पुस्तक समीक्षा : मनोविज्ञान और आत्मविश्लेषण का समन्वय: ख़ुशी का ओ.टी.पी.

ख़ुशी बाहरी दुनिया में खोजने की चीज़ नहीं, बल्कि हमारे अपने भीतर छिपी होती है

उमेश कुमार सिंह

डॉ.अंजु दुआ जैमिनी की पुस्तक ‘ख़ुशी का ओ.टी.पी.’ एक अद्भुत मनोवैज्ञानिक, आत्मविश्लेषणात्मक और प्रेरणादायक कृति है, जो पाठकों को जीवन में वास्तविक खुशी पाने का मार्ग दिखाती है। यह पुस्तक न केवल मन के रहस्यों को उजागर करती है, बल्कि मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के माध्यम से पाठकों को स्वयं को पहचानने और आत्मविकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

आज के समय में अधिकांश लोग अकेलेपन और मानसिक असंतोष से जूझ रहे हैं। सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत जीवन में उथल-पुथल के कारण खुशी एक दुर्लभ तत्व बनती जा रही है। डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक ख़ुशी का ओ.टी.पी. जिसके लेखिका डॉ. अंजु दुआ जैमिनी है। इस पुस्तक में लेखिका ने यह संदेश दिया है कि खुशी कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही विद्यमान है। इसे खोजने के लिए हमें अपने मन को समझना होगा, अपने विचारों को संतुलित करना होगा और सकारात्मक जीवनशैली अपनानी होगी।

पुस्तक का शीर्षक ‘ख़ुशी का ओ.टी.पी.’ डिजिटल युग की भाषा में एक सुंदर प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार ऑनलाइन लेन-देन के लिए वन टाइम पासवर्ड (OTP) की आवश्यकता होती है, उसी तरह जीवन में सही समय पर सही निर्णय लेना भी आवश्यक है। लेखिका इस पुस्तक के माध्यम से यह स्पष्ट करती हैं कि अगर हम समय पर खुशी को पकड़ नहीं पाते, तो वह हाथ से निकल जाती है। यह पुस्तक केवल मोटिवेशनल बातें नहीं करती, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मन के कार्य करने की पद्धति को समझाने का प्रयास करती है। लेखिका ने मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को आत्ममंथन के साथ जोड़ा है, जिससे पाठकों को आत्मविश्लेषण करने और अपने मन की शक्ति को पहचानने की प्रेरणा मिलती है। पुस्तक में जीवन के विभिन्न पहलुओं को रोचक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझाया गया है। इसमें कई स्थानों पर वास्तविक जीवन के उदाहरण दिए गए हैं, जो पाठकों को इसे और अधिक व्यक्तिगत और प्रासंगिक अनुभव करने में मदद करते हैं। पुस्तक का मुख्य संदेश है कि खुशी खोजी नहीं जाती, बल्कि आत्मबोध से प्राप्त की जाती है। लेखिका ने बताया है कि कैसे छोटे-छोटे बदलाव करके व्यक्ति अपने जीवन को खुशहाल बना सकता है।

पुस्तक कुल 75 अध्यायों में विभाजित है, जिसमें विभिन्न मनोवैज्ञानिक पहलुओं और जीवन की जटिलताओं को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। कुछ महत्वपूर्ण अध्यायों का विवरण निम्नलिखित है—‘मैं के आईने में मैं’ – आत्मचिंतन का महत्व और स्वयं की पहचान पर बल। ‘व्यवहार या व्यापार’ – रिश्तों में संतुलन और स्वार्थ रहित प्रेम की चर्चा। ‘इच्छाशक्ति महाशक्ति’ – इच्छाशक्ति की महत्ता और इसके प्रभाव। ‘डर का दानव’ – डर को नियंत्रित करने और साहस को अपनाने की कला। ‘मन में भर कर जिओगे तो’ – जीवन को संतुलित रूप से जीने की प्रेरणा। ‘अच्छा काम और अच्छी भाषा’ – शब्दों की शक्ति और भाषा का सकारात्मक प्रभाव। ‘शेम गेम, ब्लेम गेम’ – दोषारोपण की मानसिकता से बचने की सीख। ‘रिजेक्शन का डर’ – अस्वीकृति को सकारात्मक रूप से स्वीकारने की कला। ‘सपनों का संसार’ – कल्पना और यथार्थ के बीच सामंजस्य बैठाने का महत्व। ‘नहीं’ को ‘न’ कहना – जीवन में सीमाओं को निर्धारित करने और आत्मसम्मान को बनाए रखने का संदेश।

डॉ. अंजु दुआ जैमिनी की लेखनी सहज, प्रवाहमयी और प्रभावशाली है। उन्होंने कठिन मनोवैज्ञानिक विषयों को भी इतनी सरल भाषा में प्रस्तुत किया है कि पाठक सहजता से समझ सकते हैं। भाषा में रोचकता बनाए रखने के लिए उन्होंने कई स्थानों पर कविताओं और संवाद शैली का प्रयोग किया है, जिससे पुस्तक उबाऊ नहीं लगती। खुशी कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर है। मन को समझने और आत्मविश्लेषण करने से जीवन संतुलित हो सकता है। नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से मन प्रसन्न रहता है। रिश्तों में ईमानदारी और आपसी समझ जरूरी है। भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान को पूरी तरह जीने में ही असली आनंद है।

पुस्तक में हर समस्या का समाधान एक सकारात्मक दृष्टि से दिया गया है।  कोई भी व्यक्ति इसे पढ़कर आसानी से समझ सकता है। इसमें दिए गए सुझाव वास्तविक जीवन में अपनाने योग्य हैं। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी के लिए प्रेरणादायक पुस्तक। कुल मिलाकर, ‘ख़ुशी का ओ.टी.पी.’ एक अद्भुत और प्रेरणादायक पुस्तक है, जो हर पाठक को आत्मविश्लेषण करने और अपने भीतर झांकने की प्रेरणा देती है। यह पुस्तक न केवल मानसिक शांति प्राप्त करने के मार्ग दिखाती है, बल्कि जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाने की राह भी सुझाती है।

जो पाठक अपनी आंतरिक खुशी को खोजने, जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और मानसिक शांति प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह पुस्तक एक अनमोल मार्गदर्शिका साबित हो सकती है। ख़ुशी बाहरी दुनिया में खोजने की चीज़ नहीं, बल्कि हमारे अपने भीतर छिपी होती है। सही समय पर सही निर्णय लेने से ही हम वास्तविक सुख और संतोष प्राप्त कर सकते हैं।

पुस्तक : ख़ुशी का ओ.टी.पी.

लेखिका: डॉ. अंजु दुआ जैमिनी

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *