सीएमपीडीआई और हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

रांची ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सीएमपीडीआई और हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने आज गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन संसाधनों पर विशेष ध्यान देने के साथ डेटा साझाकरण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय(डीजीएच) की महानिदेशक डॉ0 पल्लवी जैन गोविल (भा0प्र0से0) एवं सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक  मनोज कुमार की उपस्थिति में डीजीएच के एडीजी (डेवलपमेंट)सचिव कुमार एवं सीएमपीडीआई के महाप्रबंधक (बिजनेस डेवलपमेंट)आर0के0 अमर ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर संस्थान के निदेशक (तकनीकी/सीआरडी)शंकर नागाचारी, निदेशक (तकनीकी/पीएंडडी/आरडीएंडटी)अजय कुमार, सीएमपीडीआई और डीजीएच के वरिष्ठ अधिकारी, ओएनजीसी, आईओसीएल, सीबीएम ऑपरेटर्स तथा शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दो प्रमुख संस्थानों के बीच डेटा साझाकरण, तकनीकी विशेषज्ञता और शोध अंतर्दृष्टि (रिसर्च इन्साइट्स) के पारस्परिक आदान-प्रदान के लिए एक रूपरेखा स्थापित करना है। इस रणनीतिक साझेदारी से कोल बेड मिथेन (सीबीएम), शेल गैस और अन्य गैर-परंपरागत स्रोतों जैसे संसाधनों की खोज एवं विकास में भारत की क्षमताओं को मजबूत करना है।

इस मौके पर डॉ0 गोविल ने भारत के ऊर्जा भंडार की पूरी क्षमता को अनलॉक करने में अंतर-एजेंसी सहयोग के महत्व पर जोर दिया। सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार ने सीबीएम,शेल गैस और अन्य गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन के विकास के लिए सीएमपीडीआई के कार्य के बारे में जानकारी दी और कहा कि यह समझौता ज्ञापन भविष्य के संयुक्त अध्ययनों, पायलट परियोजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त करेगा जो नवाचार और सूचित निर्णय लेने के माध्यम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा। 

समझौता ज्ञापन के बाद हितधारकों की एक बैठक हुई जिसमें सीबीएम ऑपरेटरों और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों/प्रतिभागियों ने सीबीएम और गैर-परंपरागत संसाधन विकास पर अपने विचार साझा किए और इस सहयोगात्मक दृृष्टिकोण को मजबूत करने की आवश्यकताओं पर जोर दिया। 

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