वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान – दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क), वाराणसी में 27 से 31 जनवरी 2025 तक चावल और बाजरा कुकीज उत्पादन एवं सूक्ष्म उद्यमिता विकास पर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘चावल मूल्य संवर्धन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (SHG) आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने’ परियोजना के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में ओडिशा के विभिन्न जिलों से 10 महिला स्वयं सहायता समूह (WSHG) सदस्यों के साथ-साथ ओडिशा सरकार के मिशन शक्ति विभाग द्वारा नामित दो राज्य अधिकारियों ने भाग लिया। यह पांच दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम महिलाओं को खाद्य प्रसंस्करण, उद्यमिता विकास और बाजार तक पहुंचने की क्षमता से सशक्त बनाने पर केंद्रित था। इस दौरान व्याख्यान, व्यवहारिक प्रशिक्षण, लाइव डेमोंस्ट्रेशन और इंटरएक्टिव सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों को धान प्रसंस्करण, कुकी उत्पादन, पैकेजिंग, भंडारण तकनीकों और व्यावसायिक रणनीतियों की बारीकियों से अवगत कराया गया। इस प्रशिक्षण की खास बात यह रही कि प्रतिभागियों ने कला जीरा चावल से संपूर्ण अनाज कुकीज़ और कला जीरा चावल व बाजरा मिश्रित कुकीज़ बनाने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। साथ ही, उन्हें उन्नत कुकी ड्रॉपिंग और वायर-कट मशीनों के संचालन में भी प्रशिक्षित किया गया।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में इरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राबे याहया ने प्रतिभागियों को खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण के अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। समापन सत्र में इरी इंडिया के कॉरपोरेट सपोर्ट सर्विसेज के प्रमुख, श्री टी. सी. धौंडियाल ने प्रतिभागियों की सीखने की प्रतिबद्धता की सराहना की और इस सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। इस प्रशिक्षण के दौरान आइसार्क के वैज्ञानिकों और मिशन शक्ति विभाग के अधिकारियों ने ओडिशा में महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि कैसे ये समूह राज्य की आर्थिक समावेशिता और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान दे सकते हैं। डॉ. हमीदा इतागी, डॉ. विक्रम, श्री आलोकनाथ, और चावल मूल्य संवर्धन उत्कृष्टता केंद्र (सर्वा) की उत्पाद विकास टीम ने उत्पाद नवाचार, बाजार में जुड़ाव, ब्रांडिंग रणनीतियों और उद्यमिता के व्यावहारिक पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
प्रतिभागियों ने अपने नए कौशलों को अपने उद्यम शुरू करने और स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों, जैसे काला जीरा चावल और बाजरा, के मूल्य को बढ़ाने में उपयोग करने को लेकर उत्साह व्यक्त किया। इस प्रशिक्षण ने उन्हें व्यवसाय के अवसरों, ब्रांडिंग रणनीतियों और लागत-लाभ विश्लेषण की समझ भी दी, जिससे वे बाजार की प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए और अधिक सक्षम हो सकें।
समापन सत्र में डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम की सफलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने समुदायों में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरक नेतृत्व निभाने की सलाह दी। सर्वा के प्रमुख और परियोजना अन्वेषक, डॉ. नेसे ने अपने समापन संबोधन में कहा, “सशक्त महिलाएं पूरे समुदाय को सशक्त बनाती हैं। आइसार्क में सीखे गए कौशल न केवल आपके जीवन को बदलेंगे बल्कि ओडिशा के कृषि क्षेत्र के व्यापक विकास में भी योगदान देंगे।”
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आइसार्क, मिशन शक्ति विभाग और अन्य सहयोगी संस्थानों के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है, जो महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने, समावेशी विकास को सशक्त करने और ओडिशा की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्र आगे भी तकनीकी मार्गदर्शन, क्षमता निर्माण और बाजार से जुड़ाव के माध्यम से महिला उद्यमियों का समर्थन करेगा, जिससे भारत में चावल मूल्य श्रृंखला का संपूर्ण विकास हो सके।

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