विकसित उत्तर प्रदेश@2047 के तहत उच्च शिक्षा कॉनक्लेव में नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर मंथन

 उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने प्रस्तुत की विकसित उत्तर प्रदेश की रणनीति

 उच्च शिक्षा कॉनक्लेव में विश्वविद्यालयों के विकास और वैश्विक रैंकिंग पर चर्चा

उच्च शिक्षा को संस्कार, रोजगार और तकनीक से जोड़ने का संकल्प

लखनऊ, / विकसित उत्तर प्रदेश @2047– “संकल्प से समृद्धि तक” राज्य स्तरीय अभियान के अंतर्गत आज लखनऊ स्थित योजना भवन में उच्च शिक्षा कॉनक्लेव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय तथा उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने किया।  उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तुत विकसित भारत–2047 का लक्ष्य एक राष्ट्रीय संकल्प है, जिसे पूरा करने हेतु सभी संस्थाओं को एकजुट होकर योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विकसित उत्तर प्रदेश की आधारशिला है, जिसका मूल तत्व शिक्षा को संस्कार एवं रोजगार से जोड़ना है। प्रदेश में बीते वर्षों में विश्वविद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा हर मंडल में विश्वविद्यालय स्थापित करने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। इससे शिक्षा का लोकव्यापीकरण होगा तथा गुणवत्ता सुधार के प्रयासों से राज्य के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में भी वृद्धि हुई है।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश बनने में उच्च शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता, नवाचार, स्टार्टअप, डीजी लॉकर, स्मार्ट क्लास, शोध और एआई आधारित तकनीकों के विस्तार पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय चुनौतियों को उपलब्धियों में बदलने की क्षमता रखते हैं और यह कॉनक्लेव इसी दिशा में एक मजबूत कदम है।

मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य में शिक्षा की निर्णायक भूमिका है। उन्होंने बताया कि 2047 तक उत्तर प्रदेश के कम से कम 10 विश्वविद्यालयों को विश्व की शीर्ष 500 रैंक में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाने पर बल दिया। मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जी.एन. सिंह ने भारत की आर्थिक संभावनाओं, तकनीकी अंगीकरण तथा यूरोपीय विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वैश्विक मानकों वाली शिक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में नवाचार और गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को प्रमुख बताया।

मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू ने उच्च शिक्षा के लिए एक्शन प्लान, मासिक मॉनिटरिंग, ऑपरेशनल एफिशिएंसी, स्टार्टअप इनोवेशन सेंटर, सीएसआर फंडिंग तथा शिक्षकों की सहभागिता बढ़ाने के लिए ठोस उपाय सुझाए। 

मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार प्रो. डी.पी. सिंह ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा पद्धति, सहयोगात्मक अनुसंधान मॉडल और शैक्षिक नेतृत्व की भूमिका पर विस्तृत विचार रखे। उन्होंने कहा कि तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों की क्षमता को पुनर्जीवित करते हुए आधुनिक तकनीकी सहयोग से वैश्विक गुणवत्ता हासिल की जा सकती है।

कॉनक्लेव के दौरान एक्सेस विथ क्वालिटी एंड इंक्लूजन, फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, इंडस्ट्री पार्टनरशिप, एम्प्लॉयबिलिटी, रिसर्च, फाइनेंसिंग ऑफ हायर एजुकेशन, ग्लोबल टैलेंट, पीपीपी मॉडल तथा इंडियन नॉलेज सिस्टम जैसे विषयों पर नौ पैनलों में विस्तार से चर्चा हुई। कुलपतियों एवं विशेषज्ञों ने उच्च शिक्षा के भविष्य के लिए ठोस सुझाव और रोडमैप प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के अंत में  प्रमुख सचिव एम. पी. अग्रवाल ने धन्यवाद दिया और विकसित उत्तर प्रदेश@2047 के उच्च शिक्षा विजन पर आगे की रणनीति निर्धारित की गई। कार्यक्रम में  विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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