फियो ने निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) और निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना को कैबिनेट की मंज़ूरी का स्वागत किया
नई दिल्ली : फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को मंज़ूरी दिए जाने का स्वागत करता है। यह केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य विशेष रूप से एमएसएमई, पहली बार निर्यात करने वाले और श्रम-प्रधान सेक्टरों के लिए भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को मज़बूत करना है। वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक 25,060 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय वाला यह मिशन, कई निर्यात संवर्धन योजनाओं को एक व्यापक, परिणाम-आधारित और डिजिटल रूप से संचालित ढाँचे में समेकित करके एक बड़े संरचनात्मक सुधार का प्रतीक है।
इस घटनाक्रम पर बोलते हुए फियो के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा, “निर्यात संवर्धन मिशन भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक व्यावहारिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है। वित्तीय और गैर-वित्तीय युक्तियों को एक एकीकृत ढाँचे के अंतर्गत लाकर, यह मिशन वैश्विक व्यापार गतिशीलता के लिए आवश्यक निरंतरता, लचीलापन और जवाबदेही प्रदान करता है। यह विशेष रूप से एमएसएमई को सशक्त बनाएगा, जिन्हें अक्सर किफायती वित्त और अनुपालन सहायता प्राप्त करने में कठिनाई होती है।”
मिशन की समावेशिता पर प्रकाश डालते हुए, श्री रल्हन ने कहा, “ईपीएम उन संरचनात्मक चुनौतियों – वित्त तक सीमित पहुँच और उच्च अनुपालन लागत से लेकर कमज़ोर ब्रांडिंग और लॉजिस्टिक्स बाधाओं तक- का समयोचित समाधान है, जिन्होंने लंबे समय से भारतीय निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को कुंद किया है। इन मुद्दों से सीधे निपटकर, यह पहल निर्यात की गति को बनाए रखने, रोज़गार की रक्षा करने और भारत के निर्यात आधार को नए भौगोलिक क्षेत्रों और उभरते सेक्टरों में विविधता प्रदान करने में मदद करेगी।”
ईपीएम के तहत, कपड़ा, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों जैसे हालिया वैश्विक टैरिफ वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे निरंतर निर्यात ऑर्डर और रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) एक कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा, जो पारदर्शिता, गति और सुगम पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से सभी प्रक्रियाओं का डिजिटल प्रबंधन करेगा।
श्री रल्हन ने कहा, “मौजूदा व्यापार प्रणालियों के साथ मिशन का डिजिटल एकीकरण निर्यातकों के अनुभव को बदल देगा – कागजी कार्रवाई को कम करेगा, समन्वय में सुधार करेगा और समय पर वितरण सुनिश्चित करेगा। यह विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप एक स्मार्ट, तकनीक-सक्षम निर्यात इकोसिस्टम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
फियो अध्यक्ष ने इस बात पर ज़ोर दिया कि निर्यात संवर्धन मिशन न केवल निर्यात में एमएसएमई की भागीदारी को बढ़ावा देगा, बल्कि विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और संबद्ध सेवाओं में रोज़गार सृजन को भी उत्प्रेरित करेगा, जिससे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति मज़बूत होगी। फियो अध्यक्ष ने कहा कि निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना न केवल को-लैटेरल ऋण प्रदान करेगी, बल्कि अतिरिक्त वित्तीय तरलता भी प्रदान करेगी, जो समय की मांग है।
श्री रल्हन ने कहा “फियो मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्य विभाग, डीजीएफटी इकोसिस्टम और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है। यह भारतीय निर्यात के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण है और हमें इसे पूरी प्रतिबद्धता के साथ ग्रहण करना चाहिए।”

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