मातृभाषा को हमेशा महत्व देना चाहिए,लोगों को ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करना चाहिए – गुंजन कुमार सिन्हा

निदेशक मानव संसाधन की मंगलकारी उपस्थिति में राजभाषा माह का शुभारंभ

संकतोड़िया,। जन-जन की भाषा हिंदी एवं संघ की राजकाज की भाषा हिंदी के लिए दशकों से सितंबर माह का बहुत विशिष्ट स्थान रहा है। इस माह को पूरे राष्ट्र के साथ-साथ पूरा ईसीएल परिवार उल्लास, उमंग एवं उत्साह के साथ राजभाषा (हिंदी) माह के रूप में प्रति वर्ष मनाता आ रहा है। गत वर्ष की समरूपता के साथ इस वर्ष भी राजभाषा (हिंदी) के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए ईसीएल मुख्यालय सहित समस्त खनन क्षेत्रों में नानाविध कार्यक्रमों को संपन्न किया जाएगा। 

 02.09.2025, दिवस मंगलवार को ईसीएल के मानव संसाधन विभाग के सभा कक्ष में राजभाषा (हिंदी) माह, 2025 का शुभारंभ कार्यक्रम के साथ-साथ बांग्ला-हिंदी काव्य पाठ एवं हिंदी टंकण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक (मानव संसाधन) गुंजन कुमार सिन्हा की मंगलकारी उपस्थिति रहीं। 

सभा को संबोधित करते हुए निदेशक ने कहा कि बड़े संस्थानों में या शिक्षा के लिए विदेश जाने पर पहले वहाँ की भाषा सीखनी पड़ती है। लेकिन हमारे देश में पहले अंग्रेजी सीखनी पड़ती है। इसको अधिक महत्व दिया जाता है। अंग्रेजी पढ़ने या जानने वाले ज्यादा जानकार है, ऐसी लोगों की सोच है। लेकिन ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। हमें अंग्रेजीयत से मुक्त होना है। इस संकीर्ण मानसिकता से अपने आप को मुक्त करना है। अपनी भाषा, अपनी मातृभाषा को हमेशा महत्व देना चाहिए, उनका सम्मान करना चाहिए। राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष सितम्बर माह में राजभाषा माह मनाने की परंपरा रही है। यह बहुत सराहनीय कार्य है और लोगों को ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। इतना करना चाहिए कि राजभाषा माह मनाने की जरूरत ही न पड़े।

कार्यक्रम की अगले कड़ी में, भारत सरकार के हिंदी शिक्षण योजना के तहत पाँच महीनों तक चलने वाली प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ एवं पारंगत पाठ्यक्रमों की परीक्षा में उर्तीर्ण होने वाले कर्मियों को माननीय निदेशक (मानव संसाधन) द्वारा गृह मंत्रालय द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इसके पश्चात बांग्ला-हिंदी काव्य पाठ का शुभारंभ हुआ जिसमें ईसीएल कर्मियों की सक्रिय सहभागिता रहीं।

काव्य पाठ या कविता पाठ एक मनमोहक कार्यक्रम होता है। कविता क्या है? सूक्ष्म तौर पर अगर देखा जाए तो कविता एक आंतरिक भाव है और यही भाव जब शब्दों का रूप ग्रहण कर लेती हैं तब कविता की रचना होती है। कविता कल्पना, भाव, अनुभव और शिल्प का ऐसा समायोजन है जो मन को छू ले और सुन्दरता का अनुभव कराए। बांग्ला-हिंदी काव्य पाठ में हिंदी काव्य पाठ के समीक्षक के रूप में  अजय राय, वरिष्ठ प्रबंधक (वित्त) तथा बांग्ला काव्य पाठ के समीक्षक के रूप में वरिष्ठ बांग्ला कवि एवं पूर्व ईसीएल कर्मी वैद्यनाथ कर्मकार जी की गरीमामयी उपस्थिति रहीं। उक्त आयोजन के साथ-साथ हिंदी टंकण प्रतियोगिता भी हुई जिसमें 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सफल कर्मियों को 26.09.2025 को आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

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