राउरकेला।सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र द्वारा दिए गए बांस शिल्प प्रशिक्षण में पार्श्वांचल ग्रामों की 30 महिलाएँ प्रशिक्षित
सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल के तहत झीरपानी पुनर्वास कॉलोनी, जलडा पुनर्वास कॉलोनी लिंड्रा और बिसरा पार्श्वांचल गाँवों की 30 महिलाओं ने 30 दिवसीय बांस शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।
29 जनवरी को शुरू हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में माप तकनीक, हस्त चित्रांकण, बांस का उपचार और संरक्षण, और विभिन्न शैलियों में टोकरियों और डिब्बों की बुनाई सहित बांस शिल्प के प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया। 30 कार्य दिवसों के लिए डिज़ाइन किए गए कार्यक्रम का उद्देश्य पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करना तथा प्रतिभागियों को अपने हूनर सीखने को आजीविका के अवसरों में बदलने में सक्षम बनाना था।
प्रशिक्षण के अंत में प्रत्येक प्रतिभागी को रोपण के लिए चार-चार बांस के पौधे प्रदान किए गए, आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, प्रत्येक कारीगर को 50 बांस की टोकरियों का कार्य आदेश भी दिया गया, जिसका विपणन एक साझेदार एजेंसी द्वारा किया जाएगा, जिससे प्रशिक्षण के बाद आय का एक बना बनाया स्रोत सुनिश्चित हो पायेगा । इस पहल को आरएसपी के सीएसआर विभाग ने तकनीकी सलाहकार और साझेदार रांची के मेसर्स एनरीड और निर्माण के सहयोग से कार्यान्वित किया है ।
15 अप्रैल को सेक्टर-20 स्थित पार्श्वांचल विकास संस्थान में समापन समारोह आयोजित की गयी I मुख्य महाप्रबंधक (नगर प्रशासन एवं सीएसआर), पी के स्वाईं ने समारोह की अध्यक्षता की और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र सहित बांस के पौधे सौंपे।
इस अवसर पर महाप्रबंधक प्रभारी (सीएसआर), मुनमुन मित्रा, महाप्रबंधक (सीएसआर), बी मल्लिक,निदेशक (एनरीड),सेसिली, निदेशक (निर्माण एवं एनरीड),एन कुजूर के साथ-साथ सीएसआर विभाग के अन्य अधिकारी और साझेदार एजेंसियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रबंधक (सीएसआर), ऋचा सुद्धिराम ने किया, जहाँ मुनमुन मित्रा ने सभा का स्वागत किया तथा मल्लिक ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया।

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