भाषा और चित्रकला का परस्पर संबंध बहुत गहरा होता है – गुंजन कुमार सिन्हा

ईसीएल के राजभाषा (हिंदी) माह में संत जूड प्राइमरी स्कूल की सहभागिता*

संकतोड़िया । ईसीएल के निदेशक (मानव संसाधन)  गुंजन कुमार सिन्हा की अनुप्रेरणा से बाल मन में सृजनात्मकता और सीखने की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए ईसीएल द्वारा राजभाषा (हिंदी) माह, 2025 के अंतर्गत 03.09.2025 (बुधवार) को पूर्वाह्ण 10 बजे डिसेरगढ़ में अवस्थित संत जूड प्राइमरी स्कूल में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें नर्सरी से चतुर्थ वर्ग तक के 67 बच्चों ने भाग लिया। पति पावन बाल मन की अभिव्यक्ति के लिए चित्रकारी एक सार्थक माध्यम है, इससे उनकी सरल भावनाएं, कल्पनाएँ, मनोविज्ञान एवं सोचने के तरीके में विकास होता है जिससे राष्ट्र के समुन्नत भविष्य का निर्माण होता है।

निदेशक के कथनानुसार भाषा और चित्रकला का परस्पर संबंध बहुत गहरा होता है। चित्रकला को मूलतः भाषा का अंग माना जाता है जो विचारों, भावनाओं और अनुभवों को संप्रेषित करने के लिए प्रतीकों और दृश्यों का उपयोग करती है, विशेषतः मौखिक या लिखित भाषा से पहले के समय में या जब भाषिक बाधाएं हों। भाषाएँ और कलाएँ दोनों संचार के रूप हैं, और वे मानवीय अनुभव, संस्कृति और मानसिक प्रक्रियाओं को आकार देने और व्यक्त करने के लिए एक-दूसरे को प्रभावित और सूचित करती हैं।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुरूप ईसीएल अपने कमान क्षेत्र के आंतरिक व बाह्य दोनों स्तरों पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सतत प्रयासरत रहती है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा राजभाषा (हिंदी) के प्रचार व प्रसार को प्रभावी एवं व्यापक बनाने के लिए सितंबर माह, 2025 को ऊर्जा, उत्साह और उल्लास के साथ राजभाषा (हिंदी) माह, 2025 के रूप में मनाने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश प्रदान किया गया है जिसके तहत पूरे सितंबर माह ईसीएल अपने प्रतिष्ठानों के समीपवर्ती अवस्थित विद्यालयों में निबंध, पत्र-लेखन, भाषण एवं चित्रकला प्रतियोगिताएँ आयोजित कर रही है। विद्यार्थियों की सहभागिता उत्साहवर्धक है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को राजभाषा (हिंदी) माह, 2025 के पुरस्कार वितरण समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा।

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