कुपोषित बच्चों को नया जीवन-एनआरसी और ई-कवच के माध्यम से पुनरुत्थान

टीकाकरण और केवल स्तनपान में अनुकरणीय सुधार

लखनऊ डिजिटल माध्यमों में दक्षता: ई-केवाईसी, पोषण ट्रैकर और पारदर्शिमहिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य के निर्देशन में प्रदेश में संचालित ‘संभव’ अभियान ने बाल एवं मातृ पोषण की दिशा में उल्लेखनीय परिवर्तन लाते हुए राज्य की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की भूमिका को एक नई पहचान दी है। वर्ष 2024-25 में संभव अभियान 0.4 तक के विभिन्न चरणों में, जनपद वाराणसी, चंदौली, श्रावस्ती, उन्नाव व फर्रूखाबाद की कार्यकत्रियों ने पोषण सुधार के क्षेत्र में सराहनीय एवं अनुकरणीय प्रयास किए हैं। ये प्रयास न केवल कुपोषण की रोकथाम तक सीमित रहे, बल्कि समग्र स्वास्थ्य सुधार, मातृत्व सुरक्षा और किशोरी बालिकाओं की जीवन गुणवत्ता में भी सकारात्मक परिवर्तन लाए। प्रत्येक चयनित कार्यकत्री ने स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए सैम (गंभीर रूप से कुपोषित) बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया और उन्हें कुपोषण से बाहर लाने में सफलता प्राप्त की। 

उत्तर प्रदेश के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा संचालित “संभव अभियान” ने पोषण सुधार, मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं सामुदायिक जागरूकता के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। इस अभियान की सफलता के केंद्र में वे आंगनवाड़ी कार्यकत्रियाँ हैं, जिन्होंने निष्ठा, संवेदनशीलता और निरंतर प्रयासों से अपने-अपने क्षेत्रों में असंभव को संभव कर दिखाया। ये हैं हमारे गाँव, नगर और समाज की वो नायिकाएं जिन्होंने सेवा को मिशन बना दिया।

सरिता देवी ने संभव अभियान को अपने कार्यक्षेत्र में एक जनांदोलन में बदल दिया। 12 से 14 अधिक सैम बच्चों के पोषण सुधार हेतु स्वास्थ्य विभाग से सक्रिय समन्वय कर उन्हें जीवन की नई दिशा दी। एनआरसी में भर्ती दो बच्चों को गंभीर कुपोषण से बाहर निकालना उनके जमीनी प्रयासों का प्रमाण है। क्षेत्र में स्तनपान को लेकर जब उन्होंने 80 प्रतिशत तक जागरूकता फैलाई और टीकाकरण दर को 90 प्रतिशत तक पहुँचाया, तो यह साफ हो गया कि उनका नेतृत्व सिर्फ केंद्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समुदाय में प्रभावशाली है। किशोरी बालिकाओं के लिए पोषण एवं स्वच्छता शिक्षा देकर उन्होंने भविष्य को भी सुरक्षित किया।

चंदौली की सुजाता कुशवाहा ने अपनी सूझबूझ, सरलता और दृढ़ निश्चय से मातृत्व पोषण को गंभीरता से लिया। उन्होंने सैम बच्चों के लिए समय पर दवा, उपचार और पोषण योजना सुनिश्चित की। उनके अथक प्रयासों से 90 प्रतिशत बच्चों को 06 माह तक केवल स्तनपान कराया गया, और टीकाकरण की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ। किशोरियों के एनीमिया से लड़ने हेतु उन्हें पोषण शिक्षा, आई.एफ.ए. दवा का सेवन और जीवनशैली सुधार का प्रशिक्षण देना उनके मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है। पोषण ट्रैकर पर 100 प्रतिशत वजन और गृह भ्रमण रिपोर्टिंग कर उन्होंने डिजिटल दक्षता में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की।

श्रावस्ती के एक छोटे से गाँव से जुड़ी पानकली ने अपने काम से यह सिद्ध कर दिया कि संकल्प हो तो संसाधन बाधा नहीं बनते। उन्होंने 12 से अधिक सैम बच्चों को चिन्हित कर स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया और उन्हें पोषण सेवाओं से जोड़ा। 06 एनीमिक महिलाओं को भोजन, आयरन और परामर्श देकर सशक्त बनाया। स्तनपान और ऊपरी आहार जैसे विषयों पर जागरूकता फैलाकर उन्होंने समुदाय में पोषण संवाद की नींव रखी। किशोरियों की स्थिति में सुधार उनकी मेहनत का जीवंत प्रमाण है।

सजनी अवस्थी की कहानी सिर्फ सेवा की नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की भी है। उन्होंने 04 कुपोषित बच्चों को ई-कवच पोर्टल पर फीड कराकर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दिलाया। 05 किशोरी बालिकाओं को एनीमिया से निकालकर उन्हें पुनः शिक्षा से जोड़ना एक ऐसी उपलब्धि है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 64 महिलाओं को लाभ दिलाया और ईसीसीई के तहत बच्चों को शिक्षा से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। समुदाय में उनकी छवि एक भरोसेमंद जनसेविका की बनी है।

शमसाबाद की श्रीमती चन्द्रमुखी ने गंभीर कुपोषण से ग्रस्त 03 बच्चों को ई-कवच पोर्टल पर फीड कर एनआरसी में भर्ती कराया और सुधार सुनिश्चित किया। 09 अन्य बच्चों को समुदाय के सहयोग से सामान्य पोषण स्थिति में लाना उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचायक है। उनकी डिजिटल सक्षमता इस बात से साबित होती है कि पोषण ट्रैकर पर 100 प्रतिशत ई.के.वाई.सी. और प्रमाणीकरण कार्य पूर्ण हुआ। लगातार तीन वर्षों से उनके विरुद्ध कोई शिकायत आई.जी.आर.एस.पोर्टल पर नहीं आना, उनके अनुशासन और कार्यकुशलता का प्रतीक है। सभी स्वास्थ्य अभियानों में सक्रिय सहयोग और मातृ समिति की प्रभावी बैठकों ने लो बर्थ वेट की समस्या में भी कमी लाई है।

इन पाँच आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की कहानी “संभव अभियान” की असली तस्वीर है। ये केवल आँकड़े नहीं, बल्कि विकास की वे कहानियाँ हैं जो उत्तर प्रदेश के गाँव-गाँव में गूंज रही हैं। इनकी कार्यशैली, संवेदनशीलता और समर्पण प्रदेश को पोषण युक्त, स्वस्थ और जागरूक समाज की ओर ले जा रहा है।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग इन कार्यकत्रियों के योगदान को सम्मानपूर्वक नमन करता है और यह विश्वास व्यक्त करता है कि इनके जैसे हजारों कार्यकत्रियाँ “संभव” को “साकार” करती रहेंगी।

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