जरूरतमंद बच्चों के लिए सहारा बनी एनटीपीसी कोलडैम की महिला समिति

विलासपुर । ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच बसा हिमाचल प्रदेश का कोलडैम इलाका — जहां प्रकृति की सुंदरता हर दिशा में बिखरी है, वहीं कुछ ज़िंदगियाँ रोज़ी-रोटी की लड़ाई में शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरत से भी दूर हैं। एनटीपीसी कोलडैम परिसर के आसपास कई ऐसे परिवार रहते हैं, जिनमें माता-पिता श्रमिक या घरेलू सहायक के रूप में काम करते हैं। कई एनटीपीसी कोलडैम में मेहनत-मजदूरी या घरेलू काम कर अपनी आजीविका चलाते हैं | इनमें से अधिकतर अभिभावक खुद ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, और आर्थिक सीमाओं के कारण अपने बच्चों की पढ़ाई में अधिक मदद नहीं कर पाते।

इन बच्चों के लिए स्कूल जाना तो संभव हो पाता है, लेकिन स्कूल के बाद की पढ़ाई या अतिरिक्त मार्गदर्शन मिलना मुश्किल होता है। घर पर पढ़ाई का अनुकूल वातावरण नहीं होता और न ही उन्हें कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जो उनके संदेह दूर कर सके या उन्हें पढ़ाई  के लिए प्रोत्साहित कर सके। इन चीजों से बहुत बार बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और कई बार वे पढ़ाई से कटने लगते हैं।

इन्हीं चुनौतियों को समझते हुए, एनटीपीसी कोलडैम की महिला समिति “संगिनी संघ” ने में एक पहल की शुरुआत की — उन बच्चों के लिए नि:शुल्क ट्यूशन कक्षाओं का संचालन, जिनके पास सीमित संसाधन हैं, लेकिन सीखने की गहरी चाह है। पिछले आठ महीनो से संगिनी संघ अपनी देख रेख में इन बच्चों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी उठा रहा है|

अक्टूबर 2024 में शिरु हुई इस पहल का उद्देश्य साफ था—उन बच्चों को अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता देना, जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। जब बच्चे कक्षाओं में आए, तो वे बेहद संकोची और आत्मविश्वास की कमी से जूझते नज़र आए। लेकिन संगिनी संघ की महिलाओं ने उनके साथ धैर्यपूर्वक काम किया। उन्होंने न केवल उन्हें पढ़ाना शुरू किया, बल्कि उनके साथ एक भरोसेमंद रिश्ता भी बनाया।

शुरुआत में, संगिनी संघ की स्वयंसेवी महिलाएं ही बच्चों को पढ़ाती थीं। बच्चों की जिज्ञासा और सीखने की ललक ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। समय के साथ, जब विषयों की विविधता और गहराई महसूस हुई, तो संघ ने विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद लेनी शुरू की। धीरे-धीरे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा। अब वे सवाल पूछने लगे हैं, उत्तर देने में संकोच नहीं करते और पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि साफ़ झलकती है।

कक्षा 1 से 9वीं तक के बच्चों को दो समूहों में बाँटकर नियमित कक्षाएँ शुरू की गईं, एक कक्षा 1 से 5वीं तक के बच्चों के लिए और दूसरी 6वीं से 9वीं तक के लिए। हर दिन का पाठ्यक्रम सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि इसमें खेल, रोचक गतिविधियाँ और बातचीत को भी शामिल किया गया । इस पहल में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि बच्चों के सामाजिक विकास का भी ध्यान रखा गया है। बच्चों के जन्मदिन मनाना, उनसे बातचीत करना और हर बच्चे से अपनापन बनाना—इन सब चीज़ों ने इन ट्यूशन कक्षाओं को एक परिवार जैसा बना दिया है।

हर शुक्रवार संगिनी संघ की अध्यक्ष और बाकी सदस्य खुद कक्षा में आते हैं। वे बच्चों से मिलते हैं, उनकी पढ़ाई की प्रगति देखते हैं और उनसे सुझाव भी लेते हैं। बच्चों से ऐसा जुड़ाव ही इस पहल को खास बनाता है।

धीरे-धीरे वही बच्चे जो एक शब्द बोलने में घबराते थे, अब आत्मविश्वास से उत्तर देते हैं। उनके चेहरे पर मुस्कान है, आँखों में चमक है और होठों पर सपने हैं। अब तक लगभग 20 बच्चे इस पाठशाला से लाभान्वित हो रहे हैं। इनमें से कई पहले बहुत पीछे थे, लेकिन अब पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और स्कूल में भी सक्रिय भागीदारी दिखा रहे हैं। उनके माता-पिता, जिनके पास कभी उम्मीद का कोई ठिकाना नहीं था, आज नम आँखों से एनटीपीसी और संगिनी संघ को धन्यवाद देते हैं। 

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