सरसों की खेती में फास्फेटिक उर्वरक के रूप में एनपीएस का प्रयोग करें – जिला कृषि अधिकारी

*एनपीएस में नाइट्रोजन फास्फोरस के साथ-साथ सल्फर भी पाया जाता है-संगम सिंह*

पीसीएफ के बफर गोदाम, मोहाव का निरीक्षण कर 16 नमूने संग्रहीत कर जॉच हेतु भेजा गया

वाराणसी। किसान भाइयों को रबी में गुणवत्ता युक्त फास्फेटिक उर्वरक मुख्य रूप से डीएपी, एनपीएस, टीएससी की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु शुक्रवार को पीसीएफ के बफर गोदाम, मोहाव का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान पीसीएफ के प्रबंधक सौजन्य त्रिपाठी तथा लेखाकार अजय यादव एवं भंडार नायक उपस्थित रहे। इस दौरान बफर गोदाम में संरक्षित इफको, जीएसएफसी, मैट्रिक्स, पीपीएल, आईपीएल, एनएफएल, एचयूआरएल, कोरोमंडल और चंबल कंपनी के डीएपी, एनपीएस, एवं टीएसपी का गुणवत्ता परीक्षण हेतु नियमानुसार उक्त सभी कंपनियों का कुल सोलह नमूना संग्रहीत किया गया और गुणवत्ता परीक्षण हेतु शासन द्वारा नामित प्रयोगशाला को प्रेषित किया गया। परीक्षण परिणाम प्राप्त होने पर नियमानुसार अग्रतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह ने बताया कि रबी की फसल मुख्य रूप से सरसों, चना मटर एवं गेहूं की बुवाई हेतु किसान भाइयों को किसी भी उर्वरक की कमी न हो इसके लिए जनपद में  फास्फेटीक एवं नत्रजन उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण कर लिया गया है। किसान भाइयों को बताया गया है कि जिनको तिलहनी फसल के रूप में सरसों की खेती करनी है, वे सभी लोग फास्फेटिक उर्वरक के रूप में एनपीएस का प्रयोग करें। एनपीएस में नाइट्रोजन फास्फोरस के साथ-साथ सल्फर भी पाया जाता है। तिलहनी फसल के अच्छे उत्पादन तथा गुणवत्ता युक्त तेल प्राप्त हो इसके लिए सल्फर पोषक तत्व का दिया जाना अत्यंत आवश्यक होता है। एनपीएस के प्रयोग से एक ही साथ फसल को आवश्यकता के अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं सल्फर भी प्राप्त हो जाता है इस प्रकार किसान भाई कम लागत में अधिक गुणवत्ता युक्त सरसों का उत्पादन कर सकते हैं। इसी के साथ जनपद के समस्त उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया जाता है कि उक्त की जानकारी किसान भाइयों को दें जो किसान भाई सरसों की खेती के हेतु उर्वरक क्रय करने के लिए आ रहे हैं उनको प्राथमिकता के आधार पर एनपीएस उर्वरक निर्धारित दर पर उपलब्ध कराए।

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