संकीर्ण सोच के चलते हम सिमटते जा रहे हैं – बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी

 गुरुपूर्णिमा के अवसर पर श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने देश-काल और सामाजिक परिस्थितियों पर अपने विचार व्यापक तौर पर व्यक्त किए

पड़ाव, वाराणसी/ कभी-कभी शांति के पौधों को खून से भी सींचा जाता है। यह सत्य है हमलोग केवल एक ही बात पर निर्भर रहेंगे और समय, देश-काल परिस्थिति की अनदेखी करेंगे तो हो सकता है कि हम एक बड़े भारी संकट में पड़ जायँ। साधु और सैनिक दोनों का कार्य हमलोगों को करना होगा। बाबा ने कहा पहले भी साधुओं ने देश पर आए संकट से निपटने मे अहम योगदान दिया है जिससे हमारे देश की रक्षा हुई। हमारा समाज बँटता जा रहा है, जातियों में, मजहब और धर्म के नाम पर, बड़े-छोटे के नाम पर, ऊँच-नीच के नाम पर। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और हमारे देश के लिए खतरे की घंटी है। बाबा जी ने कहा कि एक-दूसरे से प्रेम-सौहार्द, ईश्वर पर विश्वास रखना, पहले पंचतंत्र की कहानियाँ  होती थीं। हमारे पुरानी पुस्तकों में, वेदों-पुराणों में भी इसकी व्याख्या दी गई है। हमारे स्कूल-कॉलेज में यह सब शिक्षा नहीं दी जाती। नई पीढ़ी इसके बारे में अनभिज्ञ है क्योंकि उन्हें संस्कार-संस्कृति की शिक्षा नहीं मिली, केवल व्यावसायिक शिक्षा ही मिली है।  
यह जीवन बहुत ही क्षणभंगुर है, इसे घृणा, ईर्ष्या, द्वेष, मारकाट, लूटपाट के बीच में कब किसका समय समाप्त कर दिया जाएगा, इसलिए मैं कह रहा हूं कि ऐसे आतताईयों से अपनी रक्षा के लिए स्वयं करनी पड़ेगी। कोई दूसरा हमारी रक्षा नहीं करेगा इसके लिए हमें सचेत होना होगा। बाबा ने कहा हमें शक्ति अर्जित करना बहुत जरूरी है, क्योंकि शिव भी शक्ति के अभाव में शव के समान हैं।

बाबा ने कहा कि मानव सेवा की बात इसीलिए की जाती है कि ईश्वर सभी के अंदर बैठा है, वह सर्वेश्वरी जो सभी भूतों में विराजमान है और इसीलिए हमलोग उनकी उपासना करते हैं जिसकी उपासना ब्रह्मा, विष्णु, महेश करते हैं। हमलोग उस विचार भाव में रहते हैं कि हमको मुक्ति की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि हमलोग मुक्त ही रहते हैं। इस अवस्था में रहने पर ही हममें वह शक्ति भी आती है। सर्वेश्वरी का न किसी से लगाव है और ना ही उसको किसी से दुराव है। वह समभाव में रहती हैं और उसी को प्राप्त करने के लिए संत-महात्मा, ऋषि, मुनिगण प्रयत्नशील रहते हैं।  हमलोग जरूर आधुनिकता के साथ रहें लेकिन उसमें संलिप्त न हों, बाजार से गुजरें लेकिन खरीदार न हों।
बाबा ने कहा कि पहले भी लोग मजबूर होकर धर्म परिवर्तन कर लिए और आज भी वही परिस्थितियां हमारे सामने उत्पन्न हैं और हम सिमटते जा राहे हैं। यदि हम सतर्क नहीं रहेंगे, ध्यान नहीं देंगे तो मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि पहले हम अफगानिस्तान, कंबोडिया और अनेक देशों तक थे। आज भी उन देशों मे हमारी उपासना- पद्धति के प्रमाण मौजूद हैं।  
बाबा ने कहा कि विश्व में जो चल रहा है यदि हमने संवाद नहीं किया, आपसी बातचीत नहीं की तो दूसरों के स्वार्थ का शिकार हो जायेंगे। जहाँ शक्ति है उसके सामने कोई नहीं बोल पाता। इसीलिए आपलोग भी शक्ति को अर्जित करिए क्योंकि बिना युक्ति के मुक्ति भी नहीं होती।  
ये बातें गुरुपूर्णिमा के अवसर पर आयोजित सायंकालीन गोष्ठी में श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने देश-काल और सामाजिक परिस्थितियों पर अपने विचार व्यापक तौर पर व्यक्त किए। गोष्ठी में अन्य वक्ताओं में भोलानाथ त्रिपाठी, सिद्धार्थ सिंह देव, बाराबंकी के सांसद तनुज पुनिया, संतोष सिंह, विनय कुमार सिंह, करनल रामचन्द्र नाथ शाहदेव थे। मंगलाचरण यशवंत नाथ शाहदेव ने तथा नचिकेता ने भजन प्रस्तुत किया। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. वी. पी. सिंह, सञ्चालन डॉ. बामदेव पाण्डेय तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश सिंह ने किया।

गुरुपूर्णिमा पर अघोर पीठ में गुरु-दर्शन हेतु उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब  
अघोर पीठ, श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम्, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम, पड़ाव, वाराणसी में गुरुपूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 5 बजे प्रभातफेरी से हुआ । तदुपरांत सर्वेश्वरी ध्वजारोहण अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के वैद्य बैकुंठनाथ पाण्डेय ने किया। इसके बाद श्री पृथ्वीपाल ने सफलयोनि का पाठ किया ।
इसी क्रम में पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने सर्वेश्वरी निवास में परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के आसन का विधिवत पूजन किया। लगभग 7:30 बजे बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी भोर से ही दर्शनार्थ पधारे  शिष्यों एवं श्रद्धालुओं के लिए गुरु-आसन पर विराजमान हुए। भारत के दूर-दराज के राज्यों एवं विदेशों से भी आयी स्वानुशासित श्रद्धालुओं की भारी भीड़ कतारबद्ध हो अपने पूज्य गुरुदेव का दर्शन-पूजन करती रही। दर्शन-पूजन का सिलसिला दोपहर 1 बजे तक अनवरत चलता रहा।
दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं को प्रातः सूक्ष्म प्रसाद और दर्शनोपरांत दोपहर के प्रसाद का वितरण भी किया गया। संस्था द्वारा औघड़ पीर पर्व के इस महायज्ञ पर आयोजित भंडारा में श्रद्धालुओं ने दोपहर का प्रसाद प्राप्त किया। आश्रम के छोटे-छोटे बच्चे भीषण गर्मी और उमस को देखते हुए श्रद्धालुओं को शीतल-जल और शिकंजी लगातार पिलाते रहे। दिव्यान्ग, नवजात शिशु के साथ आई महिलाओं तथा बुजुर्ग व गंभीर रोग से पीड़ित दर्शनार्थियों के त्वरित दर्शन के लिए विशेष प्रबंध किया गया था। इसके अतिरिक्त अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के बहिरंग विभाग में दो दर्जन से अधिक चिकित्सकों की टीम श्रद्धालुओं के निःशुल्क उपचार और किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए उपस्थित थी। 

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