धनबाद। विशेष अभियान 5.0 (स्पेशल कैंपेन 5.0) के अंतर्गत आज बीसीसीएल के मानव संसाधन विकास विभाग (एचआरडी), कल्याण भवन, जगजीवन नगर में ‘कार्य-जीवन संतुलन, तनाव प्रबंधन एवं उत्पादकता’ (वर्क-लाइफ बैलेंस, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड प्रोडक्टिविटी) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारियों में कार्य-जीवन संतुलन के महत्व को रेखांकित करना, तनाव प्रबंधन के प्रभावी उपायों को साझा करना और संगठन में स्वस्थ, सकारात्मक एवं उत्पादक कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देना रहा।
कार्यशाला में डॉ. रविन्द्र कुमार विश्वकर्मा, प्रसिद्ध एनएलपी वेलनेस कोच, माइंड ट्रेनर एवं लाइफ मैनेजमेंट कोच, बतौर विषय-विशेषज्ञ (फैकल्टी) तथा महाप्रबंधक (एचआरडी) अनूप कुमार रॉय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कोयला भवन मुख्यालय एवं विभिन्न क्षेत्रों के 60 से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।
डॉ. विश्वकर्मा ‘VIERT for Better World’ के संस्थापक हैं, जो एक ISO प्रमाणित संस्था है और ‘माइंड प्रोग्रामिंग’, ‘लाइफ मैनेजमेंट’, ‘एनएलपी (न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग)’, ‘ह्यूमन डेवलपमेंट’, ‘पॉजिटिव पैरेंटिंग’ एवं ‘वैल्यू-बेस्ड एजुकेशन’ जैसे विषयों पर प्रशिक्षण, सेमिनार एवं कार्यशालाएँ आयोजित करती है।
अपने संबोधन में डॉ. विश्वकर्मा ने कहा कि आज की तेज़-रफ़्तार जीवनशैली में सफलता केवल परिश्रम से नहीं, बल्कि आत्म-संतुलन, जागरूकता और मानसिक दृढ़ता से संभव है। उन्होंने बताया कि तनाव जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है, परंतु उसे सही दिशा में रूपांतरित कर व्यक्ति अपनी कार्यक्षमता और जीवन-गुणवत्ता को कई गुना बढ़ा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को माइंड री-प्रोग्रामिंग, पॉजिटिव थिंकिंग, इमोशनल बैलेंसिंग और सेल्फ-मोटिवेशन जैसे विषयों पर व्यावहारिक सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से स्वस्थ और संतुलित कर्मचारी न केवल संगठन की उत्पादकता में वृद्धि करते हैं, बल्कि एक सकारात्मक, सहयोगपूर्ण और नवोन्मेषी कार्य वातावरण के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
महाप्रबंधक (एचआरडी) अनूप कुमार रॉय ने अपने संबोधन में कहा कि बीसीसीएल अपने कर्मचारियों के समग्र कल्याण और निरंतर विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि संगठन की सशक्त नींव उसके कर्मचारी हैं, और उनका शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य ही संस्थान की प्रगति का आधार है। उन्होंनें कहा कि ऐसे प्रशिक्षण सत्र कर्मचारियों को अपने कार्य और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करते हैं, जिससे उनकी प्रेरणा, दक्षता और संगठन के प्रति प्रतिबद्धता में वृद्धि होती है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान और अनुभव को अपने कार्य-जीवन में आत्मसात करें। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को तनाव प्रबंधन, सकारात्मक सोच, टीम भावना, प्रेरणा के मनोविज्ञान, भावनात्मक संतुलन और कार्यस्थल पर उत्पादकता बढ़ाने की तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी गई। सत्र के अंत में एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने विचार साझा किए और विशेषज्ञ से मार्गदर्शन प्राप्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में एचआरडी विभाग के राधेश्याम दुबे, वरीय प्रबंधक (खनन), अविनाश कुमार, रणबीर सिंह एवं अन्य कर्मियों का विशेष योगदान रहा।

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