अघोर पीठ आश्रम, पड़ाव में हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया श्री सर्वेश्वरी समूह का 65वाँ स्थापना दिवस
पड़ाव वाराणसी/ श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना २१ सितम्बर को हुई जब दिन-रात बराबर होते हैं। यह यही दर्शाता है कि हम सभी मनुष्यों में कोई ऊँच-नीच नहीं होना चाहिए, मनुष्य-मनुष्य बराबर होने चाहिए- चाहे हम किसी धर्म के हों, किसी जाति के हों, किसी ओहदे पे हों, कोई भी अधिकारी हों, बड़े हों, छोटे हों। यह विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक और सामाजिक संस्था है और इसके द्वारा जनमानस की सेवा निरंतर होती रहती है। बहुत-से लोग जो भटके हुए हैं, दिशाहीन हैं, वह भी इसमें आते हैं या रहते हैं, उनके लिए भी कहा गया है कि सठ सुधरें सत्संगति पाई। जो सठ हैं उनके लिए भी प्रयत्न करते हैं कि भाई ! भटके हुए हैं, दिग्भ्रमित हैं तो उनको रास्ते पर लाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। जो नहीं सुधार करते हैं, अपनी उस मानसिकता को नहीं छोड़ पाते हैं, उनके साथ फिर ‘सठे साठ्यम समाचरेत्’ वाले व्यवहार को अपनाना पड़ता है। क्योंकि वे हमें इतना कमजोर भी न समझ लें। इसीलिए उनके जैसा आचरण भी करना पड़ता है ताकि उसमें भय उत्पन्न हो और उसमें विचार करने का एक स्रोत खुले, विचार करे कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए, ऐसे नहीं रहना चाहिए, हमें भी बदलना चाहिए।

हमें साधु और सैनिक दोनों के कर्तव्यों को करना है। जब राष्ट्र पर कोई कठिनाई आती है या कोई राष्ट्र-विरोधी तत्व आते हैं, रहते हैं, तो उनका भी हमें सामना करना होगा। वहाँ पर साधुताई नहीं चलेगी। वहाँ आपको एक सैनिक कि भांति कार्य करना होगा। जैसे एक सैनिक हमारे देश के दुश्मनों को मार देते हैं, दूर भाग देते हैं। यही वह शक्ति है जिसको हम सबको समझना होगा, अर्जित करना होगा। लेकिन हमलोग तो आपस में स्वयं ही लड़ रहे हैं, झगड़ रहे हैं- चाहे वह कोई संस्थायें हों, चाहे आपके घर-परिवार की कोई इकाई हो, उसमें कई तरह के लोग रह रहे हैं, चाहे माता-पिता हों, भाई-बहन हों, बेटा-बेटी हों, बड़े-छोटे हों, सब एक-दूसरे के पीछे लगे हुए हैं। सब का कारण है- कंचन मृग, जिसके पीछे आज हम अंधे होकर भाग रहे हैं। यह नहीं देख रहे हैं कि कब, कौन समाप्त हो जा रहा है। अनेक देशों में कहीं बमबारी हो रही है, सबकुछ खत्म हो जा रहा है। घर-द्वार, रिश्ते-नाते, बंधु-बांधव सब उजड़ जा रहे हैं, खत्म हो जा रहे हैं, मार दिए जा रहे हैं। उससे बचे तो प्राकृतिक आपदायें हैं। कहीं बाढ़ आ रही है, भूस्खलन हो रहे हैं और उसके नीचे समाप्त हो जा रहे हैं या किसी का एक्सीडेंट हो जा रहा है और प्राण चला जा रहा है। आजकल तो छोटे से लेकर बड़े तक किसी को भी चलते-चलते, खेलते-खेलते, बैठे-बैठे अचानक मृत्यु आ जाती है।
