राउरकेला। सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के सीएसआर विभाग द्वारा पार्श्वांचल विकास संस्थान, सेक्टर-20 में आयोजित 60-दिवसीय एप्लिक सिलाई-कढाई प्रशिक्षण को झीरपानी पुनर्वास कॉलोनी, पुरनापानी, बानीगुनि पार्श्वांचल गाँव और आसपास की औद्योगिक झुग्गी -बस्तियों की दस वंचित महिलाओं ने सफलतापूर्वक पूरा किया।
इस अनूठी सीएसआर पहल का उद्देश्य आजीविका प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन के माध्यम से वंचित पर्श्वांचल महिलाओं को सशक्त बनाना है।
14 जुलाई, 2025 को आयोजित समापन समारोह में दीपिका महिला संघति की अध्यक्ष, श्रीमती नम्रता वर्मा मुख्य अतिथि थीं। मुख्य महाप्रबंधक (नगर सेवाएं एवं सीएसआर), टी. जी. कानेकर विशिष्ट अतिथि थे। गणमान्यों ने सभी प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण पूरा होने पर प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस अवसर पर महाप्रबंधक प्रभारी (सीएसआर), सुश्री मुनमुन मित्रा, महाप्रबंधक (सीएसआर), बिभाबसु मलिक, सहायक महाप्रबंधक (सीएसआर), टी बी टोप्पो, सचीव (डीएमएस), सुश्री सारिका कुमार और आरएसपी एवं संबंधित एजेंसियों के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए श्रीमती वर्मा ने पार्श्वांचल गाँवों की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में किए गए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अर्जित कौशल का सर्वोत्तम उपयोग करके अपने लिए सतत आजीविका के अवसर सृजित करें।
टी जी कनेकर ने इस अनूठी सीएसआर पहल के व्यापक दायरे और क्षमता के बारे में बात की और बताया कि कैसे एप्लीक कढ़ाई प्रशिक्षण जैसे कौशल विकास कार्यक्रम स्थायी आय सृजन के लिए नए रास्ते खोल सकते हैं और पार्श्वांचल समुदायों की महिलाओं के बीच आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दे सकते हैं। इस अवसर पर महिला लाभार्थियों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
सुश्री मुनमुन मित्रा ने सभा का स्वागत किया जब की टी.बी. टोप्पो ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। सीएसआर के अनुभाग अधिकारी बी. एक्का ने कार्यक्रम का संचालन किया।
उल्लेखनीय है कि पुरस्कार विजेता मास्टर ट्रेनर श्री कृष्ण चंद्र महंती द्वारा संचालित और सुश्री श्रद्धांजली महंती के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण में सिलाई तकनीक आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह एक समग्र पाठ्यक्रम था जिसमें बुनियादी हाथ से सिलाई और डिज़ाइन ट्रेसिंग से लेकर पारंपरिक और समकालीन एप्लिक विधियों, कपड़े के समन्वय, पैच वर्क, कढ़ाई और उत्पाद निर्माण तक सब कुछ शामिल था। महिलाओं ने रूमाल, कुशन कवर, बिछावन (बेडस्प्रेड), वॉल हैंगिंग, साड़ी बॉर्डर और आधुनिक फैशन में चल रहे टोट बैग जैसी वस्तुएँ बनाना सीखा।
कुल 2,04,500 रुपये की परियोजना लागत से तैयार किया गया यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को गुणवत्ता नियंत्रण, लागत निर्धारण, ब्रांडिंग और बाज़ार संपर्क में प्रशिक्षित करता है। उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देकर, यह पहल इन महिलाओं को न केवल अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए मदद किया है, बल्कि संभावित रूप से स्वंय स्वतंत्र व्यवसाय चलाने या भविष्य में प्रशिक्षक बनने के लिए भी तैयार किया है, जिससे उनके समुदायों में सशक्तिकरण का बड़ा असर पड़ सके । इसके अलावा, यह कार्यक्रम उन्हें ऋण, सब्सिडी और बीमा के लिए सरकारी योजनाओं तक पहुँचने में मार्गदर्शन कर रहा है और उन्हें कारीगर प्रमाणन प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया है, जिससे उनकी दीर्घकालिक आय के अवसर और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सके ।

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