पीएम द्वारा स्थापित सुब्रमण्यम भारती चेयर तमिल अध्ययन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है – राज्यपाल आर. एन. रवि 

तमिलनाडु के माननीय राज्यपाल काशी तमिल संगमम.3 में हुए शामिल 

— राज्यपाल ने कई पुस्तकों का किया विमोचन 

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की पहल पर आयोजित काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण 15 से 24 फरवरी 2025 तक पं. ओंकारनाथ ठाकुर सभागार, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आयोजित किया जा रहा है। शुक्रवार को तमिलनाडु के  राज्यपाल आर. एन. रवि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ बीएचयू के कुलपति प्रो. संजय कुमार, समाजशास्त्र विभाग की प्रो. श्वेता प्रसाद, और महिला अध्ययन केंद्र, बीएचयू की प्रो. मीनाक्षी झा भी मौजूद रहीं।

इस अवसर पर कई पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिसमें प्रो. टी. जगदीश और उनके शोधार्थियों द्वारा अनुवादित 10 बाल पुस्तकों का हिंदी संस्करण और “काशी कुंभाभिषेकम” (लेखक – सुब्बू सुंदरम और उनकी पत्नी) शामिल रहीं। माननीय राज्यपाल ने उत्तर भारतीय छात्रों की तमिल भाषा में बढ़ती रुचि और बीएचयू में तमिल डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में बढ़ते नामांकन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित सुब्रमण्यम भारती चेयर तमिल अध्ययन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अपने संबोधन में माननीय राज्यपाल आर. एन. रवि ने काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 1801 से पहले प्रतिवर्ष 50,000 से अधिक तीर्थयात्री रामेश्वरम से काशी की यात्रा करते थे। उन्होंने यह भी बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर का कुंभाभिषेक 239 वर्षों बाद संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गान और बीएचयू कुलगीत से हुई, जिसे कला संकाय के छात्रों ने प्रस्तुत किया। इसके बाद माननीय राज्यपाल एवं कुलपति ने माँ सरस्वती, महामना मदन मोहन मालवीय और पं. ओंकारनाथ ठाकुर की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की। अपने संबोधन में प्रो. संजय कुमार ने बीएचयू को “लघु भारत” के रूप में वर्णित किया, जहाँ अंतरविषयक शोध को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने काशी तमिल संगमम को तमिलनाडु और काशी के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव बताते हुए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने आदि शंकराचार्य के योगदान का उल्लेख किया, जिन्होंने अपने ज्ञान और दर्शन के माध्यम से संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोया।

इसके बाद, काशी तमिल संगमम पर एक वृत्तचित्र दिखाया गया, जिसमें दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत और महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े सरकारी प्रयासों को प्रदर्शित किया गया। प्रो. श्वेता प्रसाद ने सतत विकास लक्ष्य (SDGs), लैंगिक समानता, और नारी शक्ति वंदन अधिनियम, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन शक्ति जैसी योजनाओं पर चर्चा की, जिन्होंने भारत में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार किया और लिंगानुपात में सुधार किया। उन्होंने बताया कि भारत में पहली बार 1020 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुषों के अनुपात को पार कर चुकी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 3.25 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं और पोषण अभियान के माध्यम से 10 करोड़ लाभार्थियों को सहायता मिली है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लैंगिक समानता और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बताया गया, जिससे कस्तूरबा गांधी महिला विद्यालयों में हजारों लड़कियाँ नामांकित हुई हैं।

महिला अध्ययन केंद्र, बीएचयू की प्रो. मीनाक्षी झा ने काशी तमिल संगमम में संस्कृति, परंपरा और ज्ञान के संगम पर विचार रखे। उन्होंने तमिलनाडु की पहली महिला विधायक डॉ. मुत्थुलक्ष्मी रेड्डी के योगदान को रेखांकित किया, जिन्होंने महिला अधिकारों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने यह भी बताया कि लैंगिक समानता प्राप्त करने से भारत की जीडीपी में 720 बिलियन डॉलर का योगदान हो सकता है। उन्होंने वित्तीय सुरक्षा और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने की दिशा में सरकार की योजनाओं की चर्चा की, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक व आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की सोच के अनुरूप हैं।

कार्यक्रम का समापन डॉ. शन्मुग सुंदरम (वाणिज्य संकाय, बीएचयू) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी वक्ताओं, स्वयं सहायता समूहों और संगठनों का आभार प्रकट किया, जो महिला सशक्तिकरण में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेंगी।

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