कुशल कोयला परिवहन के लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण – पी0एम0 प्रसाद

फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स की चुनौतियों’’ पर एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

रांची । कोल इंडिया लिमिटेड की एक अनुषंगी मिनी रत्न (श्रेणी-1) कम्पनी सीएमपीडीआई ने आज रांची के होटल रेडिशन ब्लू में ‘‘ फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं की चुनौतियों’’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया ताकि कोयला और ऊर्जा क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों, सरकारी निकायों, नीति निर्माताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को पर्यावरण हितैषी कोयला निकासी के उद्देश्य से एफएमसी परियोजनाओं से जुड़ी जटिलताओं और नवाचारों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच पर साथ लाया जा सके।

फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी, कोल इंडिया की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी), साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम के माध्यम से कोयला हैंडलिंग को मशीनीकृत करके खदान स्थल से रेलवे साइडिंग तक कोयले के सड़क परिवहन को समाप्त करना है। सीआईएल की प्लानिंग एंड डिजाइन शाखा, सीएमपीडीआई देश के कोलफील्ड्स में इन परियोजनाओं की अवधारणा, डिजाइन और कार्यान्वयन में एक केन्द्रीय भूमिका निभाती है।

कोल इंडिया के अध्यक्ष  पी0एम0 प्रसाद ने सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक  मनोज कुमार, सीआईएल के निदेशक (तकनीकी)  अच्युत घटक, डब्ल्यूसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक  जे0पी0 द्विवेदी, सीसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक  निलेन्दु कुमार सिंह के साथ मिलकर ‘‘फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स की चुनौतियों’’ पर एक-दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर सीआईएल के चेयरमैन  पी0एम0 प्रसाद ने अपने मुख्य भाषण में इस बात पर जोर दिया कि कुशल कोयला परिवहन के लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जो अंडरलोडिंग और ओवरलोडिंग की समस्याओं का समाधान करती हैं। उन्होंने इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का आग्रह किया और चुनौतियों से निपटने के लिए हितधारकों के सहयोगात्मक प्रयासों पर जोर दिया। साथ ही, स्थायी कोयला परिवहन में एफएमसी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला के आयोजन के लिए सीएमपीडीआई को धन्यवाद भी दिया। 

सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक  मनोज कुमार ने अपने सम्बोधन में कोयला क्षेत्र में सतत् विकास और दक्षता के लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी को एक रणनीतिक प्राथमिकता बनाने पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यशाला ने कोल इंडिया की सहायक कंपनियों, ईपीसी ठेकेदारों, विक्रेताओं और सीएमपीडीआई को अनुभव साझा करने, चुनौतियों की पहचान करने और व्यावहारिक समाधान विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान किया। कोल इंडिया के निदेशक (तकनीकी)  अच्युत घटक ने एफएमसी परियोजनाओं की स्थिति प्रस्तुत की और पर्यावरण-अनुकूल एवं टिकाऊ परिवहन साधन के रूप में इनके महत्व पर जोर दिया।  घटक ने एफएमसी परियोजनाओं की प्रक्रिया, निर्माण और उपयोगिता के बारे में भी जानकारी दी।

डब्ल्यूसीएल के सीएमडी  जे0पी0 द्विवेदी और सीसीएल के सीएमडी  निलेन्दु कुमार सिंह, कोल इंडिया के मुख्य सतर्कता अधिकारी  ब्रजेश कुमार त्रिपाठी, सीएमपीडीआई और सीसीएल के मुख्य सतर्कता अधिकारी  पंकज कुमार ने भी सत्र को सम्बोधित किया। इस अवसर पर सीएमपीडीआई, ईसीएल, सीसीएल और बीसीसीएल के कार्यकारिणी निदेशक उपस्थित थे। सीएमपीडीआई की परियोजनाओं में उच्च क्षमता वाले पाइप कंवेयर, पीएलसी-आधारित नियंत्रण प्रणालियां और तीव्र लोडिंग अवसंरचना जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, परिचालन दक्षता को और बेहतर बनाने के लिए इन-पिट कंवेइंग और डिट्रैक्टेबल ओएचई सिस्टम जैसे नवाचारों की भी खोज की जा रही है।

एफएमसी परियोजनाएं न केवल कोयला निकासी दक्षता को बढ़ाती हैं और लागत कम करती हैं, बल्कि कार्बन उत्सर्जन, सड़क की धूल और चोरी को कम करके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी महत्वूर्ण भूमिका निभाती है, जो भारत की नेट जीरो प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है। यह कार्यक्रम प्रोजेक्ट प्लानिंग, निविदा प्रक्रिया, गुणवत्ता आश्वासन और नियामक अनुपालन में सीएमपीडीआई की सम्पूर्ण परामर्श विशेषता को भी प्रदर्शित करता है, जो सतत् ऊर्जा समाधानों और तकनीकी उत्कृष्टता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 

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