उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा से वाराणसी में लगातार तीसरी बार काशी-तमिल संगमम् का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का कार्य जो कभी आदि शंकराचार्य ने किया था, वही कार्य आज के परिवेश में प्रधानमंत्री काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम के माध्यम से कर रहे हैं और ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना साकार हो रही है। प्रधानमंत्री जी का यह विजन लगातार जारी रहेगा।
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मुख्यमंत्री आज वाराणसी में काशी-तमिल संगमम् 3.0 कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने अपने सम्बोधन की शुरुआत तमिल भाषा में अतिथियों के स्वागत से की। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने जनपद वाराणसी में ’नमो घाट’ पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान तथा केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ एल0 मुरुगन की उपस्थिति में काशी-तमिल संगमम् 3.0 कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने काशी-तमिल संगमम् में आए मेहमानों का काशीवासियों, प्रदेशवासियों तथा प्रधानमंत्री की ओर से स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने नमो घाट पर महर्षि अगस्त्य के जीवन चरित्र पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार काशी-तमिल संगमम् नए भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए महर्षि अगस्त्य को समर्पित है। इस बार की थीम 4-एस पर आधारित है, जिनमें भारत की संत परम्परा, साइंटिस्ट, सोशल रिफॉर्मर व स्टूडेन्ट शामिल हैं। भारत की संत परम्परा आध्यात्मिक ज्ञान की प्रतीक है। हमारे साइंटिस्ट लौकिक जीवन के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं। सोशल रिफॉर्मर समाज की विकृति को दूर करने में अपना योगदान देते हैं तथा हमारे विद्यार्थी नये भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप देने का कार्य कर रहे हैं। इन चारों को मिलाकर और महर्षि अगस्त्य को ध्यान में रखकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा रहा है।
महर्षि अगस्त्य उत्तर भारत व दक्षिण भारत को जोड़ने वाले ऋषि थे। वह संस्कृत व तमिल भाषा को जोड़ने का सशक्त माध्यम रहे हैं। महर्षि अगस्त्य ज्ञान के विराट स्वरूप थे। श्रीराम तथा रावण युद्ध से सम्बन्धित ’आदित्य हृदय स्त्रोत’ देने वाले महर्षि अगस्त्य हैं। उनका सिद्ध चिकित्सा पद्धति का ज्ञान हम सबका मार्गदर्शन करता है। काशी-तमिल संगमम् में महर्षि अगस्त्य की सिद्ध चिकित्सा पद्धति से लोगों को जुड़ने का मौका मिलेगा। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में विगत 10 वर्षों में परम्परागत चिकित्सा पद्धति को देश में सम्मान मिला है। परम्परागत चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने के अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी प्राचीन काल से देश की आध्यात्मिक नगरी के साथ-साथ ज्ञान की नगरी के रूप में विख्यात रही है। ऐसे ही तमिल साहित्य दुनिया के प्राचीनतम साहित्यों में से एक है। शिक्षक, लेखक, उद्योग व व्यापार जगत से जुड़े लोग, मंदिर की व्यवस्था करने वाले तथा समाज जीवन से जुड़े विभिन्न लोग इस बार काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। उन्होंने पुरातन नगरी काशी की महिमा का वर्णन करते हुए बाबा विश्वनाथ, बाबा काल भैरव, माँ गंगा, माँ विशालाक्षी इत्यादि का उल्लेख किया। तमिलनाडु से आए मेहमानों को प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगाने और 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में बने श्रीराम मन्दिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। लोगों को वाराणसी, प्रयागराज तथा अयोध्या की संस्कृति से जुड़ने का अवसर भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ में अब तक 51 करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगायी है।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि इस बार काशी-तमिल संगमम् पर अगस्त्य ऋषि पर केन्द्रित है। अगस्त्य ऋषि की जयन्ती राष्ट्रीय सिद्ध दिवस के रूप में मनायी जाती है। संस्कृत भाषा की तरह तमिल भाषा भी देश की सबसे पुरानी भाषा है। इस बार केन्द्रीय बजट में ए0आई0 के माध्यम से देश के महान ग्रन्थों को संरक्षित करने के लिए प्राविधान किया गया है।
इस अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन हुआ, जिसमें तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने प्रतिभाग कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने काशी विश्वनाथ मन्दिर में दर्शन-पूजन किया।
ज्ञातव्य है कि काशी और तमिलनाडु के प्रमुख शहरों के बीच प्राचीन काल से चले आ रहे कला-सांस्कृतिक जुड़ाव को जीवंत रखने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम का आयोजन पिछले 02 वर्षों से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में किया जा रहा है। इस वर्ष इसका आयोजन 15 से 24 फरवरी, 2025 तक किया जा रहा है। काशी-तमिल संगमम् एक सांस्कृतिक उत्सव है, जिसका उद्देश्य उत्तर भारत और दक्षिण भारत की विविध पारम्परिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को एक साथ लाना है। इसमें तमिलनाडु के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
इस संगमम का आयोजन केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। इस आयोजन की जिम्मेदारी आई0आई0टी0 मद्रास और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की है। इस वर्ष भी संगमम में तमिलनाडु के लगभग 1200 लोग हिस्सा लेंगे, जो करीब 06 अलग-अलग समूहों में इस आयोजन के दौरान आयेंगे। प्रत्येक समूह में करीब 200 लोग आयेंगे। इस दौरान इन सभी लोगों को वाराणसी के साथ प्रयागराज एवं अयोध्या की यात्रा भी करायी जाएगी।
इस अवसर उत्तर प्रदेश के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल, आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 दयाशंकर मिश्र ’दयालु’ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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