झारखंड के स्वर्णिम 25 वर्षों में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड ने एक सशक्त सहयात्री के रूप में योगदान दिया 

आज झारखण्ड जहाँ अपने विकासयात्रा पर अनवरत गतिशील है वही सीसीएल इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहिया बनकर झारखण्ड की सफल कहानी में अपनी सार्थक भूमिका निभा रहा हैं

राँची। झारखंड अपनी प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक विरासत और कर्मशील लोगों के लिए प्रसिद्ध है। 15 नवम्बर, 2000 को राज्य गठन के बाद से झारखंड ने विकास के कई नए आयाम स्थापित किए हैं। इस 15 नवम्बर, 2025 को जब राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, इस गौरवपूर्ण यात्रा में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड ने एक सशक्त सहयात्री के रूप में योगदान दिया है। झारखंड के हृदय में बसे इस सार्वजनिक उपक्रम ने न केवल ऊर्जा उत्पादन की दिशा में देश को सशक्त बनाया है, बल्कि राज्य की सामाजिक, आर्थिक और मानवीय प्रगति में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

सीसीएल, कोल इंडिया लिमिटेड की एक सहायक कंपनी, झारखंड की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक इकाई है। अपने परिचालन से यह राज्य के राजस्व में प्रतिवर्ष बड़ा योगदान देती है। परंतु सीसीएल का योगदान केवल आर्थिक नहीं है; यह राज्य के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने वाला संवेदनशील संगठन भी है। अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) कार्यक्रमों के माध्यम से सीसीएल ने झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, खेल, पर्यावरण संरक्षण और आजीविका के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में सीसीएल का कुल CSR व्यय लगभग 80 करोड़ रहा, जिसे शिक्षा, आजीविका, स्वास्थ्य एवं पोषण, ग्रामीण विकास, खेल प्रोत्साहन तथा अन्य सामाजिक क्षेत्रों में व्यय किए गए। इनमें से 80 प्रतिशत राशि सीसीएल के परिचालन क्षेत्रों के 25 किमी दायरे में और शेष झारखंड के अन्य हिस्सों में खर्च की गई, जो दर्शाता है कि कंपनी का ध्यान “राज्य के भीतर ही राज्य के लोगों” पर केंद्रित है।

सीसीएल का मानना है कि किसी भी राज्य की असली ताकत उसकी युवा पीढ़ी है। इसी सोच के तहत कंपनी ने अनेक शैक्षणिक पहलें शुरू की हैं। रांची विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 65 करोड़ की लागत से 5000 सीटों वाली राज्य स्तरीय लाइब्रेरी का निर्माण सीसीएल कर रही है, जो विद्यार्थियों के लिए अध्ययन, अनुसंधान और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का एक आधुनिक केन्द्र बनेगी। इसके अलावा “प्रोजेक्ट डिजिटल विद्या” के अंतर्गत झारखंड के 8 जिलों के 193 सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम और कंप्यूटर लैब स्थापित किए गए हैं।

सीसीएल की सबसे चर्चित पहल हैं ‘सीसीएल के लाल’ और ‘सीसीएल की लाडली’, जिनके माध्यम से झारखंड के मेधावी परंतु आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को निःशुल्क आवासीय शिक्षा और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा हेतु कोचिंग दी जाती है। इस योजना से अब तक सैकड़ों विद्यार्थियों ने IIT, NIT और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश पाया है। यह योजना झारखंड के युवाओं के सपनों को उड़ान देने का सशक्त माध्यम बन चुकी है। सीसीएल ने झारखंड के अनेक जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए कई अभिनव कदम उठाए हैं। रामगढ़ में अक्षय पात्र फाउंडेशन के सहयोग से 50,000 बच्चों को प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराने हेतु केंद्रीकृत रसोईघर स्थापित किया जा रहा है। हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर की स्थापना से हजारों मरीजों को निःशुल्क सर्जिकल सुविधा मिल रही है। कंपनी ने लातेहार और चतरा जिलों में ‘निकषय मित्र’ पहल के तहत क्षय रोगियों को पौष्टिक आहार और परामर्श प्रदान कर TB मुक्त भारत अभियान को सशक्त किया है। स्वास्थ्य शिविरों, पोषण किट वितरण, और महिलाओं एवं वृद्धों के लिए विशेष योजनाएँ जैसे मल्टी एक्टिविटी सेंटर (MACE), इन सबके माध्यम से सीसीएल ने स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में स्थायी प्रभाव डाला है।

झारखंड सदैव प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की धरती रही है। सीसीएल ने इन प्रतिभाओं को मंच देने के लिए खेलगांव, रांची स्थित झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसायटी (JSSPS) के माध्यम से खेल अकादमी संचालित की है, जहाँ सैंकड़ों कैडेट्स ( जिसमें से ज्यादातर SC/ST एवं पिछड़े वर्ग के शामिल है) को निःशुल्क प्रशिक्षण, आवास, शिक्षा एवं पोषण उपलब्ध कराया जाता है। इन कैडेट्स ने अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीतकर राज्य और देश का गौरव बढ़ाया है।

इसके साथ ही कंपनी ने ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास हेतु CIPET के साथ मिलकर प्लास्टिक इंजीनियरिंग प्रशिक्षण, लोडर ऑपरेटर प्रशिक्षण, प्राकृतिक रंगाई एवं हथकरघा बुनाई परियोजना, तथा ई-रिक्शा वितरण योजना जैसी पहलें की हैं, जिससे हजारों युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भरता मिली है। सीसीएल ने पर्यावरण संरक्षण को अपने कार्य का अभिन्न हिस्सा बनाया है। कंपनी के खदान क्षेत्रों में धूल नियंत्रण, जल संरक्षण, खदानों में मत्स्यपालन, वृक्षारोपण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी गतिविधियाँ सतत रूप से चल रही हैं। आज लगभग 1 करोड़ पौधे सीसीएल के हरित अभियान का हिस्सा हैं, जो झारखण्ड की हरियाली को पुनर्जीवित कर रहे। आज झारखण्ड जहाँ अपने विकासयात्रा पर अनवरत गतिशील है वही सीसीएल इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहिया बनकर झारखण्ड की सफल कहानी में अपनी सार्थक भूमिका निभा रहा हैं।

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