बघेल ताल से जुड़ी परियोजना पर 02.20 करोड़ रुपए आएगी लागत
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम ने बहराइच जनपद स्थित बघेल ताल (बघेल झील) को इको पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। यह आर्द्रभूमि (वेटलैंड) बहराइच-गोंडा मार्ग पर पयागपुर के दक्षिणी छोर के पास स्थित है। बघेल ताल अपनी प्राकृतिक जैव विविधता के लिए विख्यात है। अब इसे पर्यावरणीय संतुलन और पर्यटन की दृष्टि से पुनर्जीवित किया जाएगा। इस परियोजना पर लगभग 02.20 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
यह जानकारी उ0प्र० के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया, बघेल ताल उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े वेटलैंड्स में से एक है। इस परियोजना के माध्यम से झील के पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) को संरक्षित रखने के साथ-साथ पर्यटन की आधुनिक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि तकरीबन 51 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला बघेल ताल कभी प्रवासी पक्षियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र था। लेकिन, बीते वर्षों में उपेक्षा और अतिक्रमण के चलते इसका प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन महत्व कम हो गया। यह परियोजना झील की पुरानी पहचान लौटाने और इसे एक समृद्ध पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में अहम कदम है।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बघेल ताल परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह झील न केवल एक प्रमुख जल निकाय है, बल्कि प्रदेश की समृद्ध प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। पर्यटन विभाग इको टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए बघेल ताल के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ इसे पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए विकसित करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

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