रांची । सीएमपीडीआई ने होटल रेडिसन ब्लू, रांची में मिनरलाइज-2025: भारत के महत्वपूर्ण खनिजों को खोलना: गवेषण और लाभकारी मार्ग थीम पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह आयोजन महत्वपूर्ण खनिज गवेषण में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करने की सीएमपीडीआई की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो खनिज उत्पादन में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) प्राप्त करने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में सहायक होगा।
कार्यशाला का उद्घाटन कोल इंडिया के अध्यक्ष पी0एम0 प्रसाद द्वारा वर्चुअल माध्यम से किया गया। इस अवसर पर कोल इंडिया के निदेशक (तकनीकी) अच्युत घटक, सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार, निदेशक (तकनीकी/सीआरडी) शंकर नागाचारी, निदेशक (तकनीकी/पीएंडडी/आरडीएंडटी) अजय कुमार, सीसीएल के निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा एवं निदेशक (कार्मिक) हर्ष नाथ मिश्रा, सीएमपीडीआई एवं सीसीएल के मुख्य सतर्कता अधिकारी पंकज कुमार उपस्थित थे। यह कार्यशाला सीएमपीडीआई के महाप्रबंधक (गवेषण)-सह-आयोजन सचिव श्री आर0के0 सिंह के नेतृत्व में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसाद ने रेयर अर्थ एलीमेंट्स (आरईई) पर केंद्रित कार्यशाला आयोजित करने के लिए सीएमपीडीआई की सराहना की और कोल इंडिया द्वारा महत्वपूर्ण खनिजों की खोज करके विविधीकरण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने संगठन की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए आरईई के गवेषण और संवर्धन/उन्नयन दोनों के लिए तकनीकी नवाचारों को अपनाने की सीएमपीडीआई की क्षमता पर दृढ़ विश्वास व्यक्त किया।
सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि ‘‘मिनरलाइज-2025, महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और संवर्धन में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की सीएमपीडीआई की प्रतिबद्धता में एक मील का पत्थर है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘यह कार्यशाला सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देती है जिससे सतत् संसाधन विकास और महत्वपूर्ण खनिजों में भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होता है।’’
मिनरलाइज-2025 में सरकारी संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, शिक्षा जगत और उद्योग जगत के लगभग 150 प्रतिष्ठित प्रतिनिधि शामिल हुए। जियोलाॅजिकल सर्वे आफ इंडिया, आईआईटी-मुम्बई, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, आईआरईएल (इंडिया) लिमिटेड, इंस्टीच्यॅूट आफ मिरनल्स एंड मेटिरियल्स टेक्नोलाॅजी एवं हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भारत में महत्वपूर्ण खनिज गवेषण और संवर्धन के भविष्य को आकार देने वाले महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया ।
कार्यशाला में छह प्रमुख उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिनमें महत्वपूर्ण खनिज गवेषण में हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग का उपयोग, महत्वपूर्ण खनिज गवेषण में एआई-एमएल का उपयोग, उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकें और खनिज गवेषण और लाभकारी में उनकी भूमिका, महत्वपूर्ण खनिजों के लिए राष्ट्रीय नीति, आरईई का लाभकारीकरण और महत्वपूर्ण खनिज: भारत के संदर्भ में चुनौतियां, मार्ग और निम्न-श्रेणी के आरईई अयस्कों, विशेष रूप से कोयला खदान अपशिष्ट, वाशरी रिजेक्ट्स और कोयला दहन उत्पादों का लाभकारीकरण शामिल हैं।
कोयला गवेषण के लिए भारत की प्रमुख एजेंसी के रूप में, सीएमपीडीआई ने भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों, भूभौतिकीय अध्ययनों, ड्रिलिंग कार्याें और संसाधन आकलन में अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए एक मजबूत विरासत स्थापित की है। हाल के वर्षों में, सीएमपीडीआई ने अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करते हुए महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों को भी शामिल किया है और भारत की खनिज सुरक्षा और स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी असाधारण प्रतिभा और उन्नत तकनीक का लाभ उठाया है।
यह कार्यक्रम खनिज गवेशण में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में सीएमपीडीआई की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है और इसे महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन में वैश्विक अग्रणी बनने की दिशा में भारत की यात्रा में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करता है।
कोल इंडिया लिमिटेड की एक सहायक कम्पनी, सेन्ट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन (सीएमपीडीआई), भारत की अग्रणी कोयला गवेषण एजेंसी है, जो भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भूभौतिकीय अध्ययन और संसाधन आकलन में विशेषज्ञता रखती है। दशकों की विशेषज्ञता और क्षेत्रीय संस्थानों के नेटवर्क के साथ, सीएमपीडीआई अब 2047 तक भारत के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज गवेषण, लाभप्रद और प्रयोगशाला सेवाओं में विविधता ला रही है।

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