रांची । केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) ने वैश्विक पर्यावरण कोष (जीईएफ) द्वारा वित्त पोषित पारदर्शिता के लिए क्षमता निर्माण पहल (सीबीआईटी) परियोजना के तहत आईआईटी-आईएसएम, धनबाद के सहयोग से सीएमपीडीआई द्वारा प्रस्तुत ‘‘परित्यक्त कुओं और कोयला खदानों से ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) आकलन’’ पर एक परियोजना प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का उद्देश्य कोयला खनन क्षेत्र में उड़नशील (फ्यूजीटिव) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन माप के लिए कार्यप्रणाली का आकलन और परिशोधन करने, सक्रिय और परित्यक्त खुली और भूमिगत कोयला खदानों के लिए उड़नशील उत्सर्जन के लिए उत्सर्जन कारकों का निर्धारण करना है। आईआईटी-आईआईएस, धनबाद ने अनुमान की सटीकता बढ़ाने के लिए प्राप्त आंकड़ों के आधार पर गणितीय मॉडलिंग के संदर्भ में प्रस्ताव में सहायता प्रदान की है।
इस प्रस्ताव की जांच और अनुमोदन केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) द्वारा किया गया, जिसका कुल बजट 92.18 लाख रूपये था। यह पहल राष्ट्रीय ग्रीनहाउस उत्सर्जन रिपोर्टिंग को और अधिक विश्वसनीय बनाती है और पारदर्शिता एवं सटीकता में सुधार करने भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
सीएमपीडीआई, कोयला क्षेत्र में एक प्रमुख परामर्शदात्री एजेंसी है। प्रमुख परामर्शदात्री एजेंसी के रूप में अपनी भूमिका और गैसीयता अध्ययनों के साथ-साथ पर्यावरण परामर्श में अपनी समृद्ध विरासत को देखते हुए सीएमपीडीआई के लिए यह एक सराहनीय कदम है। यह परियोजना सीएमपीडीआई और आईआईटी-आईएसएम को एक सहयोगात्मक अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि इस प्रस्ताव के परिणाम भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिपोर्टिंग में आंकड़ा सटीकता में सुधार करने में सक्षम बनाएंगे और राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक योगदान देने में अमूल्य साबित होंगे।

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