मुख्यमंत्री ने श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखपुर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सप्त दिवसीय श्रीराम कथा के समापन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए, व्यासपीठ का दर्शन-पूजन कर संत श्री शान्तनु जी महाराज द्वारा प्रवचित कथा का श्रवण किया
गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर – मुख्यमंत्री
कल प्रदेश में एक साथ 37 करोड़ से अधिक पेड़ लगाकर वृक्षारोपणमहाअभियान में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया
इस महाभियान के अन्तर्गत नदी पुनरुद्धार का कार्य किया जा रहा, हमें अपनी नदी संस्कृति को संरक्षित करना होगा
लखनऊ , गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान श्रीराम की कथा हजारों वर्षां से सुनी और सुनाई जा रही है। दुनिया में भारत के अतिरिक्त अन्य कहीं भी इस प्रकार की अनूठी श्रद्धा देखने को नहीं मिलती है। कोई ऐसा सनातन धर्मावलम्बी नहीं होगा, जो भगवान श्रीराम के प्रसंगों के बारे में जानकारी न रखता हो। यह हमारे पारिवारिक संस्कार का हिस्सा है। कथा प्रसंगों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रखते हुए वर्तमान पीढ़ी का मार्गदर्शन किया जा सकता है। ‘हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता‘ अर्थात् प्रभु श्रीराम की कथा इस ब्रह्माण्ड में सदैव गुन्जायमान रहती है, लेकिन जब यह कथा हमें व्यासपीठ पर विराजमान संत शान्तनु जी महाराज जैसे कथा व्यास के श्रीमुख से सुनने को मिलती है, तो वह कथा और अधिक प्रभावशाली हो जाती है।
मुख्यमंत्री आज श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखपुर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सप्त दिवसीय श्रीराम कथा के समापन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसके पूर्व उन्होंने व्यासपीठ का दर्शन-पूजन कर संत श्री शान्तनु जी महाराज द्वारा प्रवचित कथा का श्रवण किया। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आप सभी ने आस्था को सम्मान देते हुए वर्तमान परिपेक्ष्य में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कथा के वास्तविक मर्म को विगत सात दिनों में रोचक तरीके से सुना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है। हम लोग भगवान वेदव्यास की जन्मतिथि के उपलक्ष्य में आषाढ़ पूर्णिमा की पावन तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। दुनिया में भारत एक मात्र ऐसा देश है, जिसने दुनिया को कृतज्ञता ज्ञापित करना सिखाया है। हनुमान जी और मैनाक पर्वत के बीच हुआ संवाद इसका उदाहरण है। ‘कृते च प्रति कर्तव्यम् एष धर्मः सनातनः’ के अनुरूप दुनिया में भारतवासी दूसरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए हमेशा सजग रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद है। दुनिया जब अन्धकार में जी रही थी, तब भारत में वेदों की ऋचाएं रची जा रहीं थीं। अलग-अलग कालखण्डों में ऋषि-मुनियों ने चेतना के विस्तार के माध्यम से ब्रह्माण्ड के रहस्यों को ऋचाओं द्वारा उद्घाटित किया है। वैदिक ऋचाओं द्वारा आने वाली पीढ़ियों को तत्वज्ञान प्रदान किया गया। पूर्व में प्रचलित श्रवण परम्परा को संहिताबद्ध कर वेदों के माध्यम से महर्षि वेदव्यास ने सनातन धर्मावलम्बियों व मानव जाति पर उपकार किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया अभी विज्ञान पर शोध कर रही है। यह शोध चेतन मन से किया जा रहा है। अभी अवचेतन और अचेतन मन की तरफ मनुष्य पहुंचा ही नहीं है। चेतना के विस्तार व ब्रह्माण्ड के रहस्यों को सुलझाने में वैदिक सूत्र मानव जाति का मार्गदर्शन करेंगे। इस धरोहर को एक साथ संजोने का काम अलग-अलग कालखण्डों में ऋषि-मुनियों ने किया।

