वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग तथा श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु के मध्य एक पावन नवाचार के रूप में पवित्र तीर्थ जल के पारस्परिक आदान-प्रदान की परंपरा का शुभारंभ किया जा रहा है। ध्यातव्य है कि शास्त्रोक्त परंपरा में संगम त्रिवेणी जल से रामेश्वरम तीर्थ ज्योतिर्लिंग में रामनाथस्वामी के अभिषेक तथा रामेश्वरम कोडी तीर्थम से प्राप्त जल द्वारा श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के अभिषेक की अति विशिष्ट महत्ता है। इसी प्रकार रामेश्वरम सागर तट की रेत को प्रयाग संगम की रेत में मिलाने का भी विशेष महत्त्व शास्त्रों में वर्णित है। इसी शास्त्रोक्त आचार को संस्थागत करने की दिशा में आज सोमवार को सनातन धर्म के एक ऐतिहासिक गौरवमय क्षण को श्री काशी विश्वनाथ धाम में चरितार्थ करने का पुनीत कार्य संपन्न किया गया। यह पवित्र संगम जल आज श्रावण मास के पावन सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान श्री विश्वेश्वर से अवलोकित कराया गया।
तत्पश्चात विशेष समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के कर कमलों से यह पावन संगम जल एवं रेत, श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के देवकोट्टई जमींदार परिवार न्यास के प्रतिनिधि सी०आर०एम० अरुणाचलम एवं कोविलूर स्वामी को हस्तांतरित की गयी। इस अवसर पर कार्यक्रम में मंत्रीगण, महापौर, अन्य जनप्रतिनिधि गण के साथ ही साथ प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य एवं पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, मंडलायुक्त एस. राजलिंगम, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सहित बड़ी संख्या में गणमान्य श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।
श्रावण के तृतीय सोमवार की पवित्र तिथि को संपन्न इस विशिष्ट आयोजन के ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी भगवान् विश्वनाथ के प्रांगण एवं सुप्रसिद्ध त्रिशिखर की पृष्ठभूमि की दिव्यता ने यह नवाचार सदैव के लिए उत्तर दक्षिण की सांस्कृतिक समागम की परंपरा में अपना स्थान अंकित कर दिया है। श्री काशी विश्वनाथ धाम से प्रेषित जल का प्रयोग रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के प्रधान महादेव श्री रामनाथस्वामी भगवान का श्रावण मास में अभिषेक-पूजन हेतु किया जाएगा। इसी प्रकार, रामेश्वरम से भेजे गए पवित्र जल से श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर श्री विश्वेश्वर का जलाभिषेक विधिपूर्वक संपन्न किया जाएगा। यह विशेष सनातन नवाचार उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत के तीन महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों—काशी, प्रयागराज एवं रामेश्वरम के मध्य आध्यात्मिक एकता, सांस्कृतिक समन्वय एवं राष्ट्रधर्म की भावना को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक अभिनव प्रयास है।

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