टोक्यो विश्वविद्यालय, जापान के प्रोफ़ेसर काटो ने किया आइसार्क का दौरा, धान की सीधी बुआई को लेकर की चर्चा

 वाराणसी। टोक्यो विश्वविद्यालय, जापान के प्रोफेसर व कृषि विज्ञान विभाग के अध्यक्ष- प्रो. वाई. काटो ने जून 2-3, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान केंद्र – दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र का दो दिवसीय दौरा किया। इस दौरान उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की सीधी बुआई के कामों का अवलोकन किया।

       आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह और वैज्ञानिकों ने प्रो. काटो का स्वागत किया। डॉ. सिंह ने बताया कि कैसे डीएसआर तकनीक से कम पानी खर्च होता है, मजदूरी में बचत होती है और समय पर बुआई संभव होती है, जिससे पैदावार बढ़ती है। पहले दिन वाराणसी स्थित पनियारा गांव में प्रो. काटो ने किसानों से बात-चित की और डीएसआर की खेती के उनके अनुभव जाने। किसानों ने बताया कि मशीन से सीधी बुआई करने से फसल  जल्दी तैयार होती है , पानी की बचत होती है और लागत भी कम आती है। प्रो. काटो ने वैज्ञानिकों से डीएसआर को और बेहतर करने के तरीकों पर चर्चा की।

इसके बाद, उन्होंने आइसार्क के प्रायोगिक क्षेत्र, मैकेनाइजेशन हब, रिमोट सेंसिंग एवं जिआइएस लैब, कम्प्यूटेशनल-बायोलॉजी लैब, प्लांट एवं सॉयल लैब और सर्वा लैब का दौरा किया। उन्होंने देखा कि कैसे नए बीज, मशीनें और खेती की तकनीकें विकसित की जा रही हैं ताकि धान की खेती सतत और लाभकारी बन सके।

उन्होंने स्पीड ब्रीडिंग लैब भी देखी, जहां तेजी से जलवायु अनुकूल धान की किस्में विकसित की जा रही हैं। प्रो. काटो ने आइसार्क की टीम की तारीफ की कि कैसे वे उन्नत बीज, आधुनिक मशीनों और किसानों की ट्रेनिंग के जरिए खेती में सुधार ला रहे हैं।

इसके बाद, प्रो. काटो ने आइसार्क टीम को जापान में डीएसआर पर हुए अपने 10 साल के शोध के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “हमने सुखाड़-सहिष्णु धान की किस्मों, कम जुताई और बीज बोने की सही गहराई पर अनुसंधान किया है ताकि पैदावार अच्छी हो। हमने बीज अंकुरण का मॉडल भी तैयार किया है, जिससे सीधी बुआई सटीक तरीके से हो सके।”

दौरे के दूसरे दिन (3 जुलाई 2025), प्रो. काटो ने उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में डीएसआर के खेतों का दौरा किया। वहां भी उन्होंने किसानों से बात कर उनकी समस्याएं और अनुभव जाने। किसानों ने बताया कि डीएसआर से पानी और मजदूरी दोनों में बचत हो रही है, फसल समय पर बोई जा रही है और खर्च भी कम आ रहा है।

प्रो. काटो ने किसानों के नई तकनीक अपनाने के जज़्बे की सराहना की और कहा कि किसानों की ट्रेनिंग और फील्ड सपोर्ट बढ़ाने से धान की सीधी बुआई को और सफल बनाया जा सकता है।

इस दौरे का समापन इस आशा के साथ हुआ कि टोक्यो विश्वविद्यालय और आइसार्क साथ मिलकर भविष्य में डीएसआर पर और काम करेंगे, ताकि धान की खेती आसान, सस्ती और सतत बन सके, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिले।

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