क्षयरोग दिवस पर बीसीसीएल के सेंट्रल हॉस्पिटल मे ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ कार्यक्रम का आयोजन

धनबाद। केंद्र सरकार के टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत देशभर में इस कार्यक्रम को गति देने के उद्देश्य से विगत 07 दिसम्बर 2024 को प्रारंभ हुए 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विश्व क्षयरोग दिवस एवं उक्त कैंपेन के समापन दिवस पर आज बीसीसीएल के तत्वावधान में केंद्रीय अस्पताल, धनबाद (सीएचडी) में ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया| नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीबीईपी) के तहत आयोजित इस कार्यक्रम  का मुख्य उद्देश्य क्षय रोग (टीबी) के प्रति जागरूकता बढ़ाना, बीसीसीएल द्वारा टीबी उन्मूलन हेतु पिछले 100 दिनों में किये गए भिन्न कार्यों एवं प्रयासों को साझा करना और इस अभियान के तहत टीबी को मात देने वाले सफल मरीजों (टीबी चैंपियंस), वर्त्तमान में इसकी चिकित्सा करा रहे मरीजों (टीबी योद्धाओं) के सम्मान के साथ इस अभियान को सफल बनाने वाले डॉक्टर्स, नोडल पदाधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, पैरा-मेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ, वालंटियर्स एवं अन्य सपोर्ट स्टाफ एवं वर्कर्स का अभिवादन एवं सम्मान करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के स्वागत के साथ की गयी जिसमें मंचासीन अतिथियों का पुष्प-गुच्छ देकर स्वागत किया गया| कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक (कार्मिक,बीसीसीएल) श्री मुरलीकृष्ण रमैया ने की जिनके साथ बीसीसीएल की चिकित्सा सेवाए प्रमुख (सीएमएस) डॉ. पूनम दुबे, केन्द्रीय अस्पताल की सीएमस (प्रभारी) डॉ. बन्दना एवं श्री उदयवीर सिंह (विभागाध्यक्ष, जनसंपर्क, बीसीसीएल) मंच पर उपस्थित अन्य अतिथि थे|    

अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री रमैया ने टीबी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई को और तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ‘टीबी मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम सभी मिलकर जागरूकता फैलाएंगे और उपचार के लिए आगे आयेंगें। जन जागरूकता के जरिये टीबी को आसानी से हराया जा सकता है| हम सभी को अपने आसपास किसी भी संभावित टीबी रोगी की पहचान कर तत्काल उसकी सूचना संबंधित विभाग में देना चाहिए| जिससे टीबी पर प्रभावी रोकथाम हासिल किया जा सके|

सीएमएस डॉ. पूनम दुबे ने कहा कि ‘टीबी एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर की कार्यक्षमता को कम करता है, जोकि एक नेशनल ह्यूमन लॉस है। उन्होंनें यह कहा कि यह पूरी तरह से इलाज योग्य बीमारी है, लेकिन समय पर पहचान और उचित उपचार आवश्यक है। बीसीसीएल ने टीबी उन्मूलन के लिए अपने 100-दिनीय अभियान में सराहनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जो यह दर्शाता है कि जब समाज और संस्थान मिलकर प्रयास करते हैं, तो बड़े बदलाव संभव होते हैं।‘ उन्होंने सभी कर्मचारियों और उनके परिवारों को टीबी के लक्षणों के प्रति सतर्क रहने और नियमित स्वास्थ्य जांच कराने की अपील की।

डॉ. वंदना, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (प्रभारी), केंद्रीय अस्पताल ने कहा कि ‘टीबी का समय पर उपचार जरुरी है, अन्यथा यह एक गंभीर बीमारी बन सकती है| उन्होंनें बताया कि सामूहिक प्रयासों से न केवल बीमारी का इलाज संभव है, बल्कि इससे जुड़े मिथकों को भी तोड़ा जा सकता है।‘

100 दिवसीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी (टीबी, सेंट्रल हॉस्पिटल) डॉ. विकसित जयपुरियार ने पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिये 100 दिवसीय कार्यक्रम का विस्तृत ब्यौरा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की| उन्होनें बताया कि 07 दिसम्बर 2024 से 20 मार्च 2025 की अवधि में सेंट्रल हॉस्पिटल, धनबाद में कफ के कुल 660 नमूने एकत्रित किये गए, जिसमें  410 नमूनों का ट्रूनेट एग्जामिनेशन किया गया, जिसमें कुल 32 पॉजिटिव केस और 23 क्लिनिकल टीबी के रोगी मिले। सभी सीएचडी में इलाजरत है।

इसके बाद नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं द्वारा टीबी की रोकथाम एवं इसके प्रभावों से संबंधित एक प्रभावशाली नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें टीबी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रभावशाली ढंग से बताया गया। डॉ. प्रतिमा ने टीबी पर एक कविता प्रस्तुत की, जिसमें उन्होनें इस बीमारी से जुड़ी चिकित्सीय सलाह एवं अन्य परामर्शों को रचनात्मक रूप से व्यक्त किया। 

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में उन टीबी योद्धाओं और टीबी चैंपियंस का सम्मान किया गया जिन्होंने टीबी को हराकर न केवल स्वयं को स्वस्थ किया, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम का समापन  विनीत सिन्हा, प्रबंधक (कार्मिक) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ| कार्यक्रम में सभी एरिया के चिकित्सा पदाधिकारी सहित टीबी यूनिट स्टाफ के नीलू, रणजीत, नवीन, गौरी घोष सहित स्टेट टीम से उमेश कुमार चौधरी (वरीय चिकित्सा पर्यवेक्षक), ओमप्रकाश (वरीय यक्षमा प्रयोगशाला पर्यवेक्षक) उपस्थित थे|

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