सफलता की कहानी:प्रधानमंत्री आवास योजना से गणेशी पैकरा के जीवन में आया बदलाव

रायपुर, /रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत केराबहार निवासी श्रीमती गणेशी पैकरा का परिवार वर्षों से एक कच्चे और जर्जर मकान में निवासरत था। हर बरसात उनके लिए एक नई चुनौती लेकर आती थी। टपकती छत और कमजोर दीवारों के कारण हर मौसम में भय और असुरक्षा उनके जीवन का हिस्सा बन चुका था। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत मिले पक्के घर ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।

गणेशी पैकरा को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास निर्माण हेतु 1.20 लाख रूपए की स्वीकृति प्राप्त हुई। साथ ही, मनरेगा के अंतर्गत उन्हें 90 दिनों की मजदूरी स्वरूप 21,690 रूपए की अतिरिक्त मजदूरी भी प्राप्त हुई। उन्होंने सोच-समझकर संसाधनों का सदुपयोग किया और एक मजबूत, सुरक्षित तथा सुसज्जित पक्का मकान तैयार किया। श्रीमती पैकरा कहती हैं कि आज हमारे पास अपना पक्का घर है, जिसमें बारिश, धूप और सर्दी से कोई डर नहीं। बच्चों की सुरक्षा को लेकर जो चिंता हर पल सताती थी, वह अब खत्म हो चुकी है। अब हम चैन की नींद सोते हैं।

गौरतलब है कि रायगढ़ जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का प्रभावी क्रियान्वयन एक अनुकरणीय मिसाल बन चुका है। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के नेतृत्व एवं जिला पंचायत सीईओ जितेंद्र यादव के मार्गदर्शन में जिले ने वर्ष 2024-25 में स्वीकृत आवासों में से सर्वप्रथम 25,000 मकानों का निर्माण पूर्ण कर प्रदेश में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि न केवल आवासहीन परिवारों को छत देने का कार्य कर रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दे रही है। स्व-सहायता समूहों की महिलाएं भी इस योजना से सशक्त हो रही हैं। कई गांवों में सेटरिंग प्लेट निर्माण जैसे कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं और “लखपति दीदी” बनने की दिशा में सफलतापूर्वक कदम बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना अब सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि यह ग्रामीणों के लिए सम्मान, सुरक्षा और आत्मबल की प्रतीक बन चुकी है। गणेशी पैकरा की कहानी हजारों अन्य परिवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो यह बताती है कि जब योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पारदर्शी ढंग से पहुँचता है, तो उनके जीवन में वास्तविक बदलाव संभव होता है।

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