाला में पूर्वोत्तर में कोयला गवेषण में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय और सीएमपीडीआई की प्रतिबद्धता को मजबूत किया गया, जिसमें राज्यवार प्रगति के लिए स्पष्ट रोडमैप, सुनिश्चित वित्त पोषण और 2025-26 के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकारी एजेंसियों और निजी हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया गया।

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