विश्व मृदा दिवस 2025 : मृदा और जल,जीवन का स्रोत —कृषि विज्ञान केन्द्र वाराणसी में हुआ कार्यक्रम

वाराणसी।आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, वाराणसी में प्रतिवर्ष की भांति 5 दिसंबर 2025 को विश्व मृदा दिवस “मृदा और जल, जीवन का स्रोत” विषय पर केंद्रित कर मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शैलेन्द्र कुमार, संयुक्त निदेशक कृषि, वाराणसी मण्डल तथा अमित जायसवाल, उप कृषि निदेशक, वाराणसी एवं राजेश राय, सह निदेशक मृदा, वाराणसी उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि  शैलेन्द्र कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मिट्टी अनमोल धरोहर है, इसके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने मिट्टी के आर्गेनिक कार्बन एवं पीएच स्तर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई।
उप निदेशक कृषि  अमित जायसवाल ने बताया कि विश्व मृदा दिवस मनाने की परंपरा वर्ष 2014 से शुरू हुई। विश्व मृदा विज्ञान संघ के प्रयास और थाईलैंड के राजा भूमिबोल के समर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2013 में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में घोषित किया।

सहायक निदेशक मृदा ने मृदा परीक्षण की उपयोगिता एवं विधियों पर विस्तृत जानकारी दी।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार सिंह ने मिट्टी एवं पानी की परस्पर निर्भरता को कृषि प्रणाली की रीढ़ बताते हुए कहा कि ये दोनों संसाधन हमारी खाद्य आपूर्ति में 95% से अधिक योगदान करते हैं।

सस्य वैज्ञानिक डॉ. अमितेश कुमार सिंह ने स्वस्थ मिट्टी और स्थायी मृदा प्रबंधन अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला।
गृह वैज्ञानिक डॉ. प्रतीक्षा सिंह ने विश्व स्तर पर मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर नीति निर्माण एवं जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 52% कृषि भूमि अवनत हो चुकी है, जो भविष्य के लिए गंभीर खतरा है।

कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. राहुल सिंह ने जैविक खेती के प्रोत्साहन एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के माध्यम से किसानों को होने वाले लाभों पर चर्चा की।

कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों —  राणा पियूष, अरविन्द, देवमणि, नगेंद्र, अशोक — सहित कुल 107 किसानों ने प्रतिभाग किया।

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