श्री चित्रगुप्त भगवान : न्याय और कर्म के अदृश्य लेखाकार

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा उमा जगत निकेतन, संस्कृत नगर, भोगवार, मुगलसराय में विधि विधान के साथ पूजा का समापन 

चन्दौली। भारत भूमि देवताओं और ऋषियों की तपस्थली रही है, जहाँ हर युग में धर्म, न्याय और सत्य के पालन की प्रेरणा मिलती रही है। इन्हीं महान आदर्शों के प्रतीक हैं श्री चित्रगुप्त भगवान, जिन्हें “कर्मों के लेखाकार” और “धर्मराज यमराज के सचिव” के रूप में जाना जाता lशास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की, तब उन्होंने न्याय व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने कंठ से एक दिव्य पुरुष की उत्पत्ति की वही थे भगवान चित्रगुप्त। उनका नाम पड़ा चित्रगुप्त, जिसका अर्थ है “जो हर चित्र (कर्म) को गुप्त रूप से संजोकर रखते हैं।”

वे प्रत्येक जीव के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं और मृत्यु के पश्चात यमराज को बताते हैं कि आत्मा को स्वर्ग या नरक का अधिकारी बनना चाहिए।चित्रगुप्त जी केवल देवता नहीं, बल्कि सत्य, नीति और न्याय के संरक्षक हैं। उनका संदेश है कि मनुष्य को सदैव धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि हर कर्म का हिसाब एक दिन अवश्य होगा।

वे हमें यह सिखाते हैं कि ईमानदारी, सत्यता और परोपकार ही जीवन का वास्तविक धन है। यहां उपस्थित सभी लोग में थे जिसमें वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष राजनीतिक प्रकोष्ठ  डॉ आनंद श्रीवास्तव , राष्ट्र उपाध्यक्ष रतन श्रीवास्तव, राष्ट्र सचिव, संजय श्रीवास्तव, महासचिव सुनील श्रीवास्तव , जिला अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव ,प्रदेश सचिव देवेंद्र श्रीवास्तव  एवं कृष्ण मोहन श्रीवास्तव आदित्य नारायण श्रीवास्तव अंकित श्रीवास्तव विवेक श्रीवास्तव, यश श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, अवधेश श्रीवास्तव, रतन श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, सुभाष चंद्र श्रीवास्तव उपस्थित थे।

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