नैमिषारण्य में आज से 3500 वर्ष पूर्व भारत की ज्ञान परम्परा, पुराणों की रचना, उसकी भाषाशैली तथा विषय को लेकर हजारों ऋषियों की पंचायत हुई थी। हमने नैमिषारण्य को विस्मृत कर दिया। कुम्भ जैसे आयोजन हमारे लिए धार्मिक आयोजन तो बन गये, लेकिन ज्ञान की इस परम्परा को विमर्श का माध्यम बनाने का कार्य नहीं किया गया। एक सामान्य नागरिक के लिए अपनी श्रद्धा के अनुरूप त्रिवेणी में डुबकी लगाना और आस्था के अनुरूप अन्य कार्यों के साथ जुड़ना उचित है। लेकिन यह स्थल हमारे लिए चर्चा-परिचर्चा, ज्ञान की परम्परा को आगे बढ़ाने तथा हजारों वर्षों की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का माध्यम बनना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज हमने अपने ज्ञान और ग्रन्थों को सबके लिए सुलभ बनाया है। श्रीमद्भागवत महापुराण पिछले 05 हजार वर्षां से मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही है तथा हमें जीवन के रहस्यों से अवगत करा रही है। इस महापुराण की रचना भगवान वेदव्यास ने की थी। पहली भागवत कथा शुकदेव जी महराज ने शुक्रताल में सुनाई थी। यह दुनिया के लिए कौतुहल और रहस्य का विषय हो सकता है, लेकिन हमारे लिए जीवन पद्धति का हिस्सा है। हमने इससे इतर जीवन की कल्पना ही नहीं की है। उत्तर, दक्षिण, पूरब तथा पश्चिम प्रत्येक गांव में यज्ञ और प्रवचन आदि कार्य समय-समय पर आयोजित किये जाते हैं। पूरे देश में स्थानीय परम्परा के अनुसार मनुष्य किसी न किसी यज्ञ अथवा धर्मार्थ कार्य से जुड़ा रहता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया में रामायण सबसे लोकप्रिय धारावाहिक है। देश-दुनिया में जब टेलीविजन या अन्य डिजिटल सुविधाएं यदा-कदा ही मौजूद थीं, तब भी लोग इस धारावाहिक को रोचकता के साथ देखते थे। कोरोना कालखण्ड में लॉकडाउन के दौरान रामायण धारावाहिक का जब पुनः प्रसारण किया गया, तब रामायण सर्वाधिक देखा जाने वाला सीरियल था। भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण व भगवान शंकर के बगैर भारत का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कल प्रदेश में एक साथ 37 करोड़ से अधिक पेड़ लगाकर वृक्षारोपण महाअभियान के अन्तर्गत एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। इस महाभियान के अन्तर्गत नदी पुनरुद्धार का कार्य भी किया जा रहा है। हमें हमारी नदियों, धरती माता तथा पर्यावरण आदि का संरक्षण करना चाहिए। दुनिया में अनेक नदियां प्रदूषित हो रही हैं। पुनरुद्धार के माध्यम से उन्हें प्रदूषणमुक्त किया जा सकता है। हम भारतीय नदी की पूजा करते हैं। नदी संस्कृति को मानव उद्गम स्थल के रूप में मानते हैं।
मुख्यमंत्री ने नदी संस्कृति को बचाने और हर नदी के पुनरूद्धार पर बल देते हुए कहा कि नदी को सदा नीरा रखने के लिए व्यापक वृक्षारोपण के साथ ही खाली जमीन पर तालाब खुदवाकर जल संरक्षण के साथ जुड़ना होगा। देश की 16 से 17 प्रतिशत आबादी उत्तर प्रदेश में निवास करती है, लेकिन प्रदेश का वन आच्छादन केवल 10 प्रतिशत ही है। राज्य सरकार के प्रयास से वन आच्छादन बढ़ा है, लेकिन इसको और अधिक बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

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