स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक एतिहासिक घटनाओं में काकोरी की घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण – जिलाधिकारी

लखनऊ में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम का जनपद में हुआ सजीव प्रसारण

‘वतन हमेशा रहे शाद काम और आजाद, हमारा क्या है अगर हम रहे रहे न रहे-सीडीओ

भदोही । काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी महोत्सव समापन समारोह जनपदीय कार्यक्रम केएनपीजी सभागार ज्ञानपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरूद्ध त्रिपाठी, भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक मिश्रा, जिलाधिकारी शैलेष कुमार, मुख्य विकास अधिकारी बाल गोविन्द शुक्ल व शहीदों के परिजनों की उपस्थिति में दिव्यता व भव्यता से हुआ। साथ ही लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में  मुख्यमंत्री के सम्बोधन एवं कार्यक्रम का सजीव प्रसारण भी किया गया। इस अवसर पर स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल पर झण्डा वितरण कार्यक्रम, तिरंगा मेला, एक पेड़ मॉ के नाम वृक्षारोपण, छात्राओं द्वारा निर्मित तिरंगा राखी को पुलिस कर्मियों को बांधा गया। सूचना विभाग द्वारा काकोरी विषयक अभिलेख व साहित्य प्रदर्शनी व विशेष लेख के माध्यम से काकोरी के शहीदों को जनमानस तक पहुॅचाया गया। राष्ट्रपति पुरस्कृत व भारत के महान किस्सागों/दास्तानगों डॉ0 हिमांशु बाजपेयी द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन की कहानी को रोचक व आकर्षक ढंग से सुनाया गया। जिसमें यर्थाथ, मनोरंजन व संवाद की त्रिवेणी प्रभावित हुई। जनपद की ब्रम्हकुमारी बहनों ने  जनप्रतिनिधियों, डीएम, सीडीओ व सभी अधिकारियों को तिरंगा राखी बांधकर नशा मुक्ति की शपथ दिलाई।
भारत स्काउट गाईड के बच्चों द्वारा राष्ट्रधुन का वादन किया गया। राज्यस्तरीय कार्यक्रम प्रसारण के द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन विषयक लघु फिल्म के प्रसारण के माध्यम से जनपदवासियों को काकोरी घटना की महत्व से परिचित कराया गया। 
जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरूद्ध त्रिपाठी ने कहा कि निरंकुश ब्रिटिश सत्ता को चेतावनी देने व धन एकत्र करने के निमित्त पहली बड़ी कार्यवाही काकोरी में 09 अगस्त 1925 को की गयी। यह घटना काकोरी घटना के नाम से प्रसिद्ध है। काकोरी ट्रेन एक्शन में शामिल सभी 26 क्रान्तिकारियों को नमन करते हुए कहा कि आज हम सभी को उनके सिद्धान्तों व आदर्शाे को अपनाने की आवश्यकता है। जिन्होंने स्वाधीनता समर की वेदी में हसते-हसते अपने प्राणों की आहूति देकर देश को स्वतंत्र कराया। उन सभी की जिन्दगी व शहादत देश की नवजवानों के लिए आदर्श है।  
जिलाधिकारी शैलेष कुमार ने बताया कि स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक एतिहासिक घटनाओं में काकोरी की घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य सशक्त क्रान्ति के माध्यम से औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेकना और एक संघीय गणतंत्र संयुक्त राज्य भारत की स्थापना करना था। 09 अगस्त 1925 को लखनऊ जनपद के काकोरी में क्रान्तिकारियों द्वारा चलाये जा रहे स्वतंत्रता आन्दोलन को धन की आवश्यकता हेतु क्रियान्वयन किया गया था।
भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक मिश्रा ने काकोरी टेªन एक्शन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चौरी-चौरा घटना के द्वारा गॉधी जी द्वारा 11 फरवरी 1922 को बारदौली में असहयोग आन्दोलन को स्थगित करने की घोषणा की गयी। यह निर्णय क्रान्तिकारी आन्दोलन को पुनः जीवित करने में एक महत्वपूर्ण कारक रहा। आजादी के दिवाने क्रान्तिकारी नवयुवक भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए कटिबद्ध है।