पूज्य बाबा जी ने कहा कि राष्ट्र-रक्षण के लिए हमें अपनी आहुति भी देनी हो तो दें, ताकि हमारी आनेवाली पीढ़ी सुरक्षित रहे। नहीं यदि हम अपने-आप को बचाए भागते फिरेंगे, समय पर अपना कार्य नहीं करेंगे तो फिर हम अपनी पीढ़ी को नहीं बचा सकेंगे। हमें राष्ट्र-रक्षण के साथ ही आत्मरक्षा भी करनी होगी। राष्ट्र-रक्षा और आत्म-रक्षा, दोनों करना होगा, तभी हम कुछ कर पायेंगे। जो आलस से युक्त हैं, जो दिग्भ्रमित हैं, जो मानसिक रूप से विकृत हो रहे हैं, उन्हीं के लिए यह संस्था सर्वेश्वरी समूह खोला गया कि ऐसे लोगों को सुधारा जाय। और ऐसे ही लोगों के लिए, आपलोगों के सहयोग से कार्यक्रम हो भी रहे हैं, जनसेवा के कार्यक्रम हो रहे हैं। आजकल आप-हम सभी जान रहे हैं कि कोई भी अच्छा काम करने में विघ्न जरूर आते हैं- चाहे वह सरकारी हों, चाहे वह कानून के हों। न्याय वगैरह तो खाली एक मुखौटा बन के रह गया है। न्याय लेने जाते हैं, तो न्याय नहीं मिलता है, क्योंकि आजकल कंचन-मृग के पीछे सभी लोग भाग रहे हैं। बोलते हैं कि कानून में ऐसा है। कानून में ऐसा है, तो अब न्यायालय नाम न रखा जाय, उसका कानूनालय नाम रख दिया जाय। ऐसी स्थिति ऊपर से लेकर नीचे तक व्याप्त है। कई लोग हैं जो उस प्रभुता को पाकर आपे से बाहर हो जाते हैं। वह अपने-आप को संभाल नहीं पाते हैं। जैसे बहुत सारा धन-संपत्ति जिसके पास आ जाए वह भी अपने-आप को संभाल नहीं पाता है। वह अनर्गल कार्य-कृत्य करने लगता है। उस तरह जो नशा करने लगते हैं वह भी अपने-आप में नहीं रहते हैं। वैसे ही प्रभुता पाने का, पद प्राप्त करने का भी नशा हो जाता है, तो दूसरे को हम कुछ नहीं समझते हैं, उसको गाली भी दे सकते हैं, उसको भगा भी सकते हैं, दुत्कार भी सकते हैं। तो ऐसा संस्थानों में नहीं होना चाहिए। हमारे आश्रमों में, आश्रम की शाखाओं में, चाहे यहाँ प्रधान कार्यालय में बहुत संभाल के रहना-करना चाहिए। हम भाषण दे देते हैं, भाषण सुना देते हैं, बोल देते हैं। लेकिन हम करते क्या हैं?

आज समय बहुत तेजी से बदल रहा है। मनुष्य का मस्तिष्क, मन अपने-आप में नहीं रह रहा है। इसीलिए हो सकता है इससे हमारा-आपका बहुत बड़ा नुकसान हो जाय और परेशानियाँ बढ़ जायें, घेर लें। यह भी हमें समझना होगा, सोचना होगा, सतर्क रहकर इस पर चिंतन करना होगा। खाली भाषण देने से अच्छा-अच्छा बोलने से नहीं होगा। ईश्वर ने हमको जो अपना विवेक-बुद्धि दिया है उसका इस्तेमाल करें और अच्छे से पेश आयें। अघोरेश्वर के विचारों को, संस्था के विचारों को सुनकर लोग प्रभावित होते हैं। आपका आचरण, आपका व्यवहार, आप किस तरह बोल रहे हैं, उस पर भी ध्यान देते हैं कि आप किस भाषा में बोल रहे हैं, किस शैली में बोल रहे हैं, आपकी मुख-मुद्रा कैसी है, आपकी शारीरिक-मुद्रा कैसी है, वह क्या कह रही है? उससे भी अंदाज लगता है मनुष्य को कि यह किस तरह का आदमी है, किस तरह से क्या बोलना चाहता है। मुझे आशा है, विश्वास है कि इस लघु गोष्ठी में हमलोग आए हैं तो इस पर अवश्य ध्यान देंगे। यहाँ पर लिखा भी हुआ है कि हे ईश्वर हमारे सहयोगियों को सद्बुद्धि दें। सबसे बड़ी बात यही है कि हममें सद्बुद्धि रहेगी, तो हम धन-वैभव के पीछे नहीं भागेंगे। हम अपने माता-पिता और बुजुर्गों से अच्छा व्यवहार करेंगे। संवेदनशीलता रहेगी, तो बहुत अच्छा भाईचारा रहेगा। एकता रहेगी, तो शक्ति रहेगी। एकता में शक्ति होती है। सत्य बोलने में शक्ति होती है। हमें शक्ति-संपन्न होना है। एक होकर, एक विचार होकर रहना है।

