आइसार्क द्वारा विश्व मृदा दिवस का आयोजन,मिट्टी की पुनर्जीवन पद्यतियों पर विशेष जोर

वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान– दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क), वाराणसी ने आज अपने परिसर में विश्व मृदा दिवस 2025 के उपलक्ष्य पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में मिट्टी के स्वास्थ्य के महत्व को सतत कृषि और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व के रूप में रेखांकित किया गया।

       कार्यक्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों से आए 30 किसानों, आइसार्क के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर मृदा प्रबंधन से संबंधित ज्ञान, स्वदेशी तकनीकों और व्यवहारिक समाधानों पर विचार-विमर्श किया। आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि मृदा स्वास्थ्य सतत कृषि और सुदृढ़ खाद्य प्रणालियों की आधारशिला है। उन्होंने मिट्टी के पोषण, संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि तारा चंद बेलजी जी ने “जैव संसाधन नवाचारों के माध्यम से मिट्टी के पुनर्जीवन की रणनीतियाँ” विषय पर प्रेरक मुख्य आख्यान दिया। उन्होंने मिट्टी की पुनर्जीवन में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक जैव संसाधन-आधारित समाधान की प्रासंगिकता को रेखांकित किया तथा बताया कि यह दृष्टिकोण वर्तमान कृषि चुनौतियों से निपटने में विशेष रूप से प्रभावी है।

     कार्यक्रम में मृदा स्वास्थ्य और सतत कृषि पद्धतियों पर सार्थक चर्चाएँ, किसानों और विशेषज्ञों के बीच अनुभव साझा करने और सहयोग बढ़ाने हेतु एक मजबूत मंच, जैव संसाधन सिद्धांतों पर आधारित मिट्टी पुनर्जीवन रणनीतियों पर विस्तृत सत्र, तथा मृदा स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने और पुनर्योजी कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक सुझावों का सार-संक्षेप प्रस्तुत किया गया। विश्व मृदा दिवस 2025 का यह आयोजन सतत कृषि को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक ज्ञान तथा नवाचारों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के प्रति इरी की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *