धान की सीधी बुवाई से किसानों को मिल रहा लाभ, पैदावार में बढ़त से आय में हो रही वृद्धि

 वाराणसी(जक्खिनी)। अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) की धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) को बढ़ावा देने की मेहनत अब रंग ला रही है| केंद्र द्वारा इस तकनीक को किसानों तक पहुँचाने हेतु अथक प्रयास किये जा रहें हैं| हाल ही में जिले के आराजीलाइन विकास खंड के पनियारा गांव में सीधी धान की बुवाई तकनीक से तैयार हुई फसल की कटाई में पाया गया कि 14 प्रतिशत नमी पर  67 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार हुई है जो पहले 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. शुक्रवार को हुई इस कटाई के अवसर पर कृषि उपनिदेशक अमित जायसवाल व कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अमितेश सिंह एवं आइसार्क के वैज्ञानिक मौजूद रहे|

    आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह के नेतृत्व में धान की सीधी बुवाई को बढाने हेतु पनियारा गाँव में इर्री की वैज्ञानिकों ने स्थानीय कृषि संस्थानों के साथ मिलकर युद्ध-स्तर पर कई मुहिम चलायी हैं| मई महीने से शुरू हुई इस अभियान के अंतर्गत गाँव के कुल 19 प्रगतिशील किसानों के साथ मिलकर 55 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बुवाई का सफल प्रदर्शन किया गया| इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वाहन पर प्रदेश भर के 21 जिलों में यूपी अग्रीस परियोजना के अंतर्गत धान की सीधी बुवाई को किसानों तक पहुंचाने के लिए इरी द्वारा व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा| हाल ही में इरी ने वाराणसी में इस तकनीक पर एक वैश्विक सम्मलेन का भी आयोजन किया था जिसमे प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ 15 देशों से आये लगभग 300 से ज्यादा विशेषज्ञों ने भाग लेकर डीएसआर के प्रसार पर चर्चा की।

        फसल कटाई के मौके पर उपस्थित कृषि उप निदेशक अमित जायसवाल ने धान की सीधी बुआई विधि की सराहना करते हुए कहा कि इस विधि से धान खेती की लागत में काफी कमी आई है। समय से बुआई के कारण रबी सीजन की फसल भी समय से बुआई हो पाएगी, जिससे रबी की फसल की उपज भीअच्छी होगी। उन्होंने बताया कि सरकारी पोर्टल में ‘इन-सीटू’ मशीन एवं बेलर के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी योजना चालू है। अतः ज्यादा से ज्यादा किसान इसका फायदा उठायें| 

     आइसार्क के वैज्ञानिक डॉ सूर्यकांत खंडाई ने कहा कि पनियारा गांव के किसानों ने इस विधि को अपनाकर अपने धान की खेती की लागत कम की है जो कि आस-पास के किसानों में एक प्रेरणा स्रोत बना है। गेहूं की समय से बुआई करने से फसल पकते समय बढ़ते तापमान का असर कम होता है। इस मौके पर इरी के गोपाल पांडे व गोबिन्द सिंह ने बताया कि रबी सीजन में भी बिना जुताई के गेहूं की समय पर बुआई इस समूह के माध्यम से कराए जाने की योजना है, जिससे गेहूं की खेती में भी लागत में काफी कमी आएगी और उपज में वृद्धि होगी। किसानों ने इस तकनीक को सराहते हुए इस विधि से धान और बिना जुताई के गेहूं की खेती करने में विश्वास व्यक्त किया। इस मौके पर प्रगतिशील किसान लल्लन दूबे,अरविंद पांडेय, राजेश मिश्रा, जितेंद्र मिश्रा, ऋतुराज मिश्रा, बृजेश सिंह, ताराशंकर सिंह समेत 20 से अधिक किसान उपस्थित रहे।

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