इरी के वैज्ञानिकों ने खरपतवार नियंत्रण के लिए ट्रैक्टर-चलित ड्राई व वेट लैंड वीडर का किया निर्माण

 वाराणसी। जलवायु परिवर्तन के चलते अनियमित वर्षा से धान की पैदावार करने वाले किसानों को निरंतर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पारंपरिक विधि से ना सिर्फ मानसून पर निर्भरता बनी रहती है, बल्कि अधिक पानी और मेहनत से लागत में भी बड़ा खर्चा आता है। ऐसे में धान की सीधी बुवाई को अपनाकर किसानों को लागत में आने वाले इन खर्चों से मुक्ति मिल रही है, साथ ही उन्हें बेहतर मुनाफा भी मिल रहा है। प्रदेश में धान की सीधी बुवाई तकनीक को किसानों तक पहुचाने में अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) अग्रणी प्रयास कर रहा है। खरीफ 2025 सीजन में आइसार्क ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के आठ जिलों में 500 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में डीएसआर के समूह-प्रदर्शन का आयोजन किया है।

धान की सीधी बिजाई की सफलता में खरपतवार प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है। सही खरपतवार प्रबंधन की अनुपस्थिति में खरपतवार की मात्रा बढ़ने से उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसी समस्या के समाधान एवं जागरूकता हेतु आइसार्क के वैज्ञानिकों ने ट्रैक्टर-चलित ड्राई व वेट लैंड वीडर का निर्माण किया है। यह वीडर किसी भी ट्रेक्टर में नैरो व्हील्स (पतले टायर) लगाकर संचालित किये जा सकते हैं, जिससे खेतों में लगे धान के पौधों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, और खरपतवार की सटीक निराई भी की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने इस यंत्र का प्रथम सफल प्रदर्शन आज जनपद के पनियारा गाँव में किसाओं के डीएसआर खेतों में किया। इसके बारे में इरी के वैज्ञानिक डॉ. आर.के. मलिक ने बताते हुए कहा कि इस नव-निर्मित ट्रैक्टर-चलित वीडर का प्रयोग करने के लिए ट्रेक्टर में विशेष रूप से बनाये गए नैरो व्हील लगाकर निराई की जाती है तथा धान की बुवाई में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 सेंटीमीटर रखते हैं। इस वीडर का प्रयोग बुवाई के 25 से 30 दिन बाद करने पर खरपतवारों का सफल नियंत्रण कर सकते हैं। ट्रेक्टर द्वारा लगभग एक घंटे में एक एकड़ की निराई आसानी से की जा सकती है। यह हल्के वजन की मशीन कम नमी वाली जमीन में प्रभावी रूप से खरपतवार हटाती है, श्रम की बचत करती है और मिट्टी की भौतिक गुणवत्ता सुधारती है। इस विधि को अपनाकर किसान धान की सीधी बिजाई में खरपतवारो को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। यह तकनीक धान की सीधी बिजाई को और अधिक प्रभावशाली व टिकाऊ बनाने में सहायक होगी और किसानो को मजदूरों की कम उपलब्धता की समस्या का भी समाधान करने में सहायक होगी। साथ ही, इरी के वैज्ञानिक डॉ. राबे यहाया ने बताया कि सही समय पर यांत्रिक वीडिंग डीएसआर खेतों में खरपतवार पर प्रभावी नियंत्रण करती है और इससे रासायनिक खरपतवार नाशकों की निर्भरता कम होती है तथा लागत में भी कमी आती है।

        इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आर.के. मलिक, डॉ. राबे, डॉ. सूर्यकांत, डॉ. अजय, विपिन कुमार, डॉ. दिलवर सिंह परिहार, गोविन्द सिंह, गोपाल पांडेय और किसानो की भी उपस्थिति रही। विशेषज्ञों ने आइसार्क के द्वारा इस नव-निर्मित मशीन का सफल प्रदर्शन प्रगतिशील  किसान लल्लन दूबे एवं ओम प्रकाश दूबे के डीएसआर खेतों में किया। प्रदर्शन के दौरान विशेषज्ञों ने मशीन द्वारा खरपतवार नियंत्रण का निरीक्षण भी किया, साथ ही किसानों को इस तकनीक के लाभों के बारे में जानकारी दी।

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