नौगढ़ की बेटी वंदना चौहान का राज्यस्तरीय कुश्ती में हुआ चयन, दे रहे हैं लोग बधाई  

जानिए, जंगल से अखाड़े तक वंदना का सफर 

चंदौली / जिले के नौगढ़ तहसील के वनवासी इलाके कर्माबांध गांव की बेटी वंदना चौहान ने अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष से कुश्ती के अखाड़े में एक नया इतिहास रच दिया है। राज्यस्तरीय जूनियर बालिका कुश्ती प्रतियोगिता में वाराणसी मंडल की टीम से उनका चयन हुआ है, जिससे न केवल उनके गांव बल्कि पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। 

*गरीबों को नहीं बनने दिया कमजोरी*

वंदना का परिवार साधारण आर्थिक स्थिति से आता है, लेकिन उन्होंने कभी गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। खेतों और जंगलों के बीच कठिन परिस्थितियों में रहकर भी उन्होंने अपनी कुश्ती की ट्रेनिंग जारी रखी। कभी मिट्टी के अखाड़े में, तो कभी बिना सही सुविधाओं के, उन्होंने केवल अपनी मेहनत और जज्बे के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। उनकी इस उपलब्धि पर युवक मंगल दल के संयोजक अजय कोल ने खुशी जाहिर की है।

वंदना चौहान के खेलो इंडिया के कोच अशोक सोनकर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कुश्ती के गुर सिखाए। कोच सोनकर का कहना है कि वंदना शुरू से ही एक जुझारू खिलाड़ी रही हैं और अपनी मेहनत से हर चुनौती को पार करने की क्षमता रखती हैं। बालिका के चयन पर  ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सुजीत सिंह उर्फ सुड्डू और पंचायत मझगावां के प्रधान प्रतिनिधि ईश्वर कोल ने बुधवार को बालिका को सम्मानित करते हुए हार्दिक बधाई दी।

*गांव से निकलकर राज्य स्तरीय मुकाबले तक*

वंदना चौहान ने कई स्थानीय और जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। शुरुआती दौर में संसाधनों की कमी के कारण उन्हें संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें कभी कमजोर नहीं होने दिया। उनका यह सफर दिखाता है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

*12 फरवरी को मऊ में दिखाएगी दमखम*

अब वंदना चौहान 12 फरवरी को मऊ में होने वाली राज्यस्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी। उनके चयन से न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे वनवासी क्षेत्र में हर्ष और उत्साह का माहौल है। स्थानीय लोग और खेल प्रेमी उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहे हैं। वंदना की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं। यह सिर्फ एक खिलाड़ी की सफलता नहीं, बल्कि ग्रामीण और वनवासी क्षेत्र की बेटियों की उम्मीदों की जीत है।

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