रिद्धि गुप्ता ने नेपाल की धरती पर लहराया भारत का परचम 

इंडो-नेपाल इंटरनेशनल ताईक्वांडो चैम्पियनशिप 2025 में गोल्ड मेडल जीतकर बढ़ाया देश और क्षेत्र का मान,

  चंदौली/ भारत की प्रतिभाशाली खिलाड़ी रिद्धि गुप्ता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि लगन, मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। नेपाल के प्रमुख पर्यटन स्थल पोखरा में 26 से 30 जून 2025 तक आयोजित इंडो-नेपाल इंटरनेशनल इनविटेशन ताईक्वांडो चैम्पियनशिप 2025 में रिद्धि ने अपने आयु और भार वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।

उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद अंतर्गत विकासखंड धानापुर के छोटे से गांव आवाज़ापुर की रहने वाली रिद्धि गुप्ता की यह उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे जनपद, प्रदेश और देश के लिए गौरव का विषय बन गई है। रिद्धि के पिता  सुनील गुप्ता लोक निर्माण विभाग, जौनपुर में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। रिद्धि अपनी प्रारंभिक शिक्षा से ही पढ़ाई और खेल दोनों में प्रतिभाशाली रही हैं।जून 2025 को मथुरा में आयोजित ओपन नेशनल ताईक्वांडो चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीतकर सबको चौंका दिया था। उनके इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर उन्हें नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में चयनित किया गया। पोखरा में हुए मुकाबलों में रिद्धि ने विभिन्न देशों से आई प्रतियोगियों को हराते हुए फ़ाइनल तक का सफ़र तय किया और निर्णायक मुकाबले में भी अपने बेहतरीन तकनीकी कौशल और आत्मविश्वास के साथ गोल्ड मेडल पर कब्ज़ा जमाया।

जीत के बाद मीडिया से बातचीत में रिद्धि ने कहा, “इस जीत का श्रेय मैं अपने माता-पिता, दादा-दादी, भाई और विशेष रूप से अपने कोच को देना चाहती हूं, जिनके सहयोग, आशीर्वाद और प्रेरणा के बिना यह संभव नहीं होता। मेरे कोच ने मुझे तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता भी सिखाई, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत जरूरी होती है।”रिद्धि ने यह भी बताया कि संसाधनों की कमी के बावजूद उनके परिवार ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने हर स्तर पर उनका सहयोग किया, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा, “मेरे दादाजी हमेशा कहते थे कि अगर दिल से चाहो तो कोई भी मंच बड़ा नहीं होता, और आज उनकी बात सच साबित हुई है।”

रिद्धि की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से उनके गांव, स्कूल,  और पूरे जनपद में हर्ष का माहौल है। लोगों ने मिठाइयाँ बाँटकर और सोशल मीडिया पर पोस्ट करके अपनी खुशी जाहिर की।  रिद्धि की इस सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की बेटियाँ सीमित संसाधनों में भी अपनी प्रतिभा से देश को गौरवान्वित कर सकती हैं। उनकी जीत ने न सिर्फ बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, बल्कि यह भी उजागर किया है कि यदि सरकार और खेल मंत्रालय ऐसे खिलाड़ियों को सही मार्गदर्शन और संसाधन दें, तो वे वैश्विक स्तर पर भारत का परचम लहरा सकते हैं।

खेल विशेषज्ञों का मानना है कि रिद्धि जैसे खिलाड़ी भविष्य में ओलंपिक और अन्य वैश्विक प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक ला सकते हैं, बशर्ते उन्हें नियमित प्रशिक्षण, पोषण, मानसिक सलाह और आर्थिक सहायता मिले। रिद्धि गुप्ता ने बताया कि उनकी नज़र अब एशियन और वर्ल्ड ताईक्वांडो चैंपियनशिप पर है। वह इसके लिए दिन-रात अभ्यास कर रही हैं और अपने खेल को लगातार निखारने पर ध्यान दे रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह आने वाली पीढ़ी की लड़कियों को भी प्रेरित करना चाहती हैं, ताकि वे आत्मविश्वास और मेहनत के साथ आगे बढ़ें।

यह जीत केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि यह देश की उन सभी बेटियों के लिए एक संदेश है जो छोटे कस्बों और गांवों में बड़े सपने देखती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि “जहाँ चाह, वहाँ राह।””रिद्धि जैसी बेटियाँ ही असली भारत की पहचान हैं, जो सीमित संसाधनों में भी असीम सफलता की कहानी लिखती हैं।”उनकी इस उपलब्धि पर समस्त क्षेत्रवासियों को गर्व है और पूरा देश उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहा है।

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