कर्मचारियों की सुविधा, सम्मान और पारदर्शिता को प्राथमिकता, आयुर्वेद निदेशालय में सुधार की पहल

बेहतर कार्य संस्कृति की ओर कदम, आयुर्वेद निदेशालय में कर्मचारियों के हित में व्यवस्था दुरुस्त
आयुर्वेद निदेशालय में व्यवस्था सुधार की कार्रवाई तेज, नियमबद्ध प्रशासन सुनिश्चित करने के निर्देश
लखनऊ: आयुर्वेद सेवाएं उत्तर प्रदेश की निदेशक चैत्रा वी. द्वारा जवाहर-इंदिरा भवन स्थित निदेशालय का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान कार्यालय की साफ-सफाई, अभिलेखों के रख-रखाव, ई-ऑफिस प्रणाली, विद्युत व्यवस्था और प्रशासनिक अनुशासन से जुड़ी कई गंभीर कमियां सामने आईं।
निदेशक आयुर्वेद द्वारा किए गए निरीक्षण में पाया गया कि निदेशालय के विभिन्न अनुभागों में वर्षों से पत्रावलियां अव्यवस्थित हैं। अभिलेखों का समुचित संधारण नहीं किया गया है एवं ई-ऑफिस के अंतर्गत की जा रही स्कैनिंग का कोई लेखा-जोखा या मॉनिटरिंग तंत्र मौजूद नहीं है। यह स्थिति न केवल आपत्तिजनक बल्कि शासन की छवि के लिए भी क्षतिजनक है। निदेशक आयुर्वेद ने निर्देश दिए कि कार्यालय परिसर की स्वच्छता, जर्जर फर्नीचर को हटाने, विद्युत तारों की मरम्मत, प्रत्येक अनुभाग में इंटरकॉम की स्थापना और अभिलेखों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए तत्काल प्रभाव से नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। साथ ही अत्यंत पुरानी पत्रावलियों की वीडिंग के लिए समिति गठन कर 31 मार्च 2026 से पूर्व प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि कुछ कर्मचारी दशकों से एक ही पटल पर कार्यरत हैं। इस पर निदेशक चैत्रा वी. ने स्पष्ट किया कि पटलों पर शासनादेशों के अनुरूप तैनाती अवधि का पालन सुनिश्चित करना प्रशासनिक आवश्यकता है। पटलों के स्थानान्तरण को किसी प्रकार का उत्पीड़न न समझा जाए, बल्कि ऐसा करने से हर एक कर्मचारी को प्रत्येक पटल की जानकारी हो सकेगी।
हाल में प्रकाशित कुछ बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निदेशक आयुर्वेद ने कहा कि की जा रही कार्रवाई पूरी तरह प्रशासनिक पारदर्शिता, जवाबदेही और व्यवस्था सुधार के उद्देश्य से है। अनुशासन स्थापित करने को व्यक्तिगत आरोपों से जोड़ना तथ्यात्मक रूप से भ्रामक है। निदेशक द्वारा यह भी कहा गया है कि विभाग में कार्यरत प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी का सम्मान सर्वाेपरि है, किंतु वर्षों से चली आ रही अव्यवस्थाओं और नियमों के विरुद्ध कार्यप्रणाली को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता। सुधारात्मक कदमों को उत्पीड़न बताना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों में शासन व न्यायालय के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाएगा और किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। निदेशक द्वारा जारी निरीक्षण आख्या में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान स्थिति को सुधारना नितांत आवश्यक है और इसके लिए उत्तरदायी अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा समयबद्ध अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा, ताकि आयुर्वेद निदेशालय एक स्वच्छ, सुव्यवस्थित एवं पारदर्शी प्रशासनिक इकाई के रूप में कार्य कर सके।

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