मनोज पांडेय
प्रयागराज। कल्याणी लोक सेवा समिति के तत्वावधान में होटल एलीट इन, सिविल लाइंस, प्रयागराज में एक भव्य आयोजन के दौरान प्रयागराज की स्थानीय छात्राएँ विधि गुप्ता और मुद्रिका गुप्ता द्वारा संचालित महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप औपचारिक रूप से शुभारंभ किया गया। यह स्वदेशी स्टिकर पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन से प्रेरित है, जिसमें उन्होंने महिलाओं को “स्टार्टअप से लेकर अंतरिक्ष तक” सशक्त बनाने पर जोर दिया और मिशन नारी शक्ति तथा आत्मनिर्भर भारत का संदेश दिया। यह लॉन्च सिर्फ एक व्यापारिक पहल नहीं बल्कि प्रयागराज की मिट्टी से उपजी प्रतिभा, परंपरा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम से पहचाने जाने वाला प्रयागराज सदियों से ज्ञान, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र रहा है। इसी पावन भूमि से अब युवा छात्राएँ विदेशी प्रभुत्व वाले स्टिकर बाज़ार को चुनौती देने और “मेक इन इंडिया” की ताक़त को महिला स्टार्टअप के माध्यम से दिखाने निकली हैं।

इस स्टार्टअप की प्रेरणा प्रयागराज की गृहिणी प्रियंका गुप्ता से आई, जिन्होंने बच्चों और युवाओं में लोकप्रिय चीनी व कोरियाई स्टिकरों का भारतीय विकल्प बनाने की परिकल्पना रखी। इस विचार को कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट अनमोल गुप्ता ने व्यावसायिक दृष्टिकोण से मार्गदर्शन दिया। अनमोल गुप्ता, जो स्वयं वित्त और प्रबंधन क्षेत्र में युवा पेशेवर हैं, ने इस उद्यम को सही दिशा देने के लिए मेंटर की भूमिका निभाई। उन्होंने मार्केट की संभावनाओं का अध्ययन कर बताया कि भारत का प्रिंट लेबल और स्टिकर बाज़ार 2025 में 2.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुमानित है, और इस स्टार्टअप का लक्ष्य इस बड़े बाज़ार का कम से कम 1% हिस्सा हासिल करना है।
स्टार्टअप के उत्पादों में एनीमे, के-पॉप, कार्टून थीम वाले स्टिकर, फोटो कार्ड, ब्रेसलेट और फोन चार्म्स शामिल हैं — जिन्हें पूरी तरह भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है और अब ये देशभर में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से उपलब्ध होंगे। लागत एवं प्रबंधन लेखाकार अनमोल गुप्ता ने इस अवसर पर कहा “यह स्टार्टअप सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है। यदि यह पहल युवाओं और बच्चों के बीच विदेशी उत्पादों के स्थान पर भारतीय विकल्प को जगह दिला सके तो यह हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी। आने वाले दो वर्षों में हम इस उद्यम को विदेशी ब्रांड्स का वास्तविक विकल्प बनाने के लिए संकल्पित हैं।”यह स्टार्टअप “बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ” का जीवंत उदाहरण है, जहाँ प्रयागराज की बेटियाँ अपनी शिक्षा और दृष्टि से नई राहें बना रही हैं। यह पहल दर्शाती है कि कैसे प्रयागराज की संस्कृति, नारी शक्ति और आत्मनिर्भर भारत की सोच मिलकर एक राष्ट्रीय स्तर की सफलता गाथा लिख सकती हैं।

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