मनोज पाण्डेय
झूंसी, प्रयागराज। वैश्विक हिंदी महासभा एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से रामकथा के प्रख्यात कथाकार स्व० सुलभ अग्निहोत्री की स्मृति में एक विशेष कार्यक्रम एवं पावस कवि गोष्ठी स्वागताध्यक्ष सुयश अग्निहोत्री के आवास पर संस्थाध्यक्ष साहित्यकार डॉ० विजयानन्द की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ०वीरेंद्र तिवारी तथा विशेष अतिथि व्रतशील शर्मा रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ पुष्कर प्रधान की सरस्वती वंदना से हुआ।
विषय प्रवर्तन करते हुए सुयश अग्निहोत्री ने बताया कि उनके अग्रज स्व०सुलभ अग्निहोत्री ने राम कथा पर पांच खंडों में विस्तृत उपन्यास लिखा है, उनके कई काव्य संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं ।कोरोना में उनका आकस्मिक निधन हो गया था। अध्यक्षता कर रहे डॉ० विजयानन्द ने कहा कि मैंने सुलभ अग्निहोत्री के उपन्यासों को पढ़ा है, उन्होंने बाल्मीकि रामायण को आधार बनाकर राम कथा को नया आयाम दिया है। कई कथानक उनके एकदम नए हैं। मुख्य अतिथि डॉ० वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि ऐसे महत्वपूर्ण लेखन करने वाले साहित्यकारों को मुख्यधारा में लाना चाहिए। विशेष अतिथि व्रतशील शर्मा का कहना था कि सुलभ अग्निहोत्री की कविताएं समकालीन संदर्भों को रसात्मक ढंग से प्रस्तुत करती हैं। कार्यक्रम के संयोजक अनुपम सिन्हा ने सुलभ अग्निहोत्री के रचनाधर्म के विविध संदर्भों को रेखांकित किया।
इसके उपरांत पावस कविगोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें डॉ० अरविंद श्रीवास्तव, डॉ० विजयानन्द डॉ० वीरेंद्र तिवारी, शैलेंद्र चौधरी, अनुपम सिंहा, रामकृष्ण द्विवेदी, सुयश अग्निहोत्री, गंगा प्रसाद त्रिपाठी मासूम, रीना अग्निहोत्री, पुष्कर प्रधान आदि ने रोचक काव्यपाठ किया। आभार ज्ञापन सुयश अग्निहोत्री तथा कुशल संचालन युवाकवि गंगा प्रसाद त्रिपाठी ‘मासूम’ ने किया।

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