यह बातें श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने श्री सर्वेश्वरी समूह के ६५वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर आयोजित गोष्ठी में संस्था के सदस्यों, पदाधिकारियों और श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन में कहीं। गोष्ठी के अन्य वक्ताओं में कर्नल अमिताभ, डॉ. बामदेव पाण्डेय, अतुल यादव, सुभाष सिंह, सुरेश सिंह तथा देवेन्द्र सिंह थे। गोष्ठी में मंगलाचरण कुमारी राशि ने किया। सञ्चालन संस्था के पारसनाथ यादव ने किया और धन्यवाद् ज्ञापन अरविन्द कुमार सिंह ने किया।
इससे पूर्व आज रविवार, दिनांक 21 सितम्बर, 2025 को श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम, पड़ाव, वाराणसी में श्री सर्वेश्वरी समूह का 65वाँ स्थापना दिवस, संस्था के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में समूह के सदस्यों व पदाधिकारियों द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर सफाई-श्रमदान के साथ ही प्रातःकाल में 6 बजे एक पड़ाव आश्रम से चलकर प्रह्लादघाट-मछोदरी-मैदागिन-कबीरचौरा-लहुराबीर से कचहरी व पांडेयपुर होते हुए सारनाथ स्थित अघोर-टेकरी तक गई। वहाँ अवस्थित परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के चरणपादुका का पूजन व ध्वजोत्तोलन संस्था के मत्री डॉ. शिवपूजन सिंह ने किया। श्री पृथ्वीपाल द्वारा सफलयोनि पाठ के पश्चात् प्रसाद ग्रहण करके श्रद्धालुगण आशापुर, पांडेयपुर व चौकाघाट होते हुए जी टी रोड पर गोलगड्डा-कज्जाकपुरा से राजघाट पुल के रास्ते पड़ाव स्थित अघोर पीठ आश्रम पर पहुँचे। पड़ाव आश्रम में लगभग 9:15 बजे श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी कि प्रतिमा का पूजन व सर्वेश्वरी ध्वजोत्तोलन किया। अघोर शोध संसथान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार जी द्वारा सफलयोनि पाठ के उपरांत श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रभातफेरी में सबसे आगे मोटर साईकिल सवार चल रहे थे उसके पीछे समूह संस्थापक परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का बड़ा चित्र लगा वाहन फिर पीछे सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण अपने-अपने निजी वाहनों में सवार होकर प्रभातफेरी में सम्मिलित हुए।
उलेखनीय है कि श्री सर्वेश्वरी समूह की देशभर में फैली शाखाओं में भी उक्त कार्यक्रम संस्था के सदस्यों व पदाधिकारियों द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ हर्षोल्लासपूर्वक मनाया जा रहा है। वाराणसी में मडु़वाडीह (बनारस) स्टेशन के सामने स्थित अघोरेश्वर महाप्रभु की साधना-स्थली सर्वेश्वरी निवास प्रांगण, हाजी सुलेमान का बगीचा में भी उक्त कार्यक्रम बड़े ही उत्साहपूर्वक मनाया गया।

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