प्रधानों ने कहा कर्मचारियों की नियुक्ति कैसे हो इसका कोई निर्देश नहीं
बबुरी , चन्दौली । (शैलेश सिंह) ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआर सी सेंटर) अब सफेद हांथी साबित हो रहे हैं। जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इनका निर्माण किया गया था, अब अधूरा रह गया है । प्रधान और सचिवों की उदासीनता के चलते इनका संचालन बाधित हो गया है।
सरकार ने इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छता , पूनर्चक्रण और संसाधन प्रबंधन की दिशा में जागरुक करने की योजना बनाई थी । गांव में कूड़े के निस्ठाकेन्द्र और पुनर्चक्रण के लिए वाहन तो हैलेकिन कूड़ा-करकट आरआरसी सेंटर तक पहुंच ही नहीं पा रहे है। कुछ गांवों में पहुंच भी रहे हैं तो कूड़े को छनने के लिए कर्मचारी ही उपलब्ध नहीं है। जब की सरकार की मंशा थी कि कचरे को उनके गुण के अनुसार अलग-अलग एकत्रित करके उनका पूनर्चक्रण किया जाए। ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों का कहना है कि इन केंद्रों के लिए कर्मचारियों का मानदेय तय नहीं है और किस खाते से निकलेगा। यह स्पष्ट नहीं किया गया है। बजट की कमी का हवाला देते हुए प्रधानों ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। इसके कारण ये भवन निर्माण के बाद से ही बेकार पड़े हुए हैं। और गांवो में इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है।

सेन्टर का संचालन करना बड़ी चुनौती
आरआरसी सेंटरों का संचालन करना पंचायती राज विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। विभाग की ओर से इन्हें सक्रिय करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है । बिना उचित व्यवस्था के ये केंद्र सिर्फ़ दिखावटी ढांचा बनकर रह गये हैं। गांव वालों का कहना है कि यदी सरकार ने इतने पैसे खर्च कर के सेन्टर बनाए हैं तो उसके संचालन की भी उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। ग्रामीणों ने पंचायती राज विभाग और जिला पंचायत से मांग की है कि जल्द से जल्द इन केंद्रों को क्रियाशील बनाया जाए ताकि वे अपने मूल उद्देश्य को पूरा कर सकें।

गांव गिराँव हिंदी न्यूज़ पोर्टल पर आप – Latest Breaking News, देश, विदेश, खेल, मनोरंजन, राजनीति, क्राइम, ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, शिक्षा, लाइफस्टाइल, क्रिकेट से सम्बंधित सभी समाचार प्राप्त करते है।