भारत ने दुनिया को विश्वविद्यालयों की एक श्रृंखला दी,पढ़ना और आगे बढ़ना भारत की परम्परा का हिस्सा – योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री ने गोमती पुस्तक महोत्सव का उद्घाटन किया

यह पुस्तक मेला 20 से 28 सितम्बर, 2025 तक लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित किया जाएगा

आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों तथा विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पुस्तकें भेंटकर सम्मानित किया

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय मनीषा के ज्ञान की अवधारणा बहुत विराट है। भारतीय मनीषा ने शब्द को ब्रह्म माना है, ब्रह्म ही सत्य है। भारतीय ऋषि कहते हैं कि ब्रह्म से उत्पन्न विचार कभी समाप्त नहीं हो सकते हैं। अच्छी पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी साथी हैं। अच्छी पुस्तक सदैव योग्य पथ-प्रदर्शक बनकर जीवन को आगे बढ़ाने में सहायक होती है। हमें सामूहिक रूप से पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। प्रदेश के युवा स्मार्टफोन पर समय देने के बजाय केवल 01 घण्टा रचनात्मक पुस्तकों को दें, तो उनका जीवन अधिक सकारात्मक और कल्याणकारी होगा।

मुख्यमंत्री आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय में गोमती पुस्तक महोत्सव के चतुर्थ संस्करण का उद्घाटन करने के पश्चात आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक मेला 20 से 28 सितम्बर, 2025 तक लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने दुनिया को विश्वविद्यालयों की एक श्रृंखला दी है। दुनिया के पहले विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय का नाम भगवान श्रीराम के अनुज भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर पड़ा। इस विश्वविद्यालय में विज्ञान, गणित, साहित्य, खगोल तथा ज्योतिष के कई विद्वान थे। आयुर्वेद में सर्जरी के जनक सुश्रुत का सम्बन्ध भी तक्षशिला विश्वविद्यालय से था। पाणिनि का व्याकरण इसी विश्वविद्यालय से आगे बढ़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें लेखन तथा चिन्तन प्रक्रिया को आत्म मंथन कर पुनः मजबूती से आगे बढ़ाना होगा। हमारे शिक्षण और धार्मिक केन्द्रों को इसका आधार बनना पड़ेगा। मौलिक कृति पर विचार तथा चिन्तन होना चाहिए। मौलिक कृति के लिए किए गए प्रयास हमें यशस्वी बनाएंगे। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित मौलिक कृति महाकाव्य रामायण भगवान श्रीराम पर आधरित है। तुलसीदास जी ने लौकिक भाषा अवधी में श्रीरामचरितमानस रचकर सुख और दुःख प्रत्येक पक्ष में श्रीराम के चरित्र को लोगों के अन्तर्मन में स्थापित कर दिया। पितृ पक्ष के प्रारम्भ होते ही, रामलीलाओं का मंचन किया जाता है। यह गांव-गांव में अगले दो-तीन माह तक आयोजित होंगे, जिसमें गांव के कलाकार प्रतिभाग करते हैं। ऐसे आयोजन सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकात्मता का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। रामायण जैसी मौलिक कृति रचयिता को अमर कर देती है। हम मौलिक कृति को अच्छी पुस्तकों के सान्निध्य में आगे बढ़ा सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी एक हद तक सहायक हो सकती है, लेकिन वह सब कुछ नहीं है। यदि आप डिजिटल लाइब्रेरी, वर्चुअल तथा डिजिटल क्लास के साथ जुड़े हैं, तो उसके लिए आवश्यक समय देने के बाद शेष चार से पांच घण्टे अपने पाठ्यक्रम तथा उससे इतर अच्छी पुस्तकों को दें। इससे सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। इस पुस्तक मेले में 250 से अधिक प्रकाशकों की हजारों पुस्तकें मौजूद हैं।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 10 आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों तथा विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, सलाहकार मुख्यमंत्री अवनीश कुमार अवस्थी, नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत के अध्यक्ष प्रो0 मिलिन्द सुधाकर मराठे, नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत के निदेशक युवराज मलिक, लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 मनुका खन्ना, लेखक, फिल्म निर्माता और इतिहासकार डॉ0 चन्द्र प्रकाश द्विवेदी उपस्थित रहे।

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