उपर्युक्त अतिथियों द्वारा अमर शहीद बलिदानियों के परिजनों को-शहीद झूरी सिंह के पपौत्र रामेश्वर सिंह, स्वतंत्रता सेनानी पारस नाथ मौर्य के पुत्र प्रमोद चन्द्र मौर्य, पद्म श्री विजेता डॉ0 कपिलदेव द्विवेदी के पुत्र डॉ0 भारतेन्दु द्विवेदी आदि को अंगवस्त्र व मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया गया तथा कहा गया कि आपके पूर्वजों के शहादत के प्रति जनपद व देश कृतज्ञ रहेगा।
किस्सागो डॉ0 हिमांशु बाजपेयी ने काकोरी दस्तानगोई में बताया कि क्रान्तिकारी आन्दोलन के द्वितीय चरण के चौरी-चौरा घटना से असहयोग आन्दोलन को बन्द करने की घोषणा के बाद क्रान्तिकारियों ने भारतीय जनता में गॉधी जी की अहिंसा वाद की नीतियों की निरर्थकता के प्रति जागृत उत्पन्न करने, पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रत्यक्ष कार्यवाही तथा क्रान्ति की आवश्यकता का प्रदर्शन करना, अंग्रेजी साम्राज्य विचारधारा से प्रेरित भारत में संघीय गणतंत्र की स्थापना करना। उपर्युक्त कार्याे के लिए धन एकत्रित करने हेतु सरकारी कोषों को अपना निशाना बनाने के निश्चय के क्रम में 09 अगस्त 1925 को सहारनपुर-लखनऊ में 8 डाउन रेलगाड़ी में सफलता पूर्वक लूटा, इस केश में कुल 29 क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर काकोरी मुकदमा चलाया गया। 17 लोगों को लम्बी सजाये, 4 को आजीवन कारावास, तथा 4 क्रान्तिकारियों को रामप्रसाद बिस्मिल, असफाक उल्ला खॉ, ठाकुर रोशन लाल, तथा राजेन्द्र लाहिड़ी को क्रमशः गोरखपुर, फैजाबाद, इलाहाबाद, तथा गोड़ा में फॉसी दी गयी। उन्होंने बताया कि रामप्रसाद बिस्मिल जी ने अपने अन्तिम शब्दों (अपनी आत्मकथा) द्वारा देशवासियों को एकता व संदेश दिया-‘‘मरते बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से, होंगे पैदा सैकड़ों इनके रूधिर की धार से।’’
इस अवसर पर सूचना एवं संस्कृति विभाग के कलाकार अजय दूबे, रमेश भॅवरा, रागिनी, वशिष्ट मिश्रा की टीम द्वारा काकोरी शहीदों की शहादत पर आधारित नाटक/सांस्कृतिक कार्यक्रम का जब मंच से वीर रस भाव से मंचन किया गया तो सारी जनता जनार्दन की ऑखे उनके शौर्य गाथा को सुनकर गमगीन हो गयी और शहीदों के जय-जय कारे लगने लगे। माहौल पूरी तरह से राष्ट्रीयता रंग में रंग गया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विकास चौधरी ने जनपद के बेसिक विद्यालयों के बच्चों द्वारा प्रभात फेरी निकाली गयी। जिसमें बच्चें राष्ट्रभक्ति सम्बन्धित नारे लिखे तख्ती लिये गाया व बजाया गया। प्रभात फेरी के समापन पर शिक्षकों द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन का वृतांत बच्चों को सुनाकर मिष्ठान का वितरण किया गया। शासन निर्देश के क्रम में सेवा समर्पण के अन्तर्गत विभिन्न संगठनों एवं स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। अस्पतालों में फल व मिष्ठान का वितरण किया गया। ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में विशेष रूप से शहीद स्मारकों, शहीद पार्काे, अमृत वाटिकाओं, अमृत सरोवरों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। एक पेड़ मॉ के नाम कार्यक्रम में जनपदवासियों ने व्यापक वृक्षारोपण कर शहीद स्मृति उपवन की स्थापना भी किया। सूचना विभाग द्वारा अभिलेख व चित्र प्रदर्शनी, देशभक्ति आधारित पुस्तक, होर्डिग्स आदि के माध्यम से जनमानस में देशभक्ति व चेतना का भाव जागृत किया गया।

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