वाराणसी : बाढ़ से जनपद के लगभग 6100 परिवार प्रभावित हुए

*जिले में बाढ़ की स्थिति अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है*अभी जनपद में बाढ़ राहत शिविर क्रियाशील है*

*8352 कृषकों की 2208 हे0 फसल क्षति हुई, फसल क्षति का प्लॉट-टू-प्लॉट सर्वे जारी है*

*समस्त प्रभावित कृषकों को कृषि निवेश अनुदान के अंतर्गत सहायता प्रदान करने की कार्यवाही जारी है*

*बाढ़ राहत के दौरान अब तक 6012 बाढ़ राहत किट, 7004 कु0 भूसा, 114322 लंच पैकेट, 17406 अदद केला, 10272 पैकेट दूध का वितरण हुआ*

*शिविर में 616 व्यक्तियों का उपचार, 3492 पैकेट ओआरएस, 48808 क्लोरिन टैबलेट, 166 वाटर केन, 582 डिग्निटी किट वितरण का भी हुआ वितरण*

वाराणसी। जिले में बाढ़ की स्थिति अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है। शिविरों में रह रहे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए प्रभावी तरीके से राहत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। चिकित्सा व्यवस्था का भी प्रॉपर व्यवस्था शिविरों तथा प्रभावित क्षेत्रों में किया गया है। जनपद में बाढ़ मुख्यतः गंगा नदी से आती है, गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण गंगा की सहायक नदी वरुणा एवं अस्सी में पलट प्रवाह होता है जिसके कारण वरुणा व अस्सी के जलस्तर में भी वृद्धि होती है। गंगा का जलस्तर गोमती नदी को भी प्रभवित करता है। जनपद में गंगा नदी लगभग 57.00 किमी, वरुणा 65.80 किमी, गोमती 39.00 किमी एवं अस्सी 08.00 किमी की दूरी तय करती है। जलस्तर केंद्रीय जल आयोग के अनुसार इस बार बाढ़ के दौरान गंगा नदी का अधिकतम जलस्तर 72.23 मीटर रहा। जबकि जनपद में गंगा नदी का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर, खतरे का बिन्दु 71.26 मीटर एवं अधिकतम जलस्तर 73.90 मीटर (वर्ष 1978) है। इसके अलावा इस बार वरूणा नदी का अधिक्तम जलस्तर 72.71 मीटर रहा, जबकि अधिकतम जलस्तर 73.71 मीटर (वर्ष 2019) है।

  जनपद में बाढ़ राहत शिविरों का निरीक्षण स्थानीय मंत्रियों, जनप्रतिनिधिगणों के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है।जनपद में बाढ़ के दौरान आम जनमानस के सहयोग, आवागमन व निकासी हेतु जिला प्रशासन द्वारा 134 नाव 36 मोटर बोट लगाया गया। प्रत्येक नाव पर 01-01 गोताखोर भी तैनात थे। उक्त के अतरिक्त 11वीं वाहिनी एनडीआरएफ की 05 टीम 18 मोटर,एसडीआरएफ की 01 टीम 02 मोटर बोट, पीएसी टीम 12 मोटर बोट व जल पुलिस 04 मोटर बोट के साथ बाढ़ में फसे लोगों को निकालने हेतु लगायी गयी थी। उक्त नावों से लाउडहेलर के माध्यम से बाढ़ के प्रति शर्तक रहने एवं बाढ़ राहत शिविरों में निवास करने हेतु अनुरोध भी किया गया। बाढ़ राहत शिविर के इतर निवास कर रहे परिवार ऐसे परिवार जिन्होंने अपना घर नही छोड़ा उन परिवारों को दूध, शुद्ध पेयजल, बाढ़ राहत किट आदि का वितरण नावों से उनके घर तक जाकर किया गया है। इस बार बाढ़ से प्रभावित ऐसे परिवार जिनकी आजीविका मुख्य रूप से प्रभावित हुई है उन परिवारों को बाढ़ राहत किट का वितरण भी व्यापक पैमाने पर किया गया। बाढ़ से प्रभावित ऐसे परिवार जिनकों बाढ़ राहत किट उपलब्ध नही हो सकी है एवं उनकी आजिविका बाढ़ के कारण प्रभावित हुई है वह बाढ़ कंट्रोल रूम एवं निकटम बाढ़ राहत शिविर में सम्पर्क कर बाढ़ राहत किट प्राप्त कर सकते हैं।

मांझी समाज के लोग जिनकी आजीविका मुख्य रूप से नाव संचालन से है, ऐसे 400 प्रभावित मांझी परिवारों को बाढ़ राहत किट का वितरण किया गया।

मानव के साथ-साथ बाढ़ से प्रभावित मवेशियों का भी ख्याल रखा गया। बाढ़ से लगभग 16672 मवेशी प्रभावित हुए हैं, उनके चारे हेतु 6983 कंटल भूसा का वितरण किया गया है। बाढ़ राहत शिविर में निवास कर रहे परिवारों के घरों की सुरक्षण पुलिस विभाग द्वारा नावों के साथ लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गश्त किया जा रहा है। क्यू०आर०टी० द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चोरी आदी की घटनाओं को रोकने हेतु गश्त किया जा रहा है। ड्रोन के माध्यम से भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। बाढ़ से जुड़ी अफवाहों को रोकने हेतु सोशल मीडिया सेल द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है। जर्जर भवनों में रह रहे नागरिकों को शिविर में स्थानांतरित किया गया। जिला प्रशासन व पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा

लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण व निरीक्षण किया जा रहा है। निजी नाव संचालन पर पूर्ण प्रतिबन्ध किया गया है। लाउडस्पीकर, पब्लिक अनाउंसमेंट द्वारा नागरिकों को सतर्क किया जा रहा है। वरिष्ठ नागरिक, गर्भवति महिलाओं व द्विव्यांगजनों हेतु विशेष व्यवस्था बाढ़ राहत शिविर में निवास कर रहे वरिष्ठ नगारिक, गर्भवति महिलाओं व द्विव्यांगजनों हेतु

विशेष व्यवस्था की गयी थी। बाढ़ राहत शिविर में तैनात चिकित्सकों द्वारा इनका नियमित स्वास्थ्य परिक्षण किया जाता है, आवश्यकतानुसार दवाईयां भी दी जाती है। बाढ़ राहत के दौरान अब तक 6012 बाढ़ राहत किट, 7004 कु0 भूसा, 114322 लंच पैकेट, 17406 अदद केला, 10272 पैकेट दूध, शिविर में 616 व्यक्तियों का उपचार, 3492 पैकेट ओआरएस, 48808 क्लोरिन टैबलेट, 166 वाटर केन, 582 डिग्निटी किट वितरण के अलावा 199 नाव/मोटर बोट बचाव कार्य में लगाए गए थे